दिव्यांगता बाधा नहीं, एक अवसर है खुद को अलग साबित करने का

अवधारणा II - नागरिक की पहचान
18-09-2018 02:58 PM
दिव्यांगता बाधा नहीं, एक अवसर है खुद को अलग साबित करने का

आमतौर पर भारत में दिव्यांगों के प्रति दो तरह की धारणाएं देखने को मिलती हैं। पहली कि जो व्यक्ति दिव्यांग है उसने कोई बुरे कर्म किए होंगे तो वह उनकी सज़ा झेल रहा है या उनका जन्म ही कठिनाइयों को सहने के लिए हुआ है। उल्लेख करने की ज़रूरत नहीं है कि ये बातें काफी मूर्खता भरी हैं। लेकिन आज जन जागरूकता में वृद्धि और शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण में सुधार के कारण समाज के लोगों की सोच में काफी परिर्वतन हुआ है। आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसे दिव्यांगों के बारे में जो अपनी काबिलियत से समाज में कई दिव्यांगों और समाजिक लोगों के समक्ष एक प्रेरणा का स्रोत बने हैं।

हम में से अधिकांश लोगों ने मशहूर ‘हेलेन केलर’ का नाम सुना होगा। यह पहली महिला थी जिसने दृष्टिहीनता एवं बधिरता जैसी दोहरी दिव्यांगता के बावजूद न केवल अपना जीवन सफल बनाया, बल्कि अपने जैसे लाखों लोगों के लिए भी कार्य कर उनके लिए प्रेरक मिसाल बनीं। इन्होंने दृष्टिहीन एंव बधिर होने के बावजूद लेखक, कार्यकर्ता, व्याख्याता, शांतिवादी, कट्टरपंथी समाजवादी, और जन्म नियंत्रण समर्थकता जैसे क्षेत्रों में अद्भुत मिसाल कायम की जो किसी साधारण व्यक्ति के लिए संभव नहीं है। वह 22 वर्ष की उम्र में अपनी जीवनी "द स्टोरी ऑफ माई लाइफ" लिखने वाली पहली दृष्टिहीन एंव बधिर व्यक्ति थीं। 1953 में हेलेन केलर भारत आईं, तब उन्होंने प्रधान मंत्री नेहरू, डा. राधा कृष्णन और दिल्ली के नेत्रहीन नागरिकों से मुलाकात की और उन लोगों को प्रेरणादायक भाषण भी दिया।

वहीं महाराष्ट्र के एक गांव में रह रही रीमा प्रजापति की दो बेटियां (ज्योति और आरती) सुन नहीं सकती। रीमा को आपनी बेटियों को पढ़ाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। अपनी दोनो बेटियों को शिक्षा प्रदान करने के लिए वह मुंबई भी चली गईं क्योंकि भारत में दिव्यांगों के लिए सिर्फ 388 विद्यालय हैं।

नई दिल्ली में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के शोध के अनुसार, लगभग 6.3 प्रतिशत आबादी में सुनने में कुछ ना कुछ समस्या देखने को मिलती है।

विभिन्न भाषाओं वाले देश भारत ने एक आधिकारिक, मानकीकृत साइन लैंग्वेज (Sign Language) को अपनाने के लिए काफी संघर्ष किए हैं, जैसे 1960 के दशक में अमेरिका ने अमरीकी साइन लैंग्वेज (ए.एस.एल.) को अपनाने के लिए किए थे। भाषाओँ का गढ़ होने के कारण भारत के विभिन्न क्षेत्रों में साइन लैंग्वेजों में काफी भिन्नताएं हैं। जैसे भारत-पाकिस्तानी साइन लैंग्वेज (आई.पी.एस.एल.) को दक्षिण एशिया में इस्तेमाल किया जाने वाला प्रमुख प्रकार माना जाता है तथा भारतीय साइन लैंग्वेज के कई प्रकार हैं जैसे, दिल्ली साइन लैंग्वेज, बॉम्बे साइन लैंग्वेज, कलकत्ता साइन लैंग्वेज, और बैंगलोर-मद्रास साइन लैंग्वेज आदि और इन सबकी अपनी विशिष्ट वाक्य रचना और व्याकरण हैं।

आज भारत में राष्ट्रीय, राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर बधिरों के लिए कई महत्वपूर्ण संगठन हैं। लेकिन भारत में केवल 2% बधिर बच्चे स्कूल जाते हैं। यह समूह हर सितंबर में बधिरों के वार्षिक दिवस जैसे अभियानों और महत्वपूर्ण सेवाओं का आयोजन करते हैं।

कुछ प्रमुख संगठन :-
• नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ दी डेफ (नई दिल्ली)
• अली यवार जंग नेशनल इंस्टीटूशन फॉर द हियरिंग हैंडीकैप्ड (मुंबई)
• आल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ दी डेफ (नई दिल्ली)
• बिहार एसोसिएशन ऑफ द डेफ (पटना)
• डेफ कैन एसोसिएशन (भोपाल)
• दिल्ली एसोसिएशन ऑफ द डेफ (नई दिल्ली)
• दिल्ली फाउंडेशन फॉर डेफ वूमेन (नई दिल्ली)
• वेस्ट बंगाल सोसायटी फॉर द डेफ (कोलकाता)
• मद्रास एसोसिएशन ऑफ द डेफ (चेन्नई)
• तमिलनाडु स्टेट फेडरेशन ऑफ़ द डेफ (चेन्नई)
• आल इंडिया स्पोर्ट्स कॉउन्सिल ऑफ़ द डेफ (नई दिल्ली)

कुछ प्रमुख शैक्षणिक संस्थाएं :-
• सोसाइटी फॉर द एजुकेशन ऑफ़ द डेफ एंड ब्लाइंड (आंध्र प्रदेश)
• वेलफेयर सेंटर फॉर हियरिंग एंड स्पीच हैंडीकैप्ड (हरियाणा)
• सेंट्रल सोसाइटी फॉर द एजुकेशन ऑफ़ द डेफ (महाराष्ट्र)
• एजुकेशन ऑडियोलॉजी एंड रिसर्च सोसाइटी (महाराष्ट्र)
• ओरल एजुकेशन फॉर द हियरिंग इम्पेएरड (महाराष्ट्र)
• बाधित बाल विकास केंद्र (राजस्थान)

क्या आप जानते हैं, विकलांग व्यक्तियों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश (15.5%) राज्य में है। वहीँ महाराष्ट्र में 11.05%, बिहार में 8.69%, आंध्र प्रदेश में 8.45% और पश्चिम बंगाल में 7.52% व्यक्ति विकलांग हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विकलांग बच्चों की संख्या (0-6 साल) में सबसे आगे है।

भारत में अक्षम आबादी पर एक नज़र डालें:

संदर्भ-
1.https://www.verywellhealth.com/deaf-community-india-1048923
2.https://www.npr.org/sections/goatsandsoda/2018/01/14/575921716/a-mom-fights-to-get-an-education-for-her-deaf-daughters
3.http://www.playrific.com/z/20548
4.http://www.playrific.com/m/20548/helen-keller-visits-india
5.https://www.indiatoday.in/education-today/gk-current-affairs/story/helen-keller-lesser-known-facts-11692-2016-06-27
6.http://mospi.nic.in/sites/default/files/publication_reports/Disabled_persons_in_India_2016.pdf

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