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अजगर करे ना चाकरी
पंछी करे ना काम
दास मलूका कह गए
सबके दाता राम!
एक ज़माना था
एक ज़माना था जब अजगर कोई काम-धाम न करके भी चैन से जीवन काट लेते थे लेकिन आज अजगर पर मनुष्य की हानिकारक गतिविधियों के कारण लुप्त हो जाने का डर मंडरा रहा है।उसके रहने की जगहों से भी छेड़छाड़ चल रही है।भारतीय चट्टानी अजगर (Python molurus) कम ख़तरनाक होता है।यह प्रमाणित किया है अंतर्राष्ट्रिय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने।इसलिए लोगों को अजगर के साथ अपने सहजीवन को सकारात्मक ढंग से लेना चाहिए।मेरठ में बार-बार दिखने वाले इन अजगरों की घटती संख्या ने इनके संरक्षण की ज़रूरत को रेखांकित किया है।’जंगल बुक’ का प्रमुख चरित्र ‘का’इसी भारतीय अजगर की बिरादरी का था।1895 में प्रकाशित जंगल बुक के दो संस्करणों में ‘Kaa’(‘का’) का रेखांकन मिलता है।यह एक काल्पनिक चरित्र है और ‘जंगल बुक’ के मुख्य चरित्र मोगली का विश्वासपात्र गुरु और दोस्त है।किताब के लेखक हैं - Rudyard किप्लिंग।साँप और मदारी के तमाशे में अजगर का प्रयोग होता है क्योंकि इसमें ज़हर नहीं होता।
अजगर : एक परिचय
अजगर एक लम्बा, विषमुक्त साँप होता है जो उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है।इसके कई नाम हैं - भारतीय अजगर, काली पूँछ वाला अजगर, भारतीय चट्टानी अजगर और एशियन चट्टानी अजगर।यह हल्के रंग का होता है और तीन मीटर तक लम्बा होता है।
निवास
इसके रहने की जगह बहुत सी हैं जिनमें घास के मैदान, दलदल, चट्टानी पहाड़ियाँ, खुले जंगल और नदियों की घाटियाँ शामिल हैं।इसे पानी के स्थाई साधन की ज़रूरत होती है।ये स्तनधारियों की पुरानी माँदों, खोखले पेड़ , घनी जलीय ईख और मैंग्रोव पेड़ की ज़मीन से ऊपर निकली जड़ों में छिपे रहते हैं।अजगर कुशल तैराक होते हैं और पानी में रहना पसंद करते हैं।काफ़ी देर तक पानी में डूबे रह सकते हैं लेकिन नदी के तट पर रहना पसंद करते हैं।
भोजन और व्यवहार
दूसरे साँपों की तरह भारतीय अजगर भी पूरी तरह मांसाहारी होते हैं और स्तनधारियों, चिड़ियों और दूसरे सरीसृपों का भक्षण करते हैं।अजगर अपने व्यास से बड़े शिकारों को निगल सकता है क्योंकि इसके जबड़े की हड्डियाँ जुड़ीं नहीं होतीं।एक बार पकड़ा शिकार भाग नहीं सकता क्योंकि इसके दांत उल्टी आरी की तरह होते हैं।अजगर बहुत ही आलसी और धीमी चाल वाले होते हैं।इन पर आक्रमण करने पर भी ये पलट कर वार नहीं करते।ये ज़्यादातर सीधी लाइन में चलते हैं।
प्रजनन
इनमें प्रजनन अंडों के ज़रिए होता है।एक मादा अजगर 100 अंडे देती है जिनकी वह रक्षा करती है और उन्हें सेती भी है।नवजात अजगर 45-60 सेंमी. लम्बे होते हैं और बहुत जल्दी बढ़ते हैं।भारत में कृत्रिम ऊष्मामय जलवायु नियंत्रित कक्षों में अजगर के छोड़े-बिखरे हुए अंडों से सफल नवजात अजगर तैयार करने का तरीक़ा भी प्रचलित है।
संरक्षण :
भारत में अजगर धीरे-धीरे ग़ायब होकर विलुप्ति के कगार पर पहुँच चुके हैं।इनके संरक्षण के विषय में उपयुक्त कदम उठाने की ज़रूरत है।
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