| Post Viewership from Post Date to 27- Jul-2024 (31st Day) | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Readerships (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 2510 | 107 | 0 | 2617 | |
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यदि आपको कम समय में पूरे भारत की महिलाओं की स्थिति या खासतौर पर उनकी आर्थिक स्थिति को समझना है, तो आप मोटे-मोटे तौर पर हमारे जौनपुर में महिलाओं की आर्थिक स्थिति को समझ सकते हैं। पहले के समय में महिलाओं की आर्थिक स्थिति, मुख्य रूप से उनके घर के पुरुषों की आर्थिक स्थिति से पता चल जाती थी, लेकिन आज ऐसा नहीं है। आधुनिक समय की महिलाएं आर्थिक क्षेत्र में भी अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखती हैं। हालांकि कई कारणों से इन सभी महिलाओं की आर्थिक स्थिति में एक दूसरे के बजाय थोड़ा बहुत अंतर् जरूर है। साथ ही कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जिनके बारे में आज हम विस्तार से जानेंगे।
भारत में किये गए अधिकांश शोधों में अक्सर यह देखा गया है कि “ यहाँ की महिलाएँ मुख्य रूप से पारिवारिक कारणों से ही प्रवास करती हैं।” हालाँकि, वैश्वीकरण के कारण महिलाओं के प्रवास के पैटर्न (pattern)भी बदल गए हैं। आज के समय में महिलाएं पारिवारिक कारणों के बजाय, आर्थिक अवसरों की तलाश में भी पलायन कर रही हैं। निष्कर्ष बताते हैं कि आर्थिक कारक महिला प्रवास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवासन पारंपरिक रूप से कम ही रहा है। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था में आए हाल के बदलावों, बेहतर शिक्षा, बेहतर परिवहन और संचार, और कृषि से उद्योग और सेवाओं की ओर झुकाव ने प्रवास करने की गतिशीलता को बढ़ा दिया है।
नीचे दी गई तालिका में 1971 से 2001 तक लिंग के आधार पर आजीवन और अल्पकालिक प्रवासियों (पांच साल से कम अवधि वाले) का वितरण प्रस्तुत किया गया है।
| वर्ष | जीवनकाल प्रवासी (लाख में) | पुरुष | महिला |
|---|---|---|---|
| 1971 | 159.6 | 49.6 | 110 |
| 1981 | 201.6 | 59.2 | 142.4 |
| 1991 | 225.9 | 61.1 | 164.8 |
| 2001 | 309.4 | 90.7 | 218.7 |
इन कारकों का विश्लेषण करने से हमारे लिए यह समझना आसान हो जायेगा कि महिलाएँ क्यों प्रवास करती हैं। महिला और पुरुष प्रवासन के बीच सबसे उल्लेखनीय अंतर यह है कि महिलाओं के लिए विवाह एक प्राथमिक कारण है। लेकिन महिलाओं के प्रवास हेतु आर्थिक कारक भी तेजी से महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। कई अध्ययनों (ससीन-कूब 1984; शांति 1991; घोष 2002; सुंदरी और रुक्मणी 1998; सरदामोनी 1995) से पता चलता है कि महिलाएँ आर्थिक कारणों से भी स्वतंत्र रूप से प्रवास करती हैं।
1981 की जनगणना में महिलाओं के पलायन के पाँच मुख्य कारणों की पहचान की गई:
1990 के दशक से गिरावट के रुझान के विपरीत, 2020-21 की PLFS रिपोर्ट हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण सुधार दिखाती है। 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए FLFPR 17.5% से बढ़कर 24.8% हो गई, और 2017-18 में 23.3% से बढ़कर 2020-21 में 32.8% हो गई। वित्त मंत्रालय की एक हालिया प्रेस विज्ञप्ति में इस सुधार का श्रेय कई कारकों को दिया गया है, जिसमें प्रगतिशील श्रम सुधार, विनिर्माण क्षेत्र में बेहतर रोजगार रुझान, स्वरोजगार में वृद्धि और औपचारिक रोजगार के स्तर में वृद्धि शामिल है।
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