हिमालय से विलुप्त होते ब्रह्म कमल को हरिद्वार में उगाना संभव है?

फूलदार पौधे (उद्यान)
29-10-2025 09:10 AM
हिमालय से विलुप्त होते ब्रह्म कमल को हरिद्वार में उगाना संभव है?

हरिद्वार में रहने वाले श्रद्धालु और प्रकृति से प्यार करने वाले लोगों के लिए हिमालय की बर्फीली चोटियाँ सिर्फ एक खूबसूरत नज़ारा नहीं हैं। ये चोटियाँ अपने आप में आस्था और कुदरती सुंदरता की एक अनोखी दुनिया हैं। इन्हीं ऊँची-ऊँची पहाड़ियों में कुछ ऐसे पेड़-पौधे उगते हैं, जो बेहद खास और जुझारू हैं। इन्हें देखकर लगता है मानो कुदरत ने अपनी कलाकारी का सबूत पेश किया हो। इन अनमोल वनस्पतियों में एक फूल सबसे खास है, जो अपनी सुंदरता के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक और पौराणिक कहानियों के लिए भी जाना जाता है। यह है, उत्तराखंड का प्यारा राज्य पुष्प “ब्रह्म कमल”। 

ब्रह्म कमल का संबंध 'ससूरिया' (Saussurea) वंश से है। यह वही परिवार है जिसमें सूरजमुखी और डेजी (daisy) जैसे फूल आते हैं। इस वंश का नाम स्विट्जरलैंड (Switzerland) के दो वैज्ञानिकों, होरेस-बेनेडिक्ट डी सॉसर (Horace Bénédict de Saussure) और उनके बेटे निकोलस-थियोडोर डी सॉसर (Nicolas-Theodore de Saussure) के सम्मान में रखा गया था। इस परिवार में करीब 400 तरह के पौधे आते हैं जो सालों-साल जीवित रहते हैं। ये फूल हमारे-आपके बगीचों में उगने वाले आम फूल नहीं हैं। ये तो कठोर हालात में जीने वाले पौधे हैं, जो एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के ठंडे और बर्फीले इलाकों में पाए जाते हैं। इनकी सबसे ज्यादा किस्में हिमालय के ऊँचे इलाकों में मिलती हैं। वहाँ की मुश्किल परिस्थितियों में भी इन्होंने खुद को जिंदा रखना सीख लिया है।

ये पौधे 5 सेंटीमीटर जितने छोटे से लेकर 3 मीटर तक लंबे हो सकते हैं। इन पौधों के पत्ते अक्सर काफी घने और ऊन जैसे रोयेंदार होते हैं। पत्तों की यही बनावट इन्हें कड़ाके की ठंड और पाले से बचाती है। साथ ही, पहाड़ी हवा में नमी की कमी को भी पूरा करती है। हिमालय में उगने वाली कई प्रजातियों में यह ऊनी खासियत साफ दिखती है। इसी वजह से ये पौधे देखने में बड़े अनोखे और रहस्यमयी लगते हैं, ऐसा लगता है जैसे किसी ने उन पर बर्फ की चादर ओढ़ा दी हो।

सोचिए, एक ऐसी घाटी हो, जो चारों तरफ से खूबसूरत रंगों से भरी हो। एक ऐसा कुदरती कैनवास, जहाँ लाखों फूल एक साथ खिलकर शानदार समाँ बाँधते हों। यही है फूलों की घाटी। यह उत्तराखंड में है और इसे यूनेस्को (UNESCO) ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया है। हर साल यह घाटी पर्यटकों के लिए खुलती है और धरती पर स्वर्ग का एहसास कराती है। गर्मियों में जब सूरज की गर्मी से बर्फ पिघलती है, तो यह पूरी घाटी मानो जाग उठती है। यहाँ 600 से भी ज्यादा किस्म के फूल खिलते हैं, जिनमें दुर्लभ ब्रह्म कमल भी शामिल है।

फूलों की घाटी सिर्फ देखने में ही सुंदर नहीं है, यह अपने आप में एक बहुत जरूरी पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) भी है। यहाँ प्रिमुला, गेंदा, ऑर्किड (Orchid), पोस्ता और गुलबहार जैसे फूल हर तरफ बिखरे रहते हैं, जो एक बेजोड़ खूबसूरती पैदा करते हैं। हरिद्वार के लोगों और दुनिया भर से आने वाले यात्रियों के लिए यह एक पवित्र यात्रा की तरह है। यहाँ आकर लोग प्रकृति से सीधे तौर पर जुड़ते हैं। इस घाटी की असली खूबसूरती इसके बदलते रंगों में है। यहाँ पूरे मौसम में अलग-अलग वक्त पर अलग-अलग तरह के फूल खिलते हैं। इसलिए आप जब भी यहाँ जाएँगे, आपको एक नया अनुभव मिलेगा।

इस कुदरती खजाने का सबसे अनमोल रत्न है ब्रह्म कमल, जिसका वैज्ञानिक नाम ससूरिया ओबवल्लता (Saussurea obvallata) है। इसका नाम सीधे तौर पर पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। 'ब्रह्म' का मतलब है सृष्टि को बनाने वाले भगवान ब्रह्मा और 'कमल' का मतलब तो कमल ही होता है। भले ही यह असली कमल न हो, लेकिन जब इसका तारे जैसा शानदार फूल खिलता है तो उसकी कोमल और पारदर्शी पंखुड़ियाँ दिव्यता का एहसास कराती हैं। यह पौधा 15 से 46 सेंटीमीटर तक ऊँचा होता है और 3,000 से 4,800 मीटर की ऊँचाई पर उगता है।

ब्रह्म कमल का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। एक मान्यता यह है कि सृष्टि को बनाने वाले भगवान ब्रह्मा का जन्म एक बहुत बड़े ब्रह्म कमल के फूल से हुआ था। एक और कहानी कहती है कि जब भगवान शिव, सती के मृत शरीर को लेकर दुःख में भटक रहे थे, तो जहाँ-जहाँ अमृत की बूँदें गिरीं, वहाँ-वहाँ ब्रह्म कमल उग आया। इसका ज़िक्र रामायण में भी मिलता है, जहाँ लक्ष्मण जी ने भगवान राम को ठीक करने के लिए इसे एक संजीवनी बूटी की तरह इस्तेमाल किया था। इन्हीं कथा-कहानियों की वजह से ब्रह्म कमल यहाँ की संस्कृति का एक अटूट हिस्सा बन गया है। यही कारण है कि केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे मंदिरों में इसे श्रद्धा के साथ चढ़ाया जाता है।

ब्रह्म कमल का खिलना एक दुर्लभ घटना है, जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। यह फूल साल में सिर्फ कुछ ही हफ्तों के लिए खिलता है। इसका समय मानसून के दौरान जुलाई से सितंबर के बीच होता है। खास बात यह है कि इसके फूल सिर्फ रात में ही खिलते हैं और वो भी बस कुछ घंटों के लिए। इसका रात में खिलना ही इसे और भी रहस्यमयी बना देता है। तारों से भरे हिमालय के आसमान के नीचे, इस फूल को खिलते देखना एक ऐसा दिव्य अनुभव है जो बस कुछ पलों के लिए ही मिलता है। हालाँकि इतना महत्वपूर्ण पुष्प होने के बावजूद, ब्रह्म कमल का अस्तित्व आज एक गंभीर खतरे में है। जिन वजहों से हिमालय इतना अनोखा है, वही वजहें आज इसे कमजोर भी बना रही हैं। जलवायु परिवर्तन (Climate Change), बढ़ते तापमान और मौसम के बदलते मिजाज के कारण ब्रह्म कमल को और भी ऊँची और खतरनाक जगहों पर उगने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यह फूल जो कभी बहुतायत में खिलता था, अब बहुत कम देखने को मिलता है।

इस संकट को और भी गहरा कर रही हैं इंसानी गतिविधियाँ। इसके धार्मिक और औषधीय महत्व के कारण लोग इसे ज़रूरत से ज़्यादा तोड़ रहे हैं, जिससे जंगलों में इसकी संख्या घट रही है। अनियंत्रित पर्यटन और विकास के नाम पर हो रहे निर्माण कार्य भी इसके कुदरती घर को छीन रहे हैं। उत्तराखंड की राज्य सरकार ने इस चिंताजनक स्थिति पर ध्यान तो दिया है, लेकिन चुनौती अभी भी बहुत बड़ी है। ब्रह्म कमल को बचाना सिर्फ एक पौधे को बचाना नहीं है, यह उत्तराखंड की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के एक हिस्से को बचाना है। हालाँकि हरिद्वार के उन लोगों के लिए जो पेड़-पौधों के शौकीन हैं और इस पवित्र फूल को अपने घर में देखना चाहते हैं, उनके लिए एक अच्छी खबर है। ब्रह्म कमल को थोड़ी देखभाल और ध्यान के साथ घर पर भी उगाया जा सकता है। भले ही यह ऊँचाई पर उगने वाला पौधा है, लेकिन सही माहौल मिले तो यह गमलों और बगीचों में भी अच्छी तरह से पनप सकता है।

इस रहस्यमयी फूल को उगाने के लिए कुछ सुझाव यहाँ दिए गए हैं:

  • कैसी मिट्टी चाहिए? ब्रह्म कमल के लिए ऐसी मिट्टी चाहिए जिसमें पानी न रुके। रेत, परलाइट (perlite) और अच्छी क्वालिटी वाली गमले की मिट्टी का मिश्रण सबसे अच्छा रहता है। पानी का निकलना बहुत ज़रूरी है, वरना जड़ें सड़ सकती हैं।
  • पानी कितना देना है? यह एक रसीला पौधा है, इसलिए इसे ज्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती। इसे हर दो-तीन दिन में एक बार पानी देना सबसे अच्छा है, और तभी दें जब मिट्टी सूख जाए। ज्यादा पानी देना सबसे आम गलती है, इसलिए सावधानी बरतना बेहतर है।
  • धूप कैसी होनी चाहिए? ब्रह्म कमल को सीधी धूप पसंद नहीं है। इसे ऐसी जगह रखें जहाँ सुबह की कुछ घंटों की धूप मिले और दोपहर की तेज धूप से छाया रहे।
  • खाद का इस्तेमाल कैसे करें? पौधे के बढ़ने के मौसम में (बसंत और गर्मी), महीने में एक बार संतुलित तरल खाद (liquid fertilizer) दे सकते हैं। खाद को उसकी बताई गई मात्रा से आधा करके ही इस्तेमाल करें।
  • नया पौधा कैसे लगाएं? इसका नया पौधा पत्ती से आसानी से लग जाता है। बस एक स्वस्थ पत्ती को अच्छी मिट्टी में लगा दें और जड़ आने का इंतजार करें।

घर पर ब्रह्म कमल उगाकर आप न केवल हिमालय के एक टुकड़े को अपने आँगन में लाते हैं, बल्कि जंगली फूलों पर पड़ने वाले दबाव को कम करके इसके संरक्षण में भी मदद करते हैं।

ब्रह्म कमल और फूलों की घाटी की यह कहानी हमें प्रकृति के नाजुक संतुलन की याद दिलाती है। हरिद्वार के लोगों के लिए इन कुदरती और आध्यात्मिक अजूबों के इतने करीब होना किसी वरदान से कम नहीं है। जब हम इन फूलों की कहानियों और इनकी खूबसूरती की सराहना करते हैं, तो हमें इन्हें बचाने की अपनी ज़िम्मेदारी को भी समझना चाहिए।

ब्रह्म कमल का भविष्य, फूलों की घाटी के चमकीले रंग और हिमालय की अनमोल जैव-विविधता, यह सब हमारी मिली-जुली कोशिशों पर ही निर्भर करता है। हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए इस अनमोल विरासत को बचाना होगा। 


संदर्भ 
https://tinyurl.com/27kvvayb
https://tinyurl.com/29d75lh7
https://tinyurl.com/2ytl9by7
https://tinyurl.com/2cl9ckra
https://tinyurl.com/2a2ypsfu 
https://tinyurl.com/2cnka4bv 



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