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गोंड जनजाति द्वारा बनाई गई कलाकृतियाँ और चित्रकारी आज भी विश्वभर में लोकप्रिय है। गोंड पारंपरिक चित्र जो दस साल पहले तक मात्र 150 से 200 रुपये में बिकते थे आज उनकी कीमत 2000 से 5000 तक हो गई है। इस लोकप्रियता का श्रेय मुख्य रूप से इंटरनेट (Internet) और ई-कोमर्स प्लेटफॉर्म (E-Commerce Platforms) को जाता है। जिसकी सहायता से गोंड समुदाय द्वारा बनाई गई सुंदर चित्रकारी दुनिया के कोने-कोने तक आसानी से पहुँचाई जाती है। इस कला को ऊँचाइयों तक पहुँचाने वाले कलाकारों में कुछ नाम प्रसिद्ध हैं जैसे राजेंद्र श्याम, 39, जिन्होंने 2009 में नॉटिंघम की न्यू आर्ट एक्सचेंज गैलरी (Nottingham's New Art Exchange Gallery) में और उसके बाद 2011 में लंदन के हॉरमन आर्ट गैलरी (The Horniman Art Gallery in London) में अपनी कला का प्रदर्शन किया। इनके अलावा वेंकट रमन सिंह श्याम ने कनाडा की नेशनल गैलरी (The National Gallery of Canada) में सखाह एन इंटरनेशनल स्वदेशी कला प्रदर्शनी (The Sakahà n International Indigenous Art exhibition) में 'स्मोकिंग ताज' (Smoking Taj) का प्रदर्शन किया। जिसमें उन्होंने मुंबई के ताजमहल पैलेस होटल में 26/11 के आतंकवादी हमले की छवि प्रस्तुत की।
ऐसा कहा जाता है कि गोंड चित्रकारी ऑस्ट्रेलिया (Australia) के आदिवासी कलाकारी से मिलती जुलती है। गोंड समुदाय की पहचान इतिहास में दर्ज उनके पारंपरिक टैटू, परिधान, संगीत, कला और चित्रों से होती है। गोंड कलाकारी के प्रमुख प्रेरणा स्त्रोतों में प्रकृतिक परिवेश, भारतीय मिथक और किंवदंतियां आदि प्रमुख हैं। समुदाय के लोगों के जीवन, भावनाओं, स्वप्नों और कल्पनाओं की छवि भी इनकी चित्रकारी में दिखाई पड़ती है। गोंड पेंटिंग (Paintings) में विभिन्न चमकीले, उज्ज्वल और गहरे रंगों के लिए आमतौर पर प्राकृतिक तत्वों जैसे लकड़ी के कोयला, रंगीन मिट्टी, पौधे की छाल, फूल, पत्तियों और यहां तक कि गाय के गोबर का भी इस्तेमाल किया जाता है। चुई की मिट्टी से पीला रंग, घेरु की मिट्टी से भूरा रंग और पत्तियों से हरा रंग प्राप्त किया जाता है। यह रंग इन चित्रकलाओं को और भी अधिक अनूठा और सुंदर बनाते हैं।
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