कोरोना वायरस का बढ़ता डर और इससे हुआ विस्थापन

बैक्टीरिया, प्रोटोज़ोआ, क्रोमिस्टा और शैवाल
27-03-2020 03:15 PM
कोरोना वायरस का बढ़ता डर और इससे हुआ विस्थापन

कोरोना आज मानव जाति और सभ्यता के लिए एक अभिशाप के रूप में निकल कर सामने आया है। यह बीमारी एक वाइरस (Virus) से होती है जो कि चीन के वुहान नामक शहर से पैदा हुयी थी। आज वर्तमान समय में यह बीमारी पूरी दुनिया भर में फ़ैल चुकी है तथा इसने हज़ारों की संख्या में लोगों की जान ली है। भारत जैसा कि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, तो यहाँ पर यह खतरा अत्यंत ही बड़े स्तर पर फ़ैल सकता है तथा यहाँ पर यह लाखों की संख्या में लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है। ऐसे में कई प्रकार की चिंता यहाँ के लोगों में व्याप्त हो गयी। पिछले कुछ दिनों से बड़ी संख्या में प्रवासी कामगारों ने अलग-अलग शहरों से पलायन करना शुरू कर दिया।

हम सब को पता है कि भारत की एक बहुत बड़ी आबादी मुंबई, दिल्ली, कलकत्ता जैसे शहरों में निवास करती है, तथा उसमें से एक बड़ी संख्या मजदूर वर्ग की है। पिछले कुछ दिनों में हज़ारों की संख्या में लोग ट्रेन स्टेशन (Train Station) पर लम्बी कतार लगा कर खड़े दिखे थे। ये लोग अपने मूल शहर जाने के लिए धक्का मुक्की कर रहे थे। यह वाक्य इस लिए ज़रूरी हो जाता है क्यूंकि यह रोग एक महामारी की तरह से फ़ैल रहा है और इसने भारत में अपनी पकड़ मज़बूत कर ली थी। लोगों के पलायन करने के पीछे तीन मुख्य डर थे, पहला यह कि जिस तेज़ी से यह वाइरस फ़ैल रहा है, उसने लोगों में एक दहशत का माहौल पैदा कर दिया। इसके अलावा दूसरा बिंदु यह था कि इस वाइरस के कारण अर्थव्यवस्था में अवरोध हो गया जिसके कारण रोज़गार के भी कई आयाम बंद हो गए और लोगों की मजदूरी कम हो गयी। तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण कारण था रेल सेवाओं का ठप्प होना। यह संभावना तेज़ होना शुरू हो गयी थी कि रेल सेवायें बंद हो जाएंगी और उन आशंकाओं पर तब आंशिक रूप से सत्यता का प्रमाण मिला जब रविवार को यह आदेश आया कि रेल सेवायें 31 मार्च 2020 तक पूर्ण रूप से बंद रहेंगी। इन सभी कारणों ने लोगों को अत्यन्त ही दुविधा में डाल दिया और लोगों ने बड़ी संख्या में पलायन करना शुरू कर दिया।

भारत, नेपाल और बंगलादेश से करीब 3 करोड़ लोग विदेशों में भी नौकरी के लिए जाते हैं। ऐसी स्थिति में यह एक विषय विचार करने योग्य बन गया है कि वे किस प्रकार से भविष्य के संकटों से आगे बढ़ेंगे। शहर में यह वाइरस भारी मात्रा में फैला हुआ है। अब प्रवास से यह खतरा बढ़ जाता है कि गाँवों में भी यह रोग बढ़ना शुरू कर देगा और इससे बड़ी संख्या में लोग जन जीवन प्रभावित होगा। भारत में बाहर जाने वाले मजदूर वर्ग के लिए यह एक संकट तब बन जाता है जब काम न होने पर कोई कुछ आम सुविधायें भी हासिल न कर पाए। ऐसे समय में प्रवास से एक बात तो ज़रूर साफ़ हो जाती है कि इसके दुष्परिणाम ही हमें देखने को मिलेंगे। विश्व की आर्थिक स्थिति में भी भारत का एक महत्वपूर्ण योगदान है जिनमें यहाँ के मजदूर वर्ग भी हैं। अब ऐसे प्रवास से आर्थिक तंगी की ओर सब बढ़ेंगे ही।

सन्दर्भ :
1.
http://www.millenniumpost.in/big-stories/as-migrant-workers-return-home-how-different-states-are-feeling-the-pinch-406181
2.https://www.aljazeera.com/news/2020/03/coronavirus-travel-bans-hit-south-asia-migrant-workers-200320160840164.html
3.https://reut.rs/2UaT6eu
4.https://bit.ly/3aaDCNq

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