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मेरठ की धरती हमेशा से श्रद्धा, रहस्य और संस्कृति की गहराइयों में रची-बसी रही है। यहां के लोग धार्मिक भावनाओं को सिर्फ परंपरा के रूप में नहीं, बल्कि रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा मानते हैं। चाहे सूरजकुंड की आरती हो या औघड़नाथ मंदिर की घंटियों की गूंज — मेरठवासियों की आस्था में एक अनकहा आत्मबल है। ऐसे ही लोगों के लिए पुरी का जगन्नाथ मंदिर किसी रहस्यलोक से कम नहीं, जहां आस्था के साथ-साथ विज्ञान को भी चुनौती देने वाले चमत्कार रोज घटते हैं।
पहले वीडियो में हम जानेंगे जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातें, चमत्कार और वो विज्ञान जो आज भी लोगों को हैरान करता है।
आइए नीचे हम उन अद्भुत और रहस्यमयी तथ्यों पर एक नज़र डालते हैं जो पुरी के जगन्नाथ मंदिर को केवल श्रद्धा का नहीं, बल्कि आश्चर्य और रहस्य का केंद्र भी बनाते हैं।
1. हर दिन बदलता है ध्वज – पर दिशा नहीं:
करीब 214 फीट ऊँचे शिखर पर हर दिन एक पुजारी बिना किसी सुरक्षा उपकरण के चढ़कर मंदिर का ध्वज बदलता है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। चाहे हवा कहीं से भी चले, ध्वज हमेशा उल्टी दिशा में फहराता है — जैसे भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को अपनी उपस्थिति का संकेत दे रहे हों।
2. चक्र जो हर दिशा में देखता है:
मंदिर की चोटी पर स्थित सुदर्शन चक्र एक और रहस्य समेटे हुए है। यह चक्र लगभग हर कोण से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह सीधे आपकी ओर देख रहा हो। यह चमत्कारी भ्रम आज तक किसी भी इंजीनियरिंग सिद्धांत से समझाया नहीं जा सका है।
3. जब आसमान भी नतमस्तक हो जाए:
पुरी के इस मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी या विमान नहीं उड़ता। यह क्षेत्र एक तरह से "नो-फ्लाई ज़ोन" है, हालाँकि सरकार ने ऐसा कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं लगाया है। माना जाता है कि यह स्थान इतनी आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है कि कोई भी उड़ने वाला जीव इसके ऊपर से नहीं गुजरता।
4. महाप्रसाद का चमत्कारिक विज्ञान:
यह मंदिर अपने महाप्रसाद के लिए प्रसिद्ध है, जो मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता है। चमत्कार यह है कि हर दिन जितने भी भक्त आएँ — न तो प्रसाद कभी कम पड़ता है, न ही बचता है। साथ ही, जब सात बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखकर पकाए जाते हैं, तो सबसे ऊपर वाला बर्तन पहले पक जाता है — यह नियम भौतिक विज्ञान के उलट है।
5. सिंहद्वार के सामने समुद्र की गूंज, और अंदर मौन:
मंदिर के मुख्य द्वार सिंहद्वार पर खड़े होकर आप समुद्र की लहरों की आवाज़ साफ़ सुन सकते हैं। लेकिन जैसे ही आप मंदिर के भीतर प्रवेश करते हैं, वह आवाज़ लगभग गायब हो जाती है।
6. मूर्तियों का रहस्यमयी परिवर्तन - नवकलेवर:
हर 12 से 19 वर्षों में मंदिर की मूर्तियाँ बदली जाती हैं, जिसे नवकलेवर कहते हैं। इसके लिए एक विशेष नीम का वृक्ष गुप्त रूप से खोजा जाता है और रात के अंधेरे में पूरा अनुष्ठान संपन्न होता है। इस प्रक्रिया को ब्रह्म परिवर्तन कहा जाता है, जिसमें दिव्यता को एक मूर्ति से दूसरी में स्थानांतरित किया जाता है।
नीचे दिए गए वीडियो में हम जानेंगे जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़ी कुछ और भी रहस्यमयी बातें।
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