चलिए जानते हैं, गोवर्धन पर्वत घूमने के लिए सबसे अच्छे समय और प्रमुख आकर्षणों को

पर्वत, पहाड़ियाँ और पठार
15-02-2025 09:27 AM
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चलिए जानते हैं, गोवर्धन पर्वत घूमने के लिए सबसे अच्छे समय और प्रमुख आकर्षणों को

यह बात, ज़्यादा चौंकाने वाली नहीं है कि, मेरठ के कुछ लोग, अपने जीवन में कम से कम एक बार, गोवर्धन पर्वत की यात्रा पर
गए होंगे।गोवर्धन पर्वत, जिसे माउंट गोवर्धन और गिरिराज भी कहा जाता है, उत्तर प्रदेश के मथुरा ज़िले में स्थित एक पवित्र हिंदू स्थल है। यह पर्वत, गोवर्धन और राधा कुंड इलाके में 8 किलोमीटर लंबी पहाड़ी के रूप में फैला है, जो वृंदावन से लगभग 21 किलोमीटर (13 मील) की दूरी पर है। यह वर्षों से एक मशहूर पर्यटन स्थल रहा है।

आज, आइए समझने की कोशिश करते हैं कि इस पहाड़ी को पवित्र स्थल क्यों माना जाता है। इसके बाद, हम गोवर्धन पर्वत और इसके आस-पास के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों और खास आकर्षणों के बारे में जानेंगे। फिर हम, इस जगह पर यात्रा करने से पहले ध्यान रखने वाली ज़रूरी बातों और जानकारियों पर नज़र डालेंगे। अंत में, हम जानेंगे कि, यहां हवाई मार्ग, रेल और सड़क के ज़रिए, कैसे पहुंचा जा सकता है।

गोवर्धन पर्वत को पवित्र स्थल क्यों माना जाता है ?

मथुरा से पश्चिम दिशा में लगभग 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोवर्धन पर्वत भगवान कृष्ण से जुड़ा हुआ है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए इस पर्वत को अपनी उंगली
पर सात दिनों और सात रातों तक छत्र की तरह उठा लिया था।ऐसा उन्होंने देवराज इंद्र के घमंड को तोड़ने के लिए किया था।
 

Source : Wikimedia

साल 1520 में, सेठ वल्लभाचार्य ने इस घटना की स्मृति में, इस पर्वत के शिखर पर एक मंदिर बनवाया। यह स्थान, 21 किलोमीटर लंबी गोवर्धन पर्वत परिक्रमा के लिए प्रसिद्ध है, जिसे करने से भक्तों को आशीर्वाद और आत्मिक शांति मिलती है। भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को आदेश दिया था कि वे इस पवित्र पर्वत की पूजा करें।

गोवर्धन का सबसे महत्वपूर्ण दिन गुरु पूर्णिमा होता है। इस दिन लाखों भक्त यहां आकर परिक्रमा करते हैं, जिसे आत्म-शुद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, गोवर्धन के प्रमुख आकर्षणों में 400 साल पुराना हर देव जी मंदिर, लाल पत्थरों से बना हरिदेव मंदिर और राजा सूरजमल के सुंदर नक्काशी वाली छतरियों से
सजा हुआ कुसुम सरोवर शामिल हैं।

गोवर्धन पर्वत, गिरिराज के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह स्थान, भगवान कृष्ण के बाल्यकाल की अनगिनत कथाओं से भरा हुआ है। वेदों के अनुसार, यह पर्वत स्वर्ग से धरती पर गिरा हुआ है। कथा यह भी कहती है कि जब गोवर्धन के लोग भारी बारिश से परेशान थे, तो भगवान कृष्ण ने इस पर्वत को सात दिनों तक
उठाकर उनकी रक्षा की थी।यही वजह है कि यह पर्वत हिंदू धर्म में असीम श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है।

 

गोवर्धन पर्वत और इसके आस पास के प्रमुख आकर्षण

कुसुम सरोवर –फूलों का सरोवर: कुसुम सरोवर, एक सुंदर और शांत झील है, जो सुगंधित फूलों से घिरी हुई है।यह जगह बहुत ख़ास मानी जाती है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यहाँ राधा और कृष्ण मिला करते थे।झील के चारों   सुंदर छतरियां बनी हुई हैं, जिन पर उनकी कहानियां चित्रित हैं।

समय: सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक

गिरिराज मंदिर: गिरिराज मंदिर, भगवान कृष्ण का पवित्र घर है।यह जगह भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ लोग भगवान की पूजा और प्रार्थना करने आते हैं।

राधा कुंड और श्याम कुंड: ये दो पवित्र तालाब हैं।कहा जाता है कि, श्याम कुंड भगवान कृष्ण ने बनाया था और राधा कुंड देवी राधा ने।यहाँ स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है और भगवान से जुड़ाव बढ़ता है।

मानसी गंगा झील: गोवर्धन पर्वत पर स्थित यह झील, इस क्षेत्र की सबसे बड़ी झील है।इसे बहुत पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि इसका पानी, शरीर और मन को शुद्ध करता है।यह झील, परिक्रमा शुरू करने और ख़त्म करने का मुख्य स्थान भी है।

दांगहटी मंदिर: यह मंदिर, भगवान कृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने की कहानी से जुड़ा है।यहाँ भगवान कृष्ण की मूर्ति है, जो पर्वत उठाते हुए दिखाई गई है।यह मंदिर, उनकी शक्ति और प्रेम का प्रतीक है।

गोवर्धन पर्वत के ये सभी स्थान, भक्तों और पर्यटकों के लिए बहुत ख़ास हैं।यहाँ आकर हर कोई भगवान की कहानियों  से अवगत हो सकता है।

कुसुम सरोवर | Source : Wikimedia

गोवर्धन पर्वत की यात्रा से पहले जानने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें

यात्रा का सबसे अच्छा समय: गोवर्धन पर्वत घूमने का सबसे अच्छा समय, सर्दियों  में  होता है, जो अक्टूबर से मार्च तक रहता है।इस समय मौसम सुहावना होता है, जिससे आप आराम से दर्शनीय स्थलों का आनंद ले सकते हैं।

क्या करें यहाँ: परिक्रमा के अलावा, पर्यटक, यहाँ योग, ध्यान और भजन-कीर्तन जैसे आध्यात्मिक गतिविधियों में भी भाग ले सकते हैं।गोवर्धन पर्वत की शांत और पवित्र हवा, इसे आत्मिक शांति पाने के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है।

प्रवेश शुल्क और समय: गोवर्धन पर्वत, सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक आम लोगों के लिए खुला रहता है। यहाँ प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता।

गोवर्धन गिरिराज मंदिर | Source : Wikimedia

गोवर्धन पर्वत कैसे पहुँचें?

हवाई मार्ग से: गोवर्धन का अपना कोई हवाई अड्डा नहीं है।  इसका सबसे नज़दीकी घरेलू हवाई  अड्डा, आगरा में है।लेकिन आगरा एयरपोर्ट से देश के प्रमुख शहरों तक कम उड़ानें होने के कारण, दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा,
एक बेहतर विकल्प माना जाता है।यह भारत के प्रमुख शहरों और अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।दिल्ली से आप टैक्सी बुक करके गोवर्धन पहुँच सकते हैं।

रेल मार्ग से: गोवर्धन से सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन, मथुरा में है, जो यहाँ से लगभग 22 किलोमीटर दूर है।मथुरा रेलवे स्टेशन, दिल्ली, लखनऊ और कानपुर जैसे उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।   इस रेलवे स्टेशन से आप टैक्सी बुक करके गोवर्धन पहुँच सकते हैं।

सड़क मार्ग से: गोवर्धन, सड़क  मार्गों  से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा मथुरा से गोवर्धन के लिए कई बसें संचालित होती हैं।मथुरा से आप, टैक्सी या स्थानीय बसों के ज़रिए गोवर्धन पहुँच सकते हैं।

संदर्भ 

https://tinyurl.com/36njt7ar 

https://tinyurl.com/37benz6h 

https://tinyurl.com/59r7ye27 

https://tinyurl.com/mwsbywmp 

मुख्य चित्र: गोवर्धन पर्वत और कुसुम सरोवर (Wikimedia)



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