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हाल ही में तेलंगाना में कुछ तस्करों को 330 से अधिक नदी वाले कछुओं के साथ पकड़ा गया
था। इन तस्करों ने कछुओं को लखनऊ के पास गोमती नदी से प्राप्त किया था, जिन्हें पालतू
जानवर के रूप में बेचा जा रहा था। किंतु सौभाग्य की बात है, कि कछुओं को वापस गोमती
नदी में पहुंचा दिया गया। अक्सर यह दिखाया जाता है, कि कछुओं को पालतू जानवर के रूप में
रखना एक एक्वैरियम में मछलियों को रखने जैसा ही सरल और सस्ता है, लेकिन यह धारणा
बिल्कुल गलत है।
कछुओं की कई प्रजातियों को रखना आपको महंगा पड़ सकता है, क्यों कि कछुओं की कई
प्रजातियों को पालना जहां वैध नहीं है, वहीं कई प्रजातियों को घर में लाने के साथ कई दिक्कतें
भी आपके घर आ सकती हैं। जैसे कुछ कछुए साल्मोनेला बैक्टीरिया (Salmonella) को वहन
करते हैं।वास्तव में, साल्मोनेला के प्रसार को रोकने के लिए 1975 में छोटे कछुओं को बेचने पर
प्रतिबंध लगा दिया गया था। साल्मोनेला छोटे बच्चों में गंभीर बीमारी का संचार कर सकते हैं।
कछुए लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं। यदि ठीक से रखरखाव किया जाए,तो कुछ कछुए
दशकों तक (मनुष्यों से भी अधिक समय तक) जीवित रह सकते हैं और एक फुट लंबे हो सकते
हैं।यदि पालतू कछुओं को जंगल में छोड़ दिया जाए,तो पालतू कछुए अन्य कछुओं की स्थानीय
आबादी के लिए खतरा हो सकते हैं।इसके अलावा कछुओं को एक कमरे जितने स्थान की
आवश्यकता होती है, यदि आप कोई कछुआ घर लाते हैं, तो आपको उसके लिए एक बड़े स्थान
की आवश्यकता होगी। किसी भी कछुआ प्रजाति को खरीदते समय आपको कुछ बातों की
जानकारी का होना बहुत जरूरी है। जैसे कछुए को हर साल सैकड़ों डॉलर के रखरखाव की
आवश्यकता होती है।कछुए बहुत लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं, अक्सर 25 साल से
अधिक, इसलिए आपको कछुए की उसके पूरे जीवन भर देखभाल के लिए तैयार रहना
होगा।कछुओं को ताजा, साफ पानी और बिस्तर की जरूरत होती है। इसलिए आपको अपने कछुए
की देखभाल के लिए प्रतिदिन कम से कम आधे घंटे का समय अवश्य निकालना होगा। अगर
आप कहीं बाहर जाते हैं, तो आपको अपने कछुए की देखभाल में मदद करने के लिए किसी
अन्य व्यक्ति को ढूंढना होगा।यदि आप कोई कछुआ खरीदना चाहते हैं,तो आपको प्रजातियों को
ध्यान से चुनने की आवश्यकता होती है, क्यों कि सभी प्रजातियां पालने में उपयुक्त नहीं होती
हैं।
भारत में कछुओं की कुछ प्रजातियों को अपने स्वामित्व में रखना वैध नहीं है। चूंकि, भारत में
अधिकांश लोगों को कछुओं की कुछ प्रजातियों के बीच का अंतर नहीं पता है, इसलिए कोई भी
अज्ञानता के कारण लुप्तप्राय प्रजातियों को खरीद सकता है, या उन्हें अपने पास रख सकता है।
इंडियन स्टार कछुआ (Indian Star Tortoise) और रेड ईयर स्लाइडर (Red Ear Slider) कुछ
प्रकार के सरीसृपों में से हैं, जिन्हें एक अपार्टमेंट जैसे स्थान में नहीं पाला जा सकता है और
इन्हें अपने स्वामित्व में रखना अवैध है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि "रेड ईयर स्लाइडर"
कछुआ भारत का मूल निवासी नहीं है, लेकिन शुरुआत में इसे एक पालतू जानवर के रूप में
भारत में निर्यात किया गया था।अनजान पालतू जानवरों के मालिक और कमजोर कानून रेड
ईयर स्लाइडर के प्रसार की सुविधा प्रदान कर रहे हैं, जो पूरे भारत में जल निकायों में पाए जाने
वाले एक आक्रामक कछुए की प्रजाति है। यह विदेशी,आक्रामक कछुआ भारत में मीठे पानी के
कछुओं की 29 देशी प्रजातियों के लिए खतरा है।
इन कछुओं की उत्पत्ति मिसिसिपी (Mississippi) नदी और मैक्सिको (Mexico) की खाड़ी में हुई
थी। 1989 और 1997 के बीच अमेरिका में किसानों और पालतू व्यापारियों ने अवैध रूप से
भारत सहित दुनिया भर के विभिन्न देशों में लाखों रेड ईयर स्लाइडर निर्यात किए।कहते हैं कि
यह प्रजाति बिना भोजन के महीनों तक जीवित रह सकती है,संसाधनों की कमी होने पर यह
अपने चयापचय को धीमा कर देती है।इसके अलावा, ये सरीसृप मछली, कीड़े, वनस्पति और यहां
तक कि मानव स्नैक्स जैसे आलू के चिप्स सहित कई तरह के भोजन खाती है। जैसे-जैसे उनकी
संख्या में विस्फोट हो रहा है, वैसे-वैसे कछुओं की देशी प्रजातियां पीड़ित हो रही हैं।
हर साल उत्तर प्रदेश से लगभग 20,000 कछुओं की तस्करी की जाती है,जिससे सरीसृपों की
आबादी में तेजी से गिरावट आ रही है।कछुए का खोल एक चमत्कारिक चीज है,जो इसे एक
शिकारी से बचाता है, किंतु यह इसकी सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीं है।शिकारी इनके नरम मांस
और अन्य लाभ के लिए इनका शिकार करते हैं। यही कारण है, कि कई स्थानों में इन्हें पालना
वैध नहीं है।यदि आप कछुओं को पालने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं, तो पालतू कछुआ न
खरीदें। जब कछुओं को आवश्यकतानुसार देखभाल नहीं मिल पाती है, तो इसकी वजह से कई
कछुओं की मौत हो जाती है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3o2T6wk
https://bit.ly/3DagIDC
https://bit.ly/3E6xrsq
https://bit.ly/3pcyzoe
https://bit.ly/3pcyEbw
https://bit.ly/32xwVWy
https://bit.ly/3pdWXpL
चित्र संदर्भ
1. केमैन टर्टल फ़ार्म के एक टैंक में युवा हरे समुद्री कछुए को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. चीनी सोफ़शेल कछुआ एशिया में सबसे आम खेती वाला कछुआ है, जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. दक्षिण चीन में पूल से बाहर निकलते कछुओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. फार्म में तैरते कछुओं को दर्शाता एक चित्रण (flickr)