रामपुर का किला

रामपुर की स्थापना औध संधि के तहत 7 अक्टूबर 1774 में नवाब फैज़ुल्लाह खान द्वारा की गयी थी। रामपुर रियासत के इस संस्थापक ने ही रामपुर किले की नीव रखी। नवाब हामिद अली खान ने ब्रिटिश चीफ इंजिनियर डब्लू. सी. राइट की सहायता से पूरे रामपुर किले को नया रूप दिया। इस वास्तु सम्बन्धी परिवर्तन के तहत हामिद मंज़िल, दरबार हॉल, जिसमें आज रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी स्थित है, और इमामबाड़ा भी बनवाया गया। डब्लू. सी. राइट ब्रिटिश सरकार के नॉर्थ वेस्ट प्रोविंस के एग्ज़ीक्यूटिव इंजिनियर थे। उन्होंने सन् 1899 में ब्रिटिश सरकार को इस्तीफा देकर रामपुर नवाब हामिद अली खान के यहाँ चीफ इंजिनियर का पद स्वीकारा और पूरे रामपुर शहर की वास्तुकला को अलग ऊंचाई पर पहुँचाया।

इस्लामिक, हिन्दू तथा विक्टोरियन गोथिक शैलियों का मेल जिसे इंडो सारसेनिक वास्तुकला के नाम से जाना जाता है, उसका व्राइट ने बहुत अच्छा इस्तेमाल किया। उन्होंने किला-ए-मुअल्ला और हामिद मंज़िल की पुर्नार्स्थापना की। जहाँआरा हबीबुल्लाह (2001) ने रामपुर किले का वर्णन किया था जिसमें उन्होंने बताया कि रामपुर किले में खुली जगह और उद्यान भरे थे। इसमें मच्छी भवन का भी वर्णन है, जहाँ नवाब रहते थे तथा जो अवधी महलों के मछली प्रतीकवाद पर रचा गया था। इसी के बगल में रंग महल था जो गायकी और संगीत सम्बन्धी गतिविधियों के लिए बनाया गया था। हामिद मंजिल इस पूरे किले के क्षेत्र का मध्य बिंदु था। किला-ए-मुअल्ला में नवाब के यहाँ काम करने वाले सभी लोगों के लिए रहने की व्यवस्था और कई कामकाज़ी विभाग भी स्थित थे। रामपुर किले के इस बड़े क्षेत्र को हामिद गेट और व्राइट गेट जोड़े रखते थे। रामपुर किला रामपुर शहर के मध्य बसा है। कर्ज़न जब 1905 में नवाब हामिद अली खान से भेंट के लिए रामपुर आया तब उसे देने के लिए एक एल्बम बनवाया गया जिसमें रामपुर किला और किले का वास्तुशिल्प तथा अन्दर की झांकियाँ और पूरे रामपुर शहर के वास्तुकला के अप्रतिम नमूनों का चित्रण था।

आज रामपुर किला बहुत बुरी हालत में इतिहास का साक्ष्य देते हुए खड़ा है। रज़ा लाइब्रेरी और उसके समीप के किले का हिस्सा ही सिर्फ अच्छी हालत में है। रामपुर किले तथा रामपुर शहर के जितने भी दरवाज़े थे, सब तोड़ दिए गए हैं।