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हमारे शहर की तंग गलियों से लेकर नवाबी इमारतों तक, इस शहर की पहचान सिर्फ़ इसकी तहज़ीब और तमीज़ से नहीं, बल्कि यहाँ के लोगों की सेहत से भी जुड़ी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी शहर के हर चौक-चौराहे, हर गली-मोहल्ले में एक खामोश बीमारी चुपचाप पैर पसार रही है? इस बिमारी का नाम है "उच्च रक्तचाप, यानी हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)।" यह बीमारी अक्सर बिना किसी चेतावनी के शरीर को अपनी गिरफ़्त में ले लेती है। इसके लक्षण इतने मामूली और सामान्य होते हैं कि ज़्यादातर लोगों को इसका एहसास तक नहीं होता। लेकिन अगर इसे नजरअंदाज़ किया जाए, तो यह दिल के दौरे (Heart Attack) और स्ट्रोक (Stroke) जैसी जानलेवा स्थितियों का कारण बन सकती है। हर साल लखनऊ में हज़ारों लोग इस 'साइलेंट किलर' (silent killer) की चपेट में आ रहे हैं। खासकर जब उम्र 35 के पार पहुंचती है, तो इसका ख़तरा और भी बढ़ जाता है। लखनऊ मेडिकल कॉलेज और शहर के विभिन्न अस्पतालों की रिपोर्ट्स इस बात की पुष्टि करती हैं कि यह केवल एक स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि एक व्यापक सामाजिक चुनौती बन चुकी है। इसके बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सरकार और स्थानीय संगठनों ने सक्रिय कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन, स्कूलों में जागरूकता अभियान और मोहल्ला सभाओं के माध्यम से लोगों को नियमित जांच कराने की सलाह दी जा रही है। आज के इस लेख में हम भारत में तेज़ी से बढ़ते उच्च रक्तचाप के मामलों को गहराई से समझने की कोशिश करेंगे। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, और उसमें भी लखनऊ में इस समस्या की गंभीरता पर चर्चा करेंगे। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि इस संकट से निपटने के लिए सरकार और सामाजिक संगठनों द्वारा क्या प्रयास किए जा रहे हैं। अंत में, हम समझेंगे कि 'विश्व उच्च रक्तचाप दिवस' क्यों महत्वपूर्ण है, और यह दिन कैसे वैश्विक स्तर पर लोगों को सचेत करने का काम करता है।
उच्च रक्तचाप होता क्या है?
अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ कार्डियोलॉजी (ACC) के अनुसार, अगर सिस्टोलिक प्रेशर 130 mmHg या उससे ज़्यादा और/या डायास्टोलिक प्रेशर 80 mmHg से ऊपर है, तो यह उच्च रक्तचाप माना जाता है। भारत उच्च रक्तचाप के एक ऐसे खतरनाक स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है, जो हर साल लाखों ज़िंदगियों को ख़तरे में डाल रहा है। देश में 30 से 79 वर्ष की आयु के लगभग 188.3 मिलियन वयस्क इस "साइलेंट किलर" से प्रभावित हैं, और ये संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। हालाँकि भारत में उच्च रक्तचाप का प्रचलन वैश्विक औसत 31% से थोड़ा कम है, लेकिन इसकी बढ़ती गति गंभीर चिंता का कारण है। अगर अभी ठोस कदम न उठाए गए, तो स्थिति और भयावह हो सकती है।
भारत को ज़रूरत है कि हम 67 मिलियन अतिरिक्त मरीज़ों तक प्रभावी इलाज पहुँचाए, ताकि हम 50% नियंत्रण दर हासिल कर सकें। अगर हम अभी सही दिशा में आगे बढ़ें, तो 2040 तक 4.6 मिलियन मौतों को टाला जा सकता है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि भारत में लगभग 80% मरीज़ो को सही इलाज नहीं मिल रहा। लेकिन अगर समय पर और सही इलाज दिया जाए, तो 2050 तक 76 मिलियन मौतें, 120 मिलियन स्ट्रोक, 79 मिलियन हार्ट अटैक और 17 मिलियन हार्ट फेल्योर को रोका जा सकता है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-6 ने यह गंभीर चेतावनी दी है कि उत्तर प्रदेश में हर चार में से एक व्यक्ति उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। ये आंकड़े सिर्फ़ नंबर नहीं, बल्कि एक तेज़ी से बढ़ते स्वास्थ्य खतरे की गूंज हैं। उच्च रक्तचाप को यूं ही "साइलेंट किलर" नहीं कहा जाता! यह चुपचाप हमारे दिल, दिमाग, आंखों और गुर्दों जैसे अहम अंगों को नुकसान पहुंचाता है, और कई बार इसका पता तब चलता है जब बहुत देर हो चुकी होती है।
सबसे खतरनाक पहलू ये है कि अधिकतर लोग अपनी स्थिति से अनजान रहते हैं, जिससे उनका जोखिम स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसी गंभीर स्थितियों के लिए और भी बढ़ जाता है। भारत सरकार (IHCi) जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए इस संकट से निपटने के लिए तेज़ी से काम कर रही है, ताकि 2025 तक 75 मिलियन लोगों को बेहतर और मानक स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
चौंकाने वाली बात यह भी है कि अब सिर्फ़ वयस्क ही नहीं, 15–20% बच्चे भी उच्च रक्तचाप की चपेट में आ रहे हैं। ये संकेत हैं कि यह अब सिर्फ़ एक बीमारी नहीं, बल्कि एक वैश्विक स्वास्थ्य आपदा बनता जा रहा है। जो लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं, उनके लिए हृदय रोगों का खतरा दोगुना हो जाता है। यह धीरे-धीरे शरीर के सबसे अहम हिस्सों को निशाना बनाती है, और जब तक इसके लक्षण सामने आते हैं, तब तक शरीर गहरी चोट खा चुका होता है। आज की बदलती दुनिया में किशोरों की जीवनशैली एक गंभीर मोड़ पर पहुँच गई है, जहाँ शारीरिक गतिविधियाँ तेज़ी से घट रही हैं, और हेल्दी खानपान की जगह अस्वस्थ आदतों ने ले ली है।
फल और सब्ज़ियों का सेवन लगातार कम हो रहा है, जबकि तंबाकू और नशीली चीज़ों का सेवन खतरनाक रूप से बढ़ रहा है। यही नहीं, मोटापा, घंटों बैठे रहने की आदत और नशे की लत अब किशोरों में उच्च रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारियों का बड़ा कारण बन रही है। पहले जो सिर्फ़ वयस्कों की बीमारी मानी जाती थी, आज वह प्राथमिक उच्च रक्तचाप बच्चों में भी सामने आ रही है! यह बदलाव वाकई चौंकाने वाला और चिंता का विषय बन गया है। भारत इस समय एक और बड़े संकट से जूझ रहा है! देश में लगभग 22 करोड़ वयस्क उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। लेकिन आज भी इस बीमारी के निदान, इलाज और नियंत्रण के बीच एक गहरी खाई बनी हुई है। और इस खाई की सबसे बड़ी वजह है जागरूकता की कमी।
इस चुनौती से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका है:
तनाव आज की ज़िंदगी का एक हिस्सा बन गया है! इसलिए इससे सकारात्मक रूप से निपटना और खुद को मानसिक रूप से लचीला बनाना, हमारी सबसे अहम ज़रूरत बन चुका है। हमें अपने बच्चों को न सिर्फ़ मुश्किल हालातों का सामना करना सिखाना होगा, बल्कि ये भी समझाना होगा कि मानसिक मजबूती ही किसी भी संघर्ष में सबसे बड़ा हथियार होती है।
विश्व उच्च रक्तचाप दिवस (World Hypertension Day), हर साल 17 मई को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह कोई सामान्य आयोजन नहीं, बल्कि एक अहम अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन है, जो हमें उच्च रक्तचाप जैसे "मूक हत्यारे" से समय रहते सतर्क रहने की चेतावनी देता है। इस दिन का मकसद लोगों को यह एहसास दिलाना है कि उच्च रक्तचाप एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य खतरा है। साथ ही उन्हें यह भी समझाना है कि इससे जुड़ी घातक बीमारियों जैसे हार्ट अटैक और स्ट्रोक से कैसे बचा जा सकता है। और यह जानकारी देना कि हम इसकी पहचान, रोकथाम और इलाज कैसे कर सकते हैं।
इन लक्ष्यों को साकार करने के लिए, दुनिया भर के डॉक्टर, हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन (Health Organization), मीडिया और स्वयंसेवी संस्थाएं (NGO’s) मिलकर काम कर रही हैं, ताकि जानकारी और संसाधनों को हर व्यक्ति तक पहुँचाया जा सके।
विश्व उच्च रक्तचाप दिवस की ज़रूरत क्यों पड़ी?
क्योंकि उच्च रक्तचाप धीरे-धीरे, बिना किसी लक्षण के शरीर को अंदर से नुकसान पहुँचाता है। इसे यूँ ही "साइलेंट किलर" नहीं कहा जाता। अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह हार्ट फ़ेलियर, स्ट्रोक और मायोकार्डियल इंफार्क्शन जैसी बीमारियों की वजह बन सकता है।
आज दुनिया में 100 करोड़ से ज़्यादा लोग यानी हर दूसरा वयस्क इससे प्रभावित है। यह खतरा न उम्र देखता है, न समाज या आर्थिक स्थिति। विश्व स्वास्थ्य रिपोर्ट्स बताती हैं कि 1990 से ही यह मृत्यु और विकलांगता का एक बड़ा कारण बना हुआ है। अनुमान है कि 2025 तक 15-20% की तेज़ बढ़त के साथ यह संख्या बढ़कर 150 करोड़ तक पहुँच सकती है!
इसलिए, अब ज़रूरत है कि हम इस खतरे को सिर्फ़ पहचानें नहीं, बल्कि उससे पहले ही एक कदम आगे चलें। उच्च रक्तचाप को समय रहते रोकना, उससे जुड़ी बीमारियों से लड़ने से कहीं बेहतर है।
संदर्भ
मुख्य चित्र में रक्तचाप जाँच का स्रोत : Wikimedia
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