हमारे आस पास मंडराती तितलियाँ हमारे वातावरण के बारे में कितना कुछ कह जाती हैं!

तितलियाँ और कीट
30-10-2025 09:10 AM
हमारे आस पास मंडराती तितलियाँ हमारे वातावरण के बारे में कितना कुछ कह जाती हैं!

पवित्र गंगा और हिमालय की तलहटी की गोद में बसे हरिद्वार की प्राकृतिक विरासत में एक ऐसी दुनिया भी है जिस पर अक्सर हमारी नज़र नहीं जाती। यह दुनिया है नाज़ुक पंखों, आकर्षक रंगों और गहरे पर्यावरणीय महत्व वाली तितलियों की। ये जीव न केवल हमारे आस-पास के माहौल में रंग भरते हैं, बल्कि हमारे पर्यावरण की सेहत के मूक प्रहरी भी हैं। स्थानीय विश्वविद्यालय परिसर से लेकर राजाजी नेशनल पार्क के घने जंगलों और हिमालय की ऊंची चोटियों तक फैली इनकी कहानी, विविधता और संरक्षण की तत्काल आवश्यकता को बयां करती है।

तितलियाँ, जिन्हें वैज्ञानिक भाषा में लेपिडोप्टेरा (Lepidoptera) वर्ग में रखा जाता है, केवल सुंदर दिखने वाले कीड़े नहीं हैं; ये हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनका जीवन चक्र किसी चमत्कार की तरह अंडे, लार्वा (Larvae - इल्ली), प्यूपा (Pupa) और वयस्क की चार अवस्थाओं से होकर गुजरता है। वयस्क अवस्था में ही हमें इनके पंखों की वह मनमोहक सुंदरता देखने को मिलती है जो इन्हें पतंगों से अलग करती है। एक परागणकर्ता के रूप में, वे कई पौधों की प्रजातियों के प्रजनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो उन्हें हमारी स्थानीय वनस्पतियों के स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य बनाता है।

हरिद्वार में ही, इस अद्भुत दुनिया की एक आकर्षक खिड़की गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय परिसर में किए गए एक वैज्ञानिक अध्ययन से खुली। इस शोध ने विश्वविद्यालय के हरे-भरे क्षेत्रों में मौजूद तितलियों की आबादी की एक विस्तृत तस्वीर पेश की, जिससे यहाँ की समृद्ध जैव-विविधता का पता चला। अध्ययन में कुल 179 तितलियों को दर्ज किया गया, जो 25 अलग-अलग प्रजातियों और चार प्रमुख वंशों (परिवारों) से संबंधित थीं।

अध्ययन के निष्कर्ष बेहद स्पष्ट और जानकारीपूर्ण थे। निम्फालिडी (Nymphalidae) वंश, जो अपने मध्यम से बड़े आकार और चटक रंगों के लिए जाना जाता है, प्रजातियों की संख्या के मामले में सबसे प्रभावी पाया गया, जिसकी कुल दस प्रजातियाँ दर्ज की गईं। हालाँकि, जब कुल संख्या की बात आई, तो पिरिडी (Pieridae) वंश सबसे आगे रहा, जिसमें सफेद और पीले रंग की तितलियाँ शामिल हैं और इनकी संख्या 72 थी।

यह स्थानीय अध्ययन एक महत्वपूर्ण बात पर जोर देता है: तितलियाँ उत्कृष्ट जैव-संकेतक (Bio-indicators) होती हैं। किसी स्थान पर उनकी उपस्थिति, उनकी संख्या और उनकी प्रजातियों की विविधता, सीधे उस वातावरण की गुणवत्ता को दर्शाती है। इस तरह, हमारी स्थानीय तितलियों का स्वास्थ्य हमारे अपने एकोलोज़ीक (écologique) स्वास्थ्य का एक सीधा आईना है। 

जब हम विश्वविद्यालय परिसर से निकलकर राजाजी नेशनल पार्क के विशाल जंगली क्षेत्र पर नजर डालते हैं, तो हमारे क्षेत्र की कीट-पतंगों की विरासत की कहानी और भी गहरी हो जाती है। यह पार्क सिर्फ बाघों और हाथियों का ही अभयारण्य नहीं है, बल्कि यहाँ कीड़ों और तितलियों की भी एक अति विशाल विविधता पाई जाती है। ये जीव जंगल के वे "अनदेखे नायक" हैं, जो परागण का आवश्यक कार्य करते हैं, जिससे पार्क की हरी-भरी वनस्पतियों का जीवन चलता है।

राजाजी की विविध वनस्पतियाँ इन उड़ते हुए रत्नों के लिए एक आदर्श आश्रय प्रदान करती हैं, जहाँ अक्सर हर पौधे की प्रजाति एक विशेष तितली की मेजबानी करती है। पार्क तितलियों के कई वंशों का घर है, जिनमें सुंदर पैपिलिओनिडी (स्वैलटेल) (Papilionidae (Swallowtail)) , जीवंत निम्फालिडी (Nymphalidae) और नाजुक लाइकेनिडी (ब्लूज़) (Lycaenidae (blues)) शामिल हैं। यह समृद्ध जैव-विविधता पार्क के पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का प्रमाण है और कीट जीवन के एक विशाल भंडार के रूप में इसके महत्व को उजागर करती है।

जैसे ही हम हरिद्वार के मैदानी इलाकों से हिमालय की ऊंची चोटियों की ओर बढ़ते हैं, हमारा सामना तितलियों के एक ऐसे विशेष समूह से होता है जो पहाड़ों के जीवन के लिए विशिष्ट रूप से अनुकूलित हैं, इन्हें अपोलो (Apollo) तितलियाँ भी कहा जाता है। ये स्वैलटेल वंश की एक उप-प्रजाति हैं और लगभग विशेष रूप से उच्च-ऊंचाई वाले वातावरण में ही पाई जाती हैं।
 

पहाड़ों की कठोर जलवायु के लिए उनका अनुकूलन अद्भुत है। कई अपोलो तितलियाँ प्रजातियों के शरीर गहरे रंग के होते हैं ताकि वे सौर विकिरण को बेहतर ढंग से सोख सकें। अक्सर, संगम के बाद नर तितली द्वारा मादा पर एक विशेष स्राव लगाने के कारण वे "चिकनी" दिखाई देती हैं। यह स्राव दूसरे नर तितलियों को संगम करने से रोकता है और मादा को नमी बनाए रखने में भी मदद करता है। हिमालय में उनकी उपस्थिति हमारे क्षेत्र के तितली जगत की अविश्वसनीय विविधता में एक और परत जोड़ती है। 
हालाँकि, यह जीवंत दुनिया एक अभूतपूर्व खतरे का सामना कर रही है। हिमालय पर केंद्रित एक अध्ययन ने तितली और पतंगों की आबादी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में खतरे की घंटी बजा दी है। शोध से पता चलता है कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, ये संवेदनशील कीड़े अपने घरों को छोड़कर अधिक ऊंचाई वाले ठंडे स्थानों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

ऊंचाई की ओर यह पलायन एक गंभीर समस्या खड़ी करता है। हो सकता है कि इन नई ऊंचाइयों पर तितलियों को वे खास पौधे न मिलें जिन्हें उनकी इल्लियाँ (कैटरपिलर - caterpillar) खाकर जीवित रहती हैं। इस "बेमेल" के कारण उनकी आबादी तेजी से घट सकती है। अध्ययन चेतावनी देता है कि इस प्रवृत्ति से तितलियों की संख्या में भारी गिरावट आ सकती है और कुछ मामलों में, वे स्थानीय रूप से विलुप्त भी हो सकती हैं। यह एक स्पष्ट चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन के परिणाम कोई दूर का खतरा नहीं, बल्कि यह हमारे अपने आस-पास घटित हो रहे हैं और हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के सबसे नाजुक सदस्यों को प्रभावित कर रहे हैं।

इन चिंताओं के बीच, आशा की एक किरण भी है जो हमारे क्षेत्र की जैव-विविधता का उत्सव मनाती है। एक अनूठी पहल के तहत, उत्तराखंड में कीड़ों और तितलियों की दुनिया को पूरी तरह से समर्पित एक संग्रहालय मौजूद है। उत्तराखंड के भीमताल में स्थित यह संग्रहालय, सूचनाओं और नमूनों का खजाना है और हमारे राज्य के कीट जीवन की अविश्वसनीय विविधता को प्रदर्शित करता है।

यह संग्रहालय एक महत्वपूर्ण शैक्षिक संसाधन के रूप में कार्य करता है, जो आगंतुकों को इन जीवों के जटिल जीवन, पारिस्थितिकी तंत्र में उनके महत्व और उनके सामने आने वाले खतरों के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है। यह बच्चों और वयस्कों के लिए समान रूप से एक आश्चर्यलोक है, जो प्राकृतिक दुनिया के प्रति गहरी सराहना को बढ़ावा देता है और इसके संरक्षण के लिए प्रेरित करता है। इन छोटे अजूबों की कहानियों को संरक्षित और प्रस्तुत करके, यह संग्रहालय सुनिश्चित करता है कि उत्तराखंड की समृद्ध कीट विरासत को आने वाली पीढ़ियों द्वारा समझा और संजोया जाएगा।

एक स्थानीय विश्वविद्यालय के विस्तृत अवलोकनों से लेकर एक राष्ट्रीय पार्क के विशाल जंगल तक, और ऊंचे पहाड़ों के निवासियों के विशेष अनुकूलन से लेकर जलवायु परिवर्तन के मंडराते खतरे और एक समर्पित संग्रहालय की आशामयी उम्मीद तक, हरिद्वार और उसके आसपास तितलियों और कीड़ों की कहानी जितनी मनोरम है, उतनी ही जटिल भी। यह एक ऐसी कहानी है जो हमारा ध्यान, हमारी जिज्ञासा और सबसे महत्वपूर्ण, इन उड़ते हुए रत्नों की रक्षा के लिए हमारे प्रयासों की मांग करती है। ये रत्न हमारे साझा पर्यावरण की सुंदरता और स्वास्थ्य का एक अभिन्न अंग हैं।

 

सारांश 

https://tinyurl.com/mkvg759

https://tinyurl.com/2e276274 

https://tinyurl.com/22btn3zp 

https://tinyurl.com/28x2yypa 

https://tinyurl.com/2cg5qwpr 

https://tinyurl.com/2axvklm7 

https://tinyurl.com/263cnxdm 



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