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आवाजें और रौशनी ख़ुशी की भावना को अभिव्यक्त करने का सबसे बेहतर माध्यम होती हैं। उदारहण के लिए जब
भी हमें कोई अनपेक्षित खुशखबरी दी जाती है तो, हम ख़ुशी के मारे जोर-जोर से चिल्लाने लगते हैं, अथवा आमतौर
पर लोग मित्र के विवाह के शुभअवसर पर रंगीन आतिशबाजियों से आसमान को जगमगा देते हैं। हालांकि शोर
अथवा रौशनी करके अपनी ख़ुशी जाहिर करना कोई अपवाद नहीं है, लेकिन यदि हमारी ख़ुशी जाहिर करने का तरीका
पर्यावरण अथवा किसी व्यक्ति के जीवन के लिए अभिशाप बन जाए, तो यह निश्चित रूप से अस्वीकार्य एवं निंदनीय
है।
आश्चर्य की बात नहीं है कि आतिशबाज़ी की प्रकृति क्षणिक होती है, अर्थात वातावरण में केवल कुछ मिनटों अथवा
घंटों तक ही आतिशबाज़ी का खेल चलता है। लेकिन आतिशबाजी इतने कम समय में हमारे वायुमंडल को चरम स्तर
तक प्रदूषित कर सकती है। दरसल रंगबिरंगी आतिशबाज़ी के लिए हम पटाखों अथवा रॉकेट के रूप में विभिन्न
रासायनिक यौगिकों का प्रयोग करते हैं। उदाहरण के तौर पर हवा में जलने पर लिथियम लवण गुलाबी और सोडियम
लवण पीले रंग का उत्पादन करते हैं, वैज्ञानिकों के अनुसार जब आतिशबाजी बंद हो जाती है, तो धातु के लवण और
विस्फोटक एक रासायनिक प्रतिक्रिया से गुजरते हुए हवा में धुआं और गैस छोड़ते हैं। इसमें कार्बन डाइऑक्साइड,
कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन-तीन बेहद हानिकारक ग्रीनहाउस गैसें शामिल हैं, जो दुर्भाग्य से जलवायु
परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं। विस्फोट के दौरान, ये धातु लवण 'जलते नहीं हैं। चूकि वे अभी भी धातु के परमाणु ही
होते हैं, और उनमें से कई एरोसोल के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं, जो हवा, पानी और मिट्टी को जहरीला कर देते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार यह एरोसोल साँस लेने की प्रकिया के दौरान हमारे शरीर के भीतर प्रवेश कर जाते हैं। जिसके
पश्चात् हमारे शरीर पर हानिकारक असर दिखते हुए, यह धातुएँ उल्टी, दस्त या अस्थमा से लेकर गुर्दे की बीमारी,
कार्डियोटॉक्सिक प्रभाव और विभिन्न प्रकार के कैंसर जैसी बीमारियां पैदा कर सकती हैं।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायरनमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ (International Journal of Environmental
Research and Public Health) में प्रकाशित एक अध्ययन ने विभिन्न अवसरों पर आतिशबाजी के प्रदर्शन के
कारण सूक्ष्म कणों के साथ-साथ सह-प्रदूषक (जैसे ट्रेस धातु और पानी में घुलनशील आयन) की उच्च सांद्रता का
अध्ययन किया। उन्होंने पाया की मुख्य रूप से, इसमें वायुगतिकीय व्यास में 2.5 माइक्रोमीटर से कम कण पदार्थ
शामिल होते हैं। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) के अनुसार यह कण आपके फेफड़ों और रक्त प्रवाह में आसानी से
प्रवेश करने में सक्षम होते हैं, और स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा पैदा करते हैं। अध्ययन में ज्ञात हुआ की
राष्ट्रीय छुट्टियों और त्योहारों के दौरान या उसके कई दिन पहले या बाद तक के दिनों में भी PM2.5 सांद्रता सामान्य
स्तर से 2 से 10 गुना अधिक" रहती हैं। जिससे हमारे ग्रह और लोगों दोनों को भारी स्वास्थ्य नुकसान होता है।
पटाखों को जलाने से न केवल बहुत वायु एवं ध्वनि प्रदूषण होता है, बल्कि बुझ जाने के पश्चात् वे पर्यावरण को भी
नुकसान पहुंचाते हैं।