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मेरठवासियों, डिजिटल इंडिया (Digital India) के इस युग में जहां तकनीक ने हमारे रिश्तों को नई रफ्तार दी है, वहीं इसके साथ कई ऐसे अनदेखे खतरे भी जन्मे हैं जो सीधे हमारे भरोसे, भावनाओं और जेब पर हमला करते हैं। आज सोशल मीडिया (Social Media), इंस्टाग्राम (Instagram), व्हाट्सएप (WhatsApp) या ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स (Online Dating Apps) के ज़रिए दोस्ती और प्रेम संबंधों की शुरुआत करना बेहद सामान्य हो गया है। लेकिन क्या ये हर बार उतने ही मासूम होते हैं जितने दिखते हैं? मेरठ जैसे विकसित होते शहर में, जहां युवा पीढ़ी टेक्नोलॉजी (Technology) से कदम मिलाकर चल रही है, वहीं बुज़ुर्गों में भी इंटरनेट (Internet) का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। पर इसी बढ़ती डिजिटल सक्रियता के बीच, ऑनलाइन रोमांस स्कैम (Online Romance Scam) का खतरा भी लगातार गहराता जा रहा है। ये धोखाधड़ी सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं पहुंचाती, बल्कि व्यक्ति के आत्म-सम्मान, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक प्रतिष्ठा को भी गहरा आघात देती है। कभी कोई खूबसूरत प्रोफाइल (profile) बनाकर, तो कभी भावनात्मक कहानियाँ सुनाकर - स्कैमर (scammer) आपके भरोसे को हथियार बनाते हैं और धीरे-धीरे आपको ऐसे जाल में फंसा लेते हैं जिससे निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है। इस लेख में हम समझेंगे कि ऑनलाइन रोमांस स्कैम क्या होता है, यह कैसे काम करता है, कोविड-19 (Covid-19) के बाद इसमें इतनी तेज़ी क्यों आई, स्कैमर्स किन तरीकों से आपको जाल में फँसाते हैं, और सबसे अहम - हम मेरठवासियों को इससे कैसे सतर्क रहना चाहिए और खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।
इस लेख में हम सबसे पहले समझेंगे कि ऑनलाइन रोमांस स्कैम किस प्रकार कार्य करता है और जालसाज अपने शिकार को कैसे फंसाते हैं। फिर हम देखेंगे कि कोविड-19 के दौर में ऐसे घोटालों में अचानक बढ़ोतरी क्यों हुई। इसके बाद हम जानेंगे कि डेटिंग ऐप्स और सोशल मीडिया पर सबसे आम ठगी के तरीके क्या हैं। फिर हम भारत में लोगों, खासकर युवाओं की डेटिंग ऐप्स को लेकर बढ़ती सतर्कता और व्यवहार पर बात करेंगे। अंत में, आप सीखेंगे कि इन स्कैम्स से कैसे बचा जा सकता है, और कौन-कौन सी आसान साइबर (Cyber) सुरक्षा तकनीकें आपको ऑनलाइन सुरक्षित रख सकती हैं।
ऑनलाइन रोमांस स्कैम क्या है और यह कैसे काम करता है?
ऑनलाइन रोमांस स्कैम आज के डिजिटल युग का सबसे खतरनाक भावनात्मक और वित्तीय फंदा बन चुका है। इसका मूल उद्देश्य है - किसी व्यक्ति के साथ नकली भावनात्मक रिश्ता बनाकर उसे आर्थिक रूप से लूटना। आमतौर पर स्कैमर इंटरनेट से किसी सुंदर व्यक्ति की तस्वीर चुरा कर आकर्षक प्रोफाइल बनाते हैं, जिसमें खुद को अकेला, भावनात्मक और भरोसेमंद दिखाया जाता है। उनका पहला लक्ष्य होता है - बातचीत की शुरुआत करके सामने वाले का भरोसा जीतना, और धीरे-धीरे उन्हें भावनात्मक रूप से अपने साथ बाँधना। यह प्रक्रिया हफ्तों या महीनों तक खिंच सकती है, जिसमें वे प्यार भरे मैसेज (message), कॉल्स (calls) और साथ में जीवन बिताने के सपने दिखाते हैं। एक बार जब भरोसा मजबूत हो जाता है, तो शुरू होता है असली खेल - वे किसी आपातकाल का बहाना बनाते हैं। जैसे - “मेरा बच्चा अस्पताल में है”, “मुझे वीजा की दिक्कत है”, या “मैं तुमसे मिलने आना चाहता हूँ लेकिन टिकट के पैसे नहीं हैं।” चूंकि सामने वाला व्यक्ति पहले से ही भावनात्मक रूप से जुड़ चुका होता है, इसलिए बिना ज्यादा जांच के पैसे भेज देता है। इस तरह की ठगी अक्सर महीनों और कभी-कभी वर्षों तक भी चल सकती है। अंततः जब पीड़ित को सच का पता चलता है, तब तक वह न केवल आर्थिक रूप से टूट चुका होता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी बुरी तरह आहत होता है।
कोविड-19 और रोमांस स्कैम में अचानक आई वृद्धि के मुख्य कारण
कोविड-19 के दौरान, जब पूरी दुनिया लॉकडाउन (lockdown) में कैद थी, तब लोगों के बीच का शारीरिक संपर्क लगभग खत्म हो गया था। इस अलगाव और अकेलेपन ने सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स को एकमात्र सामाजिक सहारा बना दिया था। कई लोग, खासकर युवा, इन प्लेटफॉर्म्स पर सच्चे रिश्तों की तलाश में आ गए। यही वह समय था जब स्कैमर्स ने इन परिस्थितियों का भरपूर फायदा उठाया। ‘यूएस फेडरल ट्रेड कमिशन’ (US Federal Trade Commission) के अनुसार, केवल 2021 में रोमांस स्कैम से $547 मिलियन की ठगी दर्ज हुई - यह आंकड़ा 2020 की तुलना में 80% अधिक था। इतना ही नहीं, 18 से 29 वर्ष की उम्र के युवाओं में इन मामलों की संख्या दस गुना तक बढ़ गई। स्कैमर्स ने वर्चुअल रिश्तों (virtual relationships) के प्रति बढ़ती निर्भरता को अपना सबसे बड़ा हथियार बना लिया। लोगों ने अपने अकेलेपन को भरने के लिए जिन ऐप्स पर भरोसा किया था, वही उनके नुकसान का कारण बन गए। जब भावनाएं हावी हो जाती हैं और सोचने की शक्ति कम हो जाती है, तब स्कैमर अपना जाल फैलाते हैं और शिकार को अपनी चाल में फंसा लेते हैं।
डेटिंग ऐप्स पर सबसे आम धोखाधड़ी के तरीके और भुगतान माध्यम
स्कैमर्स हमेशा ऐसे तरीके अपनाते हैं जिनमें पैसा मिलते ही उनका पीछा करना लगभग असंभव हो जाता है। सबसे पहले आता है वायर ट्रांसफ़र (Wire Transfer), जिसमें पैसा एक बार भेज देने के बाद वापस पाना लगभग नामुमकिन होता है। यह तरीका स्कैमर्स को तेज़ी से धन प्राप्त करने का आसान रास्ता देता है। दूसरा आम तरीका है गिफ़्ट कार्ड्स (Gift Cards)। स्कैमर पीड़ित से कहते हैं कि वह किसी दुकान से गिफ़्ट कार्ड खरीदे और उसका कोड भेज दे - एक बार कोड भेज दिया गया तो पैसा गायब। एक और तरीका है रिलोडेबल डेबिट कार्ड्स (Reloadable Debit Cards), जिनका उपयोग बार-बार किया जा सकता है। स्कैमर्स पहले मामूली राशि की मांग करते हैं और फिर कहते हैं कि कार्ड रिचार्ज नहीं हो रहा है - कृपया और पैसा भेजिए। इससे पहले कि पीड़ित कुछ समझे, वह हज़ारों रुपये गवां चुका होता है। अब क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) भी इस सूची में शामिल हो गई है, जिसमें नकली निवेश योजनाएँ दिखाकर पीड़ित को लुभाया जाता है। स्कैमर्स अक्सर किसी आपात स्थिति की कहानी गढ़ते हैं - “मेरी मां बीमार है”, “मैं आर्मी में हूं, छुट्टी नहीं मिल रही”, या “मुझे मिलने आना है लेकिन टिकट का पैसा नहीं है।” ये कहानियाँ इतनी भावुक होती हैं कि इंसान सहानुभूति में आकर अपनी गाढ़ी कमाई भी बिना सोचे दे देता है।
भारत में डेटिंग ऐप्स को लेकर लोगों की सतर्कता और व्यवहार
भारत में इंटरनेट यूज़र्स की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ ही बढ़ रही है जागरूकता और सतर्कता। खासतौर से डेटिंग ऐप्स को लेकर अब भारतीयों का दृष्टिकोण पहले से ज्यादा व्यावहारिक हो गया है। एक वैश्विक साइबर सुरक्षा कंपनी कैस्परस्की (Kaspersky) की रिपोर्ट के अनुसार, 34% भारतीय यूज़र्स डेटिंग ऐप्स से दूर रहते हैं, क्योंकि उन्हें डर होता है कि कहीं वो धोखा न खा जाएं। लगभग 43% लोग किसी भी अजनबी पर भरोसा नहीं करते, खासकर तब जब ऑनलाइन रिश्ता नए-नए शुरू हुआ हो। इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जिन लोगों ने स्कैम का सामना किया, उनमें से 42% ने समय रहते नकली प्रोफाइल को पहचान लिया, और 48% ने पैसे भेजने से इंकार कर दिया। 37% लोग तब चौकन्ने हुए जब उन्हें असामान्य या अजीब मैसेज मिलने लगे। वहीं 29% लोगों को तब शक हुआ जब सामने वाला बार-बार वीडियो कॉल (Video Call) से बचता रहा। यह आंकड़े यह दिखाते हैं कि भारत में डिजिटल जागरूकता बढ़ रही है। लोग अब केवल भावनाओं से नहीं, दिमाग से भी काम ले रहे हैं - और यही सतर्कता उन्हें ऑनलाइन चूना खाने से बचा सकती है।
ऑनलाइन डेटिंग स्कैम से बचने के लिए प्रभावी साइबर सुरक्षा उपाय
ऑनलाइन दुनिया जितनी दिलचस्प और आकर्षक है, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती है। सुरक्षित रहने के लिए हमें कुछ आसान लेकिन बेहद ज़रूरी आदतें अपनानी चाहिए। सबसे पहले, अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स (accounts) को हमेशा प्राइवेट (private) रखें ताकि आपकी प्रोफ़ाइल और पोस्ट (post) सिर्फ़ भरोसेमंद दोस्तों तक ही सीमित रहें। यह छोटी-सी सावधानी आपको स्कैमर्स और अनजान लोगों की नज़रों से बचा सकती है। दूसरी अहम बात यह है कि अजनबी फ्रेंड रिक्वेस्ट (friend request) को लेकर कभी भी लापरवाह न हों, क्योंकि हर दोस्ती भरोसे के लायक नहीं होती और कई बार ठग नकली प्रोफ़ाइल बनाकर लोगों से जुड़ने की कोशिश करते हैं। साथ ही, अपने मोबाइल और कंप्यूटर में मज़बूत सिक्योरिटी सॉफ़्टवेयर (Security Software) रखें और उसे नियमित रूप से अपडेट करते रहें, ताकि वायरस (Virus), रैंसमवेयर (Ransomware) और फिशिंग (Phishing) जैसे खतरों से सुरक्षा मिल सके। लेकिन सबसे ज़रूरी बात यह है कि किसी अनजान व्यक्ति को कभी भी पैसे न भेजें, चाहे उसकी कहानी कितनी भी इमरजेंसी वाली क्यों न लगे। अगर कोई व्यक्ति बार-बार वीडियो कॉल से बच रहा है या बहाने बना रहा है, तो यह साफ़ संकेत है कि कुछ गड़बड़ है। सच तो यह है कि डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहने का असली मंत्र सिर्फ़ एक है - सतर्कता और समझदारी।
संदर्भ-
https://tinyurl.com/27xakb3s
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