हिमालय से लखनऊ तक: गोमती नदी और हिमनदों की जीवन-धारा का अद्भुत संबंध

जलवायु और मौसम
27-11-2025 09:16 AM
हिमालय से लखनऊ तक: गोमती नदी और हिमनदों की जीवन-धारा का अद्भुत संबंध

लखनऊ के लोगों के लिए गोमती नदी सिर्फ जल का स्रोत नहीं, बल्कि शहर की पहचान, इतिहास और संस्कृति का आधार है। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि गोमती की आरंभिक यात्रा कहाँ से शुरू होती है? गोमती दरअसल गंगा नदी की एक सहायक नदी है, और गंगा का उद्गम उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित गंगोत्री ग्लेशियर से होता है। यानी लखनऊ का जीवन, इसकी नमी, इसकी हरियाली - सबकी जड़ें हिमालय की बर्फ़ीली चोटियों में छिपे हिमनदों (Glaciers) तक जाती हैं। किसी भी नदी का स्रोत समझना, उस शहर की जीवन-धारा को समझने जैसा है। इसलिए, आज हम हिमनदों की संरचना, प्रकार, वैश्विक वितरण और मानव जीवन में उनकी भूमिका पर विस्तार से चर्चा करेंगे। 
इस लेख में, सबसे पहले हम समझेंगे कि हिमनद (Glacier) क्या होते हैं और किन जलवायु परिस्थितियों में बनते हैं। इसके बाद, हम दुनिया में हिमनदों के प्रतिशत आधारित वितरण की जानकारी प्राप्त करेंगे। फिर, हम हिमनदों के विभिन्न प्रकारों जैसे - बर्फ़ विस्तार (Ice Sheets), हिम छादन (Ice Caps), अल्पाइन या घाटी हिमनद (Valley & Alpine Glaciers), और टाइडवॉटर हिमनद - को विस्तार से समझेंगे। अंत में, हम हिमनदों के पर्यावरणीय, पारिस्थितिक, सिंचाई, और आर्थिक महत्व पर चर्चा करेंगे, और यह जानेंगे कि लखनऊ जैसे शहरों के लिए हिमनद क्यों जीवन रेखा के समान हैं।      लखनऊ और गोमती नदी का हिमनदों से संबंध
लखनऊ की जीवन-धारा कही जाने वाली गोमती नदी, शहर की संस्कृति, इतिहास और दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। चाहे वह गोमती किनारे की सुबह की सैर हो, नदी के किनारे स्थित पार्क हों, या शहर की जल आपूर्ति - हर स्तर पर यह नदी लखनऊवासियों के जीवन को प्रभावित करती है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस शांत, धीमी और मैदानी नदी की कहानी वास्तव में हिमालय की ऊँचाइयों में शुरू होती है। गंगा, जो गोमती की मुख्य धारा है, का उद्गम उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित गंगोत्री हिमनद से होता है - जहाँ सदियों से जमा बर्फ़ धीरे-धीरे पिघलकर पानी में बदलती है। यही हिमनदी जल पर्वतों से बहता हुआ मैदानों की ओर उतरता है और आगे चलकर असंख्य सहायक नदियों को जन्म देता है, जिनमें गोमती भी शामिल है। इसका अर्थ यह है कि लखनऊ की गोमती नदी केवल एक स्थानीय नदी नहीं, बल्कि हिमालय के हिमनदों की धड़कन है - जो पिघलती है, बहती है और अपने साथ जीवन लेकर चलती है। इस प्रकार, हिमनदों का अस्तित्व लखनऊ की जल-प्रणाली, पर्यावरणीय संतुलन और भविष्य की जल सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

हिमनद क्या होते हैं और कैसे बनते हैं?
हिमनद (Glaciers) केवल जमा हुई बर्फ़ के ढेर नहीं होते, बल्कि ये पृथ्वी के जल चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण और गतिशील अंग हैं। इनका निर्माण दशकों या सदियों तक लगातार गिरने वाली बर्फ़ के जमने, दबने और एक कठोर बर्फ़ीले क्रिस्टल में बदलने से होता है। क्योंकि तापमान वहाँ पूरे वर्ष बहुत कम रहता है, सर्दियों में गिरने वाली बर्फ़ गर्मियों में पूरी तरह पिघल नहीं पाती। यह बर्फ़ वर्ष दर वर्ष अपने ही वजन से संकुचित होकर एक ठोस और भारी द्रव्यमान का निर्माण करती है। अपने अत्यधिक भार और गुरुत्वाकर्षण के कारण यह धीरे-धीरे ढलान की ओर सरकने लगती है - इसीलिए हिमनद को "धीरे-धीरे बहने वाली बर्फ़" कहा जाता है। हिमनद पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करते हैं, नदियों के स्रोत हैं और लंबे समय तक जल का भंडारण करते हैं। ये प्रकृति का वह अद्भुत तंत्र हैं जो बिना किसी शोर और हलचल के चुपचाप जीवन को पोषित करते रहते हैं।

दुनिया में हिमनदों का वितरण
पृथ्वी पर हिमनदों का वितरण यह दर्शाता है कि हमारा ग्रह अपनी जल और तापमान प्रणाली को किस तरह संतुलित करता है। यद्यपि हिमनद लगभग हर महाद्वीप में पाए जाते हैं, लेकिन उनका अधिकांश भाग ध्रुवीय और अत्यधिक ठंडे क्षेत्रों में केंद्रित है। विश्व के कुल हिमनदों में से लगभग 91% अंटार्कटिका में स्थित हैं, जहाँ बर्फ़ की मोटाई कई किलोमीटर तक हो सकती है। ग्रीनलैंड दूसरा सबसे बड़ा बर्फ़ भंडार है, जिसके पास पृथ्वी की लगभग 8% ग्लेशियर बर्फ़ है। शेष हिमनदों में उत्तर अमेरिका के रॉकी पर्वत (Rocky Mountains), एशिया के हिमालय, दक्षिण अमेरिका के एंडीज़ (Andes), यूरोप के आल्प्स (Alps) और अफ़्रीका के किलिमंजारो (Kilimanjaro) क्षेत्र शामिल हैं - लेकिन इनका प्रतिशत मात्र 1% से भी कम है। इसके बावजूद, विशेष रूप से भारत, नेपाल, भूटान और पाकिस्तान के हिमालयी हिमनद करोड़ों लोगों की नदी प्रणालियों और जल आपूर्ति का प्रमुख आधार हैं। यह दर्शाता है कि हिमालयी हिमनद केवल पहाड़ों के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिरता के मूल स्तंभ हैं।

हिमनदों के प्रमुख प्रकार
हिमनदों का आकार, निर्माण स्थान और प्रवाह दिशा इन्हें अलग-अलग प्रकारों में वर्गीकृत करता है।

  • बर्फ़ विस्तार (Ice Sheets) पृथ्वी पर पाए जाने वाले सबसे विशाल हिम क्षेत्र हैं, जो संपूर्ण महाद्वीपों को ढक सकते हैं - जैसे ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका।
  • हिम छादन (Ice Caps) इनसे छोटे होते हैं, लेकिन उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में बड़े क्षेत्रों में फैले रहते हैं।
  • अल्पाइन या घाटी हिमनद (Valley Glaciers) पहाड़ों की घाटियों में बहते हैं और समय के साथ घाटियों के आकार को तराशते हुए उन्हें "U" आकार की बनावट देते हैं।
  • टाइडवॉटर हिमनद (Tidewater Glaciers) समुद्र या झीलों में समाप्त होते हैं और बड़े-बड़े बर्फ़ के टुकड़ों को तोड़कर "हिमखंड (Icebergs)" बनाते हैं, जो समुद्री जहाजों के मार्ग में खतरा भी बन सकते हैं।

हिमनदों का पारिस्थितिक और आर्थिक महत्व
हिमनद पर्यावरण, जैव-विविधता और मानव जीवन - तीनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे प्राकृतिक जलाशय की तरह कार्य करते हैं, जो धीरे-धीरे पिघलकर नदियों को वर्षभर जल प्रदान करते हैं। यह जल घासभूमियों, वनों, कृषि भूमि और जलाशयों तक पहुँचकर पूरी खाद्य श्रृंखला को सक्रिय करता है। हिमालयी क्षेत्रों में बसे गाँव, शहर, खेत और उद्योग इसी जल पर निर्भर हैं। स्विट्ज़रलैंड (Switzerland), उत्तर भारत और पाकिस्तान में हिमनद जल का उपयोग पारंपरिक सिंचाई प्रणालियों में सदियों से किया जाता रहा है। लेकिन आज जलवायु परिवर्तन के कारण हिमनदों के तेजी से पिघलने का खतरा बढ़ रहा है, जिससे एक ओर समुद्र स्तर में वृद्धि हो रही है और दूसरी ओर भविष्य में ताज़े पानी की कमी का संकट गहराता जा रहा है। इसलिए हिमनदों का संरक्षण न केवल पर्यावरणीय चिंता है, बल्कि मानव सभ्यता के अस्तित्व का आधार है। इन्हें बचाना, वास्तव में अपने भविष्य को बचाना है।

संदर्भ-
https://tinyurl.com/534bdwhr
https://tinyurl.com/brp9m977
https://tinyurl.com/yx5wa2cy
https://tinyurl.com/mt2kvpft
https://tinyurl.com/4fkz83ye 



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