
समयसीमा 264
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 1035
मानव व उसके आविष्कार 806
भूगोल 256
जीव - जन्तु 312
रामपुर, उत्तर प्रदेश का एक महत्त्वपूर्ण कृषि क्षेत्र है, जिसकी ज़मीन अपनी उपजाऊ मिट्टी के लिए जानी जाती है। यहाँ खेती केवल आजीविका का साधन नहीं, बल्कि लोगों की जीवनरेखा और सांस्कृतिक पहचान भी है। गन्ना, गेहूँ और धान जैसी फ़सलें इस ज़िले की रीढ़ रही हैं, जिन्होंने न सिर्फ़ किसानों के घरों को संबल दिया, बल्कि स्थानीय बाज़ारों और अर्थव्यवस्था को भी मज़बूत किया। इन फसलों की समृद्धि के पीछे सबसे बड़ा सहारा रहा है नहर प्रणाली, जिसने बारिश पर निर्भरता कम करके सिंचाई को स्थायी और भरोसेमंद बनाया। ख़ासकर रामगंगा नहर प्रणाली ने इस क्षेत्र के किसानों के जीवन को गहराई से प्रभावित किया। इस नहर ने खेतों तक पानी की सतत आपूर्ति सुनिश्चित की, जिससे किसानों को समय पर बुवाई और कटाई का लाभ मिला और पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। सिंचाई का यह आधारभूत ढाँचा केवल उत्पादन बढ़ाने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने पूरे क्षेत्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थिरता और मज़बूती प्रदान की। यही कारण है कि रामपुर की कृषि व्यवस्था आज भी नहरों से गहरे जुड़ी हुई है और इन्हें यहाँ की असली जीवनरेखा माना जाता है।
इस लेख में हम पहले उत्तर प्रदेश की नहर व्यवस्था की झलक देखेंगे और समझेंगे कि गंगा, शारदा और आगरा जैसी प्रमुख नहरों ने प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों को कैसे सींचा है। इसके बाद हम पढ़ेंगे कि रामपुर ज़िले की नहर प्रणाली ने किस तरह कृषि को आकार दिया और इसमें रामगंगा नहर प्रणाली ने विशेष भूमिका निभाई। आगे हम जानेंगे कि उत्तर प्रदेश में सिंचाई की समग्र स्थिति क्या है, इसमें क्षेत्रीय विविधताएँ कैसी हैं और ट्यूबवेल (Tube well) जैसे आधुनिक साधनों के चलते भविष्य में किसानों के सामने कौन-सी चुनौतियाँ खड़ी हो सकती हैं।
रामपुर की कृषि और नहरों का ऐतिहासिक महत्व
रामपुर की उपजाऊ मिट्टी हमेशा से ही पानी की निरंतर उपलब्धता पर निर्भर रही है। बारिश का पानी यहाँ की ज़रूरतें पूरी नहीं कर पाता था, इसलिए सिंचाई का स्थायी साधन बहुत ज़रूरी था। रियासत काल में इस आवश्यकता को समझते हुए स्थानीय नदियों पर वियर (weir), रेगुलेटर (regulator) और छोटे बैराज बनाए गए, जिनसे नहर प्रणाली का जन्म हुआ। यह प्रणाली लगभग 100 साल से भी अधिक पुरानी मानी जाती है। धीरे-धीरे इन नहरों ने किसानों को भरोसा दिया कि उनकी फसलें सिर्फ मानसून पर निर्भर नहीं रहेंगी। खेतों में समय पर पानी पहुँचने से धान, गेहूँ और गन्ने जैसी फसलों की पैदावार बढ़ी और किसानों की आमदनी भी स्थिर हुई। इस तरह नहरें केवल जल आपूर्ति का साधन नहीं रहीं, बल्कि ग्रामीण जीवन की रीढ़ बन गईं।
उत्तर प्रदेश की प्रमुख नहर प्रणालियाँ
उत्तर प्रदेश का सिंचाई नेटवर्क (Irrigation Network) पूरे देश का सबसे संगठित और विस्तृत नेटवर्क माना जाता है। यह सिर्फ खेतों तक पानी पहुँचाने का काम नहीं करता, बल्कि प्रदेश की आर्थिक संरचना को भी मज़बूत बनाता है।
इन नहरों ने मिलकर पूरे उत्तर प्रदेश की खेती को नया जीवन दिया। यही कारण है कि प्रदेश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए योगदानकारी बन गया।
रामपुर की नहर प्रणाली और उसका विकास
रामपुर ज़िले की पहचान उसकी नहरों से जुड़ी रही है। यहाँ कुल 18 प्रमुख नहर प्रणालियाँ मौजूद हैं, जो कोसी, पीलाखार, भकड़ा, धीमरी, बहल्ला और नाहल किछिया जैसी नदियों से पोषित होती हैं। इन नहरों का फैलाव इतना है कि ज़िले के अधिकांश गाँव सीधे तौर पर इनसे लाभ उठाते हैं। खरीफ़ मौसम में धान और मक्का जैसी फसलें, जबकि रबी मौसम में गेहूँ और सरसों, इन्हीं नहरों की मदद से खेतों तक पहुँचने वाले पानी पर निर्भर रहती हैं। यह व्यवस्था ग्रामीणों के बीच सहयोग और सामूहिकता की भावना भी मज़बूत करती है, क्योंकि नहरों का पानी साझा रूप से इस्तेमाल किया जाता है। आज भी यह परंपरागत प्रणाली किसानों को राहत देती है और स्थानीय अर्थव्यवस्था का आधार बनी हुई है।
रामगंगा नहर प्रणाली: संरचना और लाभ
रामपुर और उसके आसपास के इलाक़ों में रामगंगा नहर प्रणाली सबसे अहम सिंचाई साधन है। यह हरेवली बैराज से शुरू होकर कई बड़ी-छोटी नहरों और उप-फीडर (sub-feeder) शाखाओं में बँट जाती है। इसका नेटवर्क इतना व्यापक है कि यह न केवल रामपुर, बल्कि बिजनौर, मुरादाबाद और अमरोहा ज़िलों की हज़ारों हेक्टेयर (hectare) भूमि को पानी उपलब्ध कराता है। धान की रोपाई से लेकर गेहूँ की कटाई तक, किसानों के हर मौसम की खेती इस नहर से जुड़ी रहती है। गाँवों में आज भी जब पानी समय पर पहुँचता है, तो किसानों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। यही कारण है कि इसे केवल नहर नहीं, बल्कि “किसानों की जीवनरेखा” कहा जाता है।
उत्तर प्रदेश में सिंचाई की स्थिति और क्षेत्रीय विविधताएँ
उत्तर प्रदेश कृषि प्रधान राज्य है, और यहाँ की सिंचाई व्यवस्था इसकी रीढ़ मानी जाती है। 2014–15 के आँकड़ों के अनुसार, प्रदेश की लगभग 87% कृषि योग्य भूमि सिंचाई के दायरे में आती है, जो राष्ट्रीय औसत की तुलना में कहीं अधिक है। हालाँकि क्षेत्रीय विविधताएँ स्पष्ट रूप से देखी जाती हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सिंचाई की स्थिति सबसे बेहतर है, क्योंकि यहाँ गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र में नहरों और ट्यूबवेल का घना नेटवर्क मौजूद है। इसके विपरीत, बुंदेलखंड में आज भी सूखे और पानी की कमी बड़ी समस्या है, जहाँ टैंक सिंचाई पर अपेक्षाकृत अधिक निर्भरता है। तराई और पूर्वी उत्तर प्रदेश में नदियों के पास होने से सिंचाई का विस्तार अच्छा है, लेकिन बाढ़ का ख़तरा भी बना रहता है। इन विविधताओं से साफ़ है कि सिंचाई केवल तकनीक का सवाल नहीं, बल्कि भौगोलिक परिस्थितियों और सामाजिक ज़रूरतों से भी जुड़ा हुआ विषय है।
सिंचाई साधन और आधुनिक चुनौतियाँ
आज उत्तर प्रदेश की सिंचाई में सबसे बड़ी भूमिका कुएँ और ट्यूबवेल निभा रहे हैं, जिनसे लगभग 84% कृषि योग्य क्षेत्र को पानी मिलता है। हालाँकि नहरों का योगदान अभी भी महत्त्वपूर्ण है, लेकिन धीरे-धीरे भूजल पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। इस बढ़ती निर्भरता ने जलस्तर को नीचे धकेल दिया है, जिसके कारण कई जगहों पर कुएँ और ट्यूबवेल सूखने लगे हैं। दूसरी ओर, जलवायु परिवर्तन और नदियों में पानी की घटती उपलब्धता ने नहर प्रणालियों को भी चुनौती दी है। किसानों को अक्सर बिजली की समस्या, ट्यूबवेल के रखरखाव और लागत बढ़ने जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में ज़रूरत है कि जल प्रबंधन पर और अधिक ध्यान दिया जाए, नहरों की मरम्मत और रखरखाव नियमित रूप से हो और किसानों को सतत सिंचाई साधनों से जोड़ा जाए।
संदर्भ-
https://shorturl.at/6wmVr
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.
D. Total Viewership - This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.