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रामपुर के नागरिकों, क्या आप जानते हैं कि हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। ये वन साल, सागौन, शीशम, बबूल और महुआ जैसे पेड़ों की समृद्ध विविधता का घर होते हैं और हिरण, जंगली सूअर, बंदर और अनेक पक्षी प्रजातियों जैसे वन्यजीवों को आश्रय प्रदान करते हैं। ये वन पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने, मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने, कटाव को रोकने और लकड़ी और औषधीय पौधों जैसे संसाधन प्रदान करने में मदद करते हैं। स्वस्थ पर्यावरण और स्थानीय आजीविका के लिए इनका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। तो आइए आज, भारत में उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वनों के बारे में समझते हुए, यहां पाई जाने वाली अनोखी वनस्पतियों और जीवों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही, हम इन वनों की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालेंगे। अंत में, हम बढ़ती पर्यावरणीय चुनौतियों के बीच इन महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों को संरक्षित करने के उद्देश्य से संरक्षण प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन (Tropical Deciduous forests):
उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन, जिन्हें मानसून वन भी कहा जाता है, भारत में सबसे व्यापक वन हैं, जिनमें 200 सेंटीमीटर से 70 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है। भारतीय उपमहाद्वीप में, ये वन ज़्यादातर उत्तर पूर्वी राज्यों और हिमालय की तलहटी में पाए जाते हैं। इसके साथ ही ये पश्चिमी घाट और ओडिशा के पूर्वी ढलानों पर भी पाए जाते हैं। उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन वृक्ष प्रजातियां वर्षा और तापमान में मौसमी परिवर्तनों के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित होती हैं, और उनकी जड़ें अक्सर गहरी होती हैं जो शुष्क मौसम के दौरान भूजल तक पहुंच सकती हैं। इन वनों में पाए जाने वाले पेड़ आमतौर पर चौड़े तने और शाखाओं वाले होते हैं। इन वनों की मुख्य प्रजातियों में महुआ, चंदन, सेमुल, साल, सागौन, सीसम, आंवला आदि शामिल हैं। भारत में उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं।
उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वनों में वनस्पति और जीव:
साल, सागौन, नीम और शीशम इन जंगलों में पाए जाने वाले कुछ मज़बूत लकड़ी वाले पेड़ हैं। इन पेड़ों की मज़बूत लकड़ी से फ़र्नीचर, एवं परिवहन और निर्माण सामग्री बनाई जाती है। इन वनों में पीपल, खैर, चंदन, शहतूत, बेंत, अर्जुन, बांस, महुआ, कुसुम और आंवला के पेड़ भी पाए जाते हैं। इन प्रजातियों का मनुष्यों द्वारा उनके उच्च आर्थिक मूल्य के कारण अत्यधिक दोहन किया जाता है। कुछ कृषि गतिविधियों के लिए भी इन वनों को साफ़ किया जाता है।
ये वन विविध प्रकार की पशु प्रजातियों का समर्थन करते हैं। बाघ, शेर, हाथी, लंगूर, हिरण, भालू, कछुआ, सांप और बंदर इस प्रकार के जंगल में पाए जाने वाले सामान्य जानवर हैं। यहां विभिन्न पक्षी जैसे मोर, तोते, हॉर्नबिल (Hornbill), और कुछ मौसमों के दौरान असंख्य प्रवासी पक्षी, सरीसृप और उभयचर जैसे सांप (अजगर और कोबरा सहित), छिपकलियां, और मेंढक और टोड की विभिन्न प्रजातियां और अनेकों कीट प्रजातियां जैसे विभिन्न प्रकार की तितलियाँ, भृंग और अन्य कीड़े जो परागण और अपघटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, भी पाए जाते हैं।
उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वनों की विशेषताएं:
"मानसून वन" अर्थात उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन भारत में पाए जाने वाले सबसे आम वन हैं। ये वन पूरे भारत के अलावा, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया और मध्य अमेरिका में पाए जाते हैं। भारत में, उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन कुल वन क्षेत्र का लगभग 65-66% कवर करते हैं। क्योंकि भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है, यहां उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन आम हैं। हमारे देश की विभिन्न भौगोलिक स्थिति के कारण, ये वन बहुत अलग जलवायु परिस्थितियों का सामना करते हैं, और भारत में प्राकृतिक वनस्पति की एक विविध श्रृंखला का समर्थन करते हैं। उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन उन क्षेत्रों में पाए जाने की अधिक संभावना होती है जहां वर्ष के कुछ समय में बहुत अधिक वर्षा होती है और फिर शेष वर्ष में सूखा रहता है। पर्णपाती वनों में 70 से 200 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है।
भारत में उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वनों के संरक्षण के प्रयास:
संदर्भ
मुख्य चित्र में ग्रीष्म ऋतु में पर्णपाती वन का स्रोत : Pexels
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