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रामपुरवासियों, अगर आपने कभी पुराने रेलवे स्टेशनों की इमारतों को गौर से देखा हो, तो उनमें न सिर्फ ईंट और पत्थर, बल्कि इतिहास की साँसें भी बसी होती हैं। उत्तर प्रदेश के दिल में बसा रामपुर जंक्शन सिर्फ एक रेलवे स्टेशन नहीं, बल्कि 131 वर्षों की यात्राओं, विकास और बदलाव की कहानी है। यह स्टेशन न सिर्फ यात्रियों को उनकी मंज़िल तक पहुँचाता है, बल्कि रामपुर के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी एक अहम कड़ी है। रामपुर जंक्शन की शुरुआत 8 जून 1894 को हुई थी, जब अवध और रोहिलखंड रेलवे (Oudh and Rohilkhand Railway) के अधीन इसे चालू किया गया। यह वही दौर था जब रेलवे भारत में तीव्र गति से फैल रहा था। लखनऊ से बरेली तक की लाइन 1873 में पूरी हुई और जल्द ही मुरादाबाद–बरेली कॉर्ड लाइन (Cord Line) के ज़रिए रामपुर को नई दिशा मिली। 1891 में इस रूट (route) को मंज़ूरी मिली और केवल तीन साल में, 1894 में यह चालू हो गया। इसी के साथ रामपुर भारतीय रेलवे के केंद्रीय नक्शे पर मजबूती से उभरा।
पहले वीडियो के माध्यम से हम रामपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन के बारे में जानेंगे।
रामपुर जंक्शन लखनऊ–मुरादाबाद लाइन, रामपुर–दिल्ली लाइन और रामपुर–काठगोदाम लाइन का मिलन बिंदु है। यह तीनों लाइनें उत्तर भारत के प्रमुख हिस्सों को जोड़ती हैं — मुरादाबाद स्टेशन जहां से दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े शहर जुड़े हैं, वहीं काठगोदाम लाइन उत्तराखंड के हिल स्टेशनों का प्रवेश द्वार बनती है। यह स्टेशन उत्तर रेलवे (Northern Railway) द्वारा संचालित होता है, जबकि रामपुर–काठगोदाम लाइन पूर्वोत्तर रेलवे (NER) के अधीन आती है। इसके चलते यहाँ रेलवे संचालन में दो क्षेत्रों का समन्वय भी देखने को मिलता है। आज रामपुर जंक्शन न केवल रामपुर शहर का एक व्यस्त स्टेशन है, बल्कि यह रोज़ाना एक लाख से अधिक यात्रियों की आवश्यकताओं को पूरा करता है। यह स्टेशन न केवल उत्तर भारत के प्रमुख रेल नेटवर्क का हिस्सा है, बल्कि यह रामपुर की पहचान, सुविधाजनक यात्रा और भविष्य की संभावनाओं का प्रतीक भी है।
नीचे दिए गए वीडियो के माध्यम से हम रामपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन की एक झलक देखेंगे और इसके बाद भारत की कुछ सबसे सुंदर रेल यात्राओं का अनुभव भी करेंगे।
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