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यदि फलों के राजा का नाम पूछा जाये तो यह किसे नहीं पता होगा? आखिर आम है ही ऐसी चीज़, क्या बच्चे, क्या बूढ़े, सभी को आम और उसके स्वाद के बारे में पता ही होगा। आम एक ऐसा फल है जिसे लगभग सभी ने खाया होगा। यह फल अपने स्वाद और अपने से जुड़े अनेकों अन्य पकवानों के लिए भी जाना जाता है जैसे कि आम रस, आम पापड़, अचार आदि।
उत्तर प्रदेश में आम बड़ी संख्या में पाया जाता है तथा दशहरी, लंगड़ा आदि यहाँ की प्रमुख नस्लें हैं। यदि मेरठ की बात करें तो यह कहना कदाचित गलत नहीं होगा कि यहाँ आम बाज़ारों में तो उपलब्ध हैं परन्तु यहाँ के बगीचों से इसका लोप हो गया। अमरुद भी एक ऐसा फल है जो कि अपने स्वाद के लिए जाना जाता है। अमरुद सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है तथा इसकी विभिन्न नस्लें भी आती हैं जैसे कि लाल, इलाहाबादी आदि।
अमरुद औषधीय गुणों से परिपूर्ण फल होता है जिसका वर्णन विभिन्न आयुर्वेद की पुस्तकों में किया गया है। जो हाल ऐ आम मेरठ में आमों का है, वही अमरूदों का है। अमरूदों, आमों और ना जाने कितने ही फलों की संख्या यहाँ पर कम होना शुरू हो गयी जबसे इस क्षेत्र में विदेशी फूलों और पौधों का आगमन हो गया है। विदेशी फूलों की खेती का आगमन यहाँ होने के बाद यहाँ पर पाए जाने वाले पौधों और फलों का लोप हो गया।
उत्तर भारत में सर्दियाँ शुरू होने वाली हैं। ऐसे में किसानों के लिए कई ऐसे मौके हैं जिनका फायदा उठा कर वे उनसे मोटी कमाई भी कर सकते हैं। ठंडियों में मौसम शुष्क और नमी वाला होता है जो कि विभिन्न पौधों की रोपाई और फलों के आगमन के लिए अत्यंत ही उपयुक्त है। आइये जानते हैं कि हम किन फसलों को सर्दियों में उगा सकते हैं?
अमरुद सर्दियों के समय में फल देने वाला पौधा है जो कि एक अच्छी कमाई देने में भी सफल होता है। सेब एक अन्य फल है जो कि सर्दियों में उगाया जा सकता है परन्तु यह मेरठ के जलवायु से मेल नहीं खाता है अतः यह यहाँ नहीं उग सकता है। केले की खेती एक उत्तम विचार है जो कि मेरठ की सर्दियों में उगाया जा सकता है। केला एक उपयुक्त फसल है जो कि एक अच्छा मुनाफा पंहुचाने योग्य है। अब जब केले की बात आई है तो उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित बाराबंकी जिले के एक गाँव दौलतपुर का ज़िक्र करना अत्यंत ही महत्वपूर्ण हो जाता है।
इस गाँव के निवासी राम सरन वर्मा जो कि उत्तर प्रदेश के हाई टेक (High Tech) किसान के रूप में जाने जाते हैं, ने केले की खेती से ही करीब 3-4 लाख रूपए महीने की आमदनी बनाई है। उन्होंने ऊतक संवर्धन का सहारा लेकर केले की खेती करना शुरू किया। ऊतक संवर्धन पौधे के सेल (Cell) के अन्दर के फेरबदल को कहते हैं। इससे केले का आकार, प्रकार और उसकी गुणवत्ता बढ़ती है। एक एकड़ में इसकी खेती के लिए करीब 1 लाख रूपए की लागत आती है और इससे करीब 4 गुना ज़्यादा मुनाफा आता है, वह भी मात्र 14 माह के अन्दर। लाल केले की खेती भी एक अच्छे फायदे का सौदा है और यह केला बाज़ार में अच्छी कीमत पर बिकता है। लाल केला करीब 18 महीने में तैयार होता है तथा यह करीब 80-100 रूपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता है। और वहीं साधारण केले मात्र 15 रूपए प्रति किलो के हिसाब से बिकते हैं। स्ट्राबेरी (Strawberry) की खेती भी ठण्ड के मौसम में की जा सकती है। अंगूर, सीताफल, अनानास, चीकू, नाशपाती, पपीता आदि भी ऐसी फसलें हैं जिनसे एक अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
संदर्भ:
1. https://www.thebetterindia.com/165736/uttar-pradesh-banana-farmer-news/
2. https://morningchores.com/winter-fruits/
3. https://www.fruitizm.com/blog/list-of-seasonal-fruits-in-india
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://www.needpix.com/
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