लखनऊ मेट्रो

मेट्रो आज दुनिया भर के अलग-अलग देशों व राज्यों में फैल रही है, यह एक प्रकार की संचार सेवा है जो रेल की तरह ही कार्य करती है तथा जो पूर्ण रूप से बंद होती है। विश्व भर में प्रथम बार मेट्रो की शुरुआत 1863 ई. में लंदन में हुई थी तथा भारत में प्रथम बार मेट्रो रेल की शुरुआत सन् 1984 ईं में कोलकाता में हुआ था। मेट्रो को यदि इसके असली स्वरूप में देखा जाये तो यह भूमिगत होती है। शहर के अंदर बाहर से रेल चलाने से स्थान का प्रयोग ज्यादा होता है वहीं जमीन के अंदर रेल चलाने से स्थान की बचत होती है। यदि भूमिगत रेल के बारे में बात की जाये तो इसकी शुरुआत लंदन शहर में हुई। लंदन ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी थी और यहां की आबादी बढ़ती जा रही थी। वैसे शहर के चारों ओर रेलवे स्टेशन थे लेकिन शहर के केन्द्र तक पहुंचने में लोगों को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता था। सन् 1855 में लंदन की यातायात समस्या का हल निकालने के लिए एक समिति का गठन हुआ। बहुत से प्रस्ताव सामने आए लेकिन अन्ततः भूमिगत रेल सेवा का प्रस्ताव सबसे उपयुक्त समझा गया। दस जनवरी 1863 को दुनिया की पहली भूमिगत रेल सेवा शुरू हुई।
भारत में कुछ ही स्थान पर भूमिगत मेट्रो का संचालन किया जाता है जैसे कोलकाता में व दिल्ली में अन्य स्थानों पर जमीन के ऊपर ही मेट्रो को संचालन किया जाता है। भूमिगत मेट्रो बनाने का खर्चा भी भूमि के ऊपर बने मेट्रो से ज्यादा होता है। लखनऊ के 22 स्थानकों में तीन स्थानक भूमिगत बनाये जायेंगे। लखनऊ मेट्रो पूर्ण रूप से आधुनिक है तथा इसके चालू हो जाने के बाद लखनऊ की सड़कों पर गाड़ियों की संख्या कम होगी जिससे प्रदूषण पर भी फर्क पड़ेगा।