ऊर्जा स्रोत के रूप में कब और कैसे हुई पेट्रोलियम की खोज

खनिज
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ऊर्जा स्रोत के रूप में कब और कैसे हुई पेट्रोलियम की खोज

एक ऊर्जा स्रोत के रूप में पेट्रोलियम (Petroleum) हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। पेट्रोलियम, जिसे कच्चे तेल के रूप में भी जाना जाता है, हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbons) यौगिकों से बना पीले-काले रंग का तरल मिश्रण है, जो कि प्राकृतिक रूप से भूगर्भीय संरचनाओं में पाया जाता है। पेट्रोलियम के अंतर्गत प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाला असंसाधित (unprocessed) कच्चा तेल और परिष्कृत(refined) कच्चे तेल से बने पेट्रोलियम उत्पाद आते हैं। पेट्रोलियम एक जीवाश्म ईंधन है जिसका निर्माण तब होता है, जब बड़ी मात्रा में मृत जीव, ज्यादातर जूप्लांकटन (Zooplankton) और शैवाल, तलछटी चट्टान के नीचे जहां गर्मी और दबाव दोनों बहुत अधिक होता है, एक लंबी समयावधि तक दबे रहते हैं। पेट्रोलियम जमीन से मुख्यतः ड्रिलिंग (drilling) प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। ड्रिलिंग के माध्यम से तेल को निकालने के बाद आसवन (distillation) प्रक्रिया द्वारा तेल को परिष्कृत और अलग किया जाता है ताकि प्रत्यक्ष उपयोग या विनिर्माण में उपयोग के लिए तेल से असंख्य स्नेहक, प्लास्टिक, कपड़ा, रेफ्रिजरेंट, पेंट, सिंथेटिक रबर, उर्वरक, कीटनाशक, फार्मास्यूटिकल्स (pharmaceuticals), जैसे हजारों अन्य उत्पाद प्राप्त किया जा सकें। पेट्रोलियम से प्राप्त उत्पादों में गैसोलीन (पेट्रोल), डीजल, केरोसिन और जेट ईंधन जैसे ईंधन शामिल होते हैं। पेट्रोलियम का उपयोग आधुनिक जीवन के लिए आवश्यक विभिन्न प्रकार की सामग्रियों के निर्माण में किया जाता है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर में हर दिन लगभग 100 मिलियन बैरल (100 million barrels) पेट्रोलियम की खपत की जाती है। 20वीं सदी में वैश्विक आर्थिक विकास में पेट्रोलियम उत्पादन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
पेट्रोलियम की खोज, प्राचीन काल में, दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई अलग-अलग लोगों द्वारा की गई थी। ऐसे कुछ साक्ष्य प्राप्त हुए हैं, जिनसे पता चलता है कि पेट्रोलियम का उपयोग मेसोपोटामिया (Mesopotamia) की प्राचीन सभ्यताओं में भी किया गया था, जहां इसका उपयोग दवाओं और प्रकाश की व्यवस्था के लिए किया जाता था। पेट्रोलियम का ही एक रूप बिटुमेन ( bitumen) का 4300 वर्ष से भी अधिक पहले का उल्लेख मिलता है, जब सुमेरियों ने इसका उपयोग नाव बनाने के लिए किया था। कच्चे तेल का इतिहास बहुत लंबा और जटिल है, तथा इसका सम्बंध दुनिया भर के विभिन्न लोगों और स्थानों से है। कच्चे तेल के उपयोग से संबंधित कुछ शुरुआती रिकॉर्ड बताते हैं कि इसका उपयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है। उस समय लोगों ने इसका उपयोग प्रकाश, ताप, चिकित्सा और युद्ध के लिए किया था। हेरोडोटस (Herodotus) और डायोडोरस सिकुलस (Diodorus Siculus) के अनुसार, 4000 साल से भी पहले, अस्फाल्ट (Asphalt) या डामर का उपयोग बेबीलोन की दीवारों और टावरों के निर्माण में किया गया था। 1000 ईसा पूर्व, फारसियों ने प्रकाश और ताप के लिए कच्चे तेल का उपयोग किया था। चीन (China) के प्राचीन लोगों ने 347 ईसवी में तेल निकालने के लिए कुएँ खोदे थे। हालाँकि, कच्चे तेल की खोज और उत्पादन का आधुनिक युग 19वीं शताब्दी में शुरू हुआ।
नई प्रौद्योगिकियों और खोजों के द्वारा बड़े पैमाने पर तेल का निष्कर्षण और शोधन संभव हो पाया। इसी समय कच्चे तेल को विभिन्न उत्पादों जैसे कि केरोसिन, गैसोलीन, डीजल और जेट ईंधन में परिष्कृत किया गया। आधुनिक समय में, एडविन ड्रेक (Edwin Drake) को पहला वाणिज्यिक तेल कुआँ खोदने का श्रेय दिया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) में 1859 में टाइटसविले, पेंसिल्वेनिया (Titusville, Pennsylvania) में एडविन ड्रेक ने पहले वाणिज्यिक तेल कुंए की खोज की। कच्चे तेल को अन्य उपयोगी उत्पादों में परिवर्तित करने हेतु पहली रिफाइनरी 1853 में पिट्सबर्ग (Pittsburgh) में सैमुअल कीर (Samuel Kier) द्वारा बनाई गई थी। उन्होंने कच्चे तेल को विभिन्न भागों में विभाजित करने के लिए एक विधि का उपयोग किया, इसे तब तक गर्म किया जब तक कि विभिन्न भाग अलग-अलग तापमान पर वाष्प में न बदल जाएं। 19वीं सदी के अंत में ऑटोमोबाइल के आविष्कार के साथ पेट्रोलियम से प्राप्त गैसोलीन एक मूल्यवान ईंधन बन गया। गैसोलीन से चलने वाली पहली कार 1885 में जर्मनी (Germany) में कार्ल बेंज (Karl Benz) द्वारा बनाई गई थी। अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में 1920 में गैसोलीन से चलने वाली कारों की संख्या लगभग 9 मिलियन थी , जिससे गैसोलीन की मांग में काफी वृद्धि हुई। वाहनों में पेट्रोल इंजन का उपयोग आम हो गया तथा पेट्रोल इंजनों को गैसोलीन पर संचालित करने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया।
भारत में पेट्रोलियम उद्योग की शुरुआत 1889 से हुई जब देश में पहला तेल भंडार असम राज्य के डिगबोई शहर के पास खोजा गया था। यह खोज औद्योगिक विकास के तुरंत बाद हुई। ‘असम रेलवे एंड ट्रेडिंग कंपनी’ (Assam Railways and Trading Company (ARTC) ने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए यहां पर रेलवे का निर्माण किया और बाद में इसके निकटवर्ती स्थानों में भी तेल के कूंओं की खोज की गई। तेल का पहला कुआं 1890 में बनकर तैयार हुआ और 1893 में असम के मार्गरीटा में पहली रिफाइनरी शुरू हुई। उत्पादन की देखरेख के लिए 1899 में ‘असम ऑयल कंपनी’ (Assam Oil Company) की स्थापना की गई। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान डिगबोई तेल क्षेत्र से प्रति दिन 7,000 बैरल तेल का उत्पादन किया जाता था। वर्ष 1909 में बर्मा(Burma) और असम में खोजे गए तेल के कुओं के अंवेषण के लिए रंगून में इंडो बर्मा पेट्रोलियम (Indo Burmah Petroleum (IBP) की स्थापना की गई। यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में ब्रिटिश सैनिकों और उद्योगों को सहायता प्रदान करने के लिए पहले और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान तेल का उत्पादन अत्यधिक बढ़ गया था।
कच्चे तेल की खोज के बाद से भारतीय पेट्रोलियम रिफाइनिंग क्षेत्र ने एक लंबा सफर तय किया है। 1947 तक, डिगबोई रिफाइनरी 0.50 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष की क्षमता वाली एकमात्र रिफाइनरी थी। वर्तमान में हिंदुस्तान पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (Hindustan Petroleum Corporation Limited (HPCL) की मुंबई रिफाइनरी 1954 में स्वतंत्रता के बाद स्थापित की जाने वाली पहली आधुनिक रिफाइनरी थी, जिसके बाद मुंबई की भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (Bharat Petroleum Corporation Limited (BPCL) रिफाइनरी और विशाखापत्तनम की एचपीसीएल (HPCL) रिफाइनरी में बर्मा शेल (Burmah Shell) और कैल्टेक्स (Caltex) जैसी अन्य तेल कंपनियों द्वारा रिफाइनरियों की स्थापना की गई। पेट्रोलियम का अत्यधिक दोहन पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। पेट्रोलियम ईंधन के निष्कर्षण, शोधन और इसे जलाने से बड़ी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें (Greenhouse gases) निकलती हैं, जो जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा पेट्रोलियम ऊर्जा का एक गैर नवीकरणीय स्रोत भी है जो समय के साथ-साथ समाप्त होता जा रहा है। अतः अपने पर्यावरण एवं ऊर्जा के इतने प्रमुख स्रोत को बचाने के लिए यह हम नागरिकों की जिम्मेदारी है कि पेट्रोलियम पदार्थों का उपयोग कम से कम किया जाए एवं इसके स्थान पर ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों की ओर रुख किया जाए।

संदर्भ:

https://tinyurl.com/mue3utmp
https://tinyurl.com/39zjjpw7
https://tinyurl.com/yvc5d34a
https://tinyurl.com/3wnz2bcs
https://tinyurl.com/47knjv52

चित्र संदर्भ

1. बाकू, अज़रबैजान में तेल के कुएं को दर्शाता एक चित्रण (picryl)
2. मैगनोलिया पेट्रोलियम कंपनी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. तेल निकालने की आसवन विधि को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
4. मीना अल अहमदी, कुवैत में एक तेल रिफाइनरी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. बीपीसीएल पेट्रोल स्टेशन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. समुद्र के बीच में पेट्रोलियम संयंत्र को दर्शाता एक चित्रण (pxhere)



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