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संसार में रहने वाले अनेक प्राणियों में अनेक विशिष्ट गुण मौजूद होते हैं, जिनका निर्धारण उनके शरीर में मौजूद डिऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड (Deoxyribo Nucleic Acid - DNA) द्वारा किया जाता है। DNA एक प्रकार का आनुवांशिक पदार्थ होता है, जो विशिष्ट गुणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित करने में मदद करता है। इस प्रकार इसमें जीवों के गुणों को निर्धारित करने की क्षमता होती है। DNA परीक्षण के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी शारीरिक एवं मानसिक संरचना और कार्यिकी के बारे में अनेकों जानकारियां प्राप्त कर सकता है। पहले के समय में डीएनए परीक्षण के लिए खून के नमूने लिए जाते थे किंतु अब व्यक्ति की लार, बाल, नाखून इत्यादि के नमूनों से भी डीएनए परीक्षण किया जा सकता है। परीक्षण के परिणामों की अवधि 24 घंटे से आठ सप्ताह तक हो सकती है। वर्तमान समय में इंटरनेट डीएनए परीक्षण के लिए कई सामान्य संसाधन या होम टेस्ट किट (Home Test Kit) जैसे- FTDNA, AncestryDNA और 23andme आदि उपलब्ध करवा रहा है, जिसके द्वारा हम घर बैठे ही अपना डीएनए परीक्षण कर सकते हैं।
प्राप्त परिणामों की जानकारी सुरक्षित तथा गोपनीय रखी जाती है। DNA परीक्षण को आनुवांशिक परीक्षण भी कहा जाता है, जिसके अंतर्गत यह पहचान की जाती है कि कोशिकाओं में उपस्थित गुणसूत्रों या जीनों (Genes) में क्या परिवर्तन हो रहे हैं। DNA परीक्षण के परिणाम बहुत सटीक होते हैं, जिस कारण इसका उपयोग जानकारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है। इन जानकारियों में वंश (Ancestry) की पहचान या जानकारी, वज़न और त्वचा के बारे में जानकारी, किसी बीमारी की सम्भावना के बारे में जानकारी आदि शामिल हैं। यहां तक कि हम अपने घर में मौजूद पशुओं का भी DNA परीक्षण कर उनके बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। वंश की जानकारी से हम यह पता लगा सकते हैं कि हमारे पूर्वजों की उत्पत्ति कहां और कैसे हुई? यह परीक्षण परिवार की विरासत और रीति-रिवाज़ों के बारे में भी जानकारी उपलब्ध करा सकता है। अपने परिवार की मूल जानकारी आपको DNA परीक्षण करा सकता है। स्किनकेयर (Skincare) DNA परीक्षण आपको बता सकता है कि आपके त्वचा की कोलेजन (Collagen) गुणवत्ता तथा एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidants) स्तर क्या है? इससे प्राप्त जानकारी के द्वारा आप त्वचा की देखभाल के लिए प्रभावी त्वचा सुरक्षा उत्पादों का निर्धारण कर सकते हैं। डीएनए परीक्षण आपको अपने आदर्श स्वस्थ वज़न तक पहुंचने में मदद करने के लिए व्यायाम और भोजन के प्रति आपकी आनुवंशिक प्रतिक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी दे सकता है। किसी व्यक्ति के वंश की पुष्टि डीएनए परीक्षण के माध्यम से आसानी से की जा सकती है। आप जान सकते हैं कि आप कौन हैं या दूसरों लोगों से आपका जैविक संबंध क्या है? यह व्यक्ति के आनुवांशिक रोगों की पहचान करने में भी सहायक है। सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने की अवस्था में यह परीक्षण व्यक्ति को रोग की रोकथाम और प्रभावी उपचार के विकल्पों की ओर निर्देशित कर सकता है। पशुओं के लिए किये जाने वाले DNA परीक्षण से उनकी आनुवांशिक पृष्ठभूमि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है और उनकी नस्ल के बारे में पता लगाया जा सकता है।
वंशावली DNA परीक्षण एक DNA-आधारित परीक्षण है, जो पैतृक वंशावली संबंधों को खोजने या सत्यापित करने या आनुवंशिक वंशावली के भाग के रूप में (कम विश्वसनीयता के साथ) किसी व्यक्ति के जातीय मिश्रण का अनुमान लगाने के लिए तथा किसी व्यक्ति के जीनोम (Genome) के विशिष्ट स्थानों को देखता है। वंशावली DNA परीक्षण मुख्य रूप से तीन प्रकार का है। पहला ऑटोसोमल (Autosomal) गुणसूत्र परीक्षण, जो कि कोशिकाओं में स्थित 22 गुणसूत्रों तथा X गुणसूत्र पर केंद्रित है। इसमें परीक्षण किये जाने वाले X गुणसूत्र एक विशेष वंशानुक्रम का अनुसरण करते हैं। दूसरा Y-DNA परीक्षण जिसमें Y गुणसूत्र को केन्द्रित किया जाता है। इसका उपयोग केवल पुरुषों द्वारा उनकी प्रत्यक्ष पैतृक पीढ़ी का पता लगाने के लिए किया जाता है। तथा तीसरा mtDNA परीक्षण जो कि माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) में स्थित DNA पर केंद्रित है। एक आनुवांशिक परीक्षण एक बीमारी या बीमारी के संभावित परिणाम की भविष्यवाणी कर सकता है लेकिन इसकी प्रकृति नैदानिक नहीं है। एक नैदानिक परीक्षण बताएगा कि क्या रोगी में रक्त शर्करा का स्तर अधिक है? लेकिन एक आनुवांशिक परीक्षण जीन में हो रहे उस उत्परिवर्तन का परीक्षण करेगा, जो कि व्यक्ति के मधुमेह के विकास के जोखिम को बढ़ाता है। भारत में उपभोक्ता प्रत्यक्ष परीक्षण कंपनियों ने अल्प समय में ही तेजी से वृद्धि की है, जो कि ग्राहकों को कई भावी सूचक आनुवंशिक परीक्षण प्रदान कर रहे हैं, जिन्हें ग्राहक ऑनलाइन (Online) खरीद सकते हैं। कंपनी ग्राहक को एक परीक्षण किट भेजती है, तथा ग्राहक DNA नमूनों को वापस कंपनी को भेजता है। ग्राहक अपनी उंगली को थोड़ा सा चुभाकर उससे निकले रक्त नमूने को प्रयोगशाला में भेज सकता है। इसके बाद उस रक्त नमूने से DNA निकाला जाता है तथा जीन और जैविक मार्कर (Biological Markers) में उत्परिवर्तन देखने के लिए उसे परिवर्धित किया जाता है ताकि व्यक्ति में कुछ बीमारियों के विकास के जोखिम की जांच की जा सके।