जौनपुर की लाल दरवाजा मस्जिद

वास्तुकला I - बाहरी इमारतें
22-03-2018 11:22 AM
जौनपुर की लाल दरवाजा मस्जिद

लाल दरवाजा मस्जिद का निर्माण सन 1447 में सुल्तान मुहम्मद शर्की के शासन काल में मल्लिका बीबी राज़ी द्वारा करवाया गया था। खैर-उद-दीन से प्राप्त कथन के अनुसार यह जौनपुर के प्रसिद्द संत अली-दाउद को समर्पित थी। यह मोहल्ला बीबी राज़ी के नाम को समर्पित था जहाँ पर एक विद्यालय का निर्माण भी बीबी राज़ी द्वारा करवाया गया था। इस विद्यालय में विभिन्न विद्वान लोग पढ़ते थे तथा भारत भर से यहाँ पर विद्यार्थी पढ़ने आते थे। उनमें से कई विद्यार्थी छात्रवृत्ति पर भी आते थे। इस मस्जिद का नाम लाल दरवाजा इस लिए रखा गया था क्यूंकि इसके प्रमुख दरवाजे का रंग लाल था। इसी के बगल में कभी बीबी राज़ी का महल हुआ करता था। यह मस्जिद जौनपुर शहर के पूर्व-पश्चिम में एक मोहल्ले में स्थित है, जो कि दो नामों से जाना जाता है- 1. बेगम गंज, 2. लाल दरवाजा।

लाल दरवाजा मस्जिद का वास्तु जामी और अटाला मस्जिद के समान ही है। यदि आकार के रूप में बात की जाए तो यह मस्जिद अटाला और जामी मस्जिद से छोटी है और इसकी चाहरदीवारी भी अन्य मस्जिदों से पतली है। यह मस्जिद मुख्यतया पत्थर की बनी है परन्तु कुछ स्थानों पर ईंट और चूने का भी प्रयोग किया गया है। बाह्य और आतंरिक दीवारें बड़ी संजीदगी के साथ काटी व तराशी गयी हैं जो कि उत्तम शिल्प कला का उदहारण पेश करती हैं। इस मस्जिद के मुख्य दरवाजे को अन्दर से तीन तरफ के लिए खोला गया है जो कि अन्य किसी शर्की वास्तुकला में दिखाई नहीं देता। इसके मुख्य दरवाजे के बरामदे को गोल स्तंभों पर टिकाया गया है जो कि हिन्दू कला की तरह कुछ-कुछ दिखाई देता है। मुख्य दरवाजे के प्रत्येक तरफ और मुख्य आँगन के तीन तरफ दो मंजिला बरामदे का निर्माण चाहरदीवारी से लग कर करवाया गया है। इन बरामदों को जनाना बरामदा कहते हैं जो कि महिलाओं के प्रार्थना के लिए प्रयोग में लाये जाते थे। जौनपुर के सभी मस्जिदों की यह पहचान है जो कि महिलाओं की स्थिति व उनके अधिकारों के तरफ अपना ध्यान ले जाती है।

सिकंदर लोधी के आक्रमण के समय जौनपुर की अन्य धरोहरों की तरह इसको, रानी के महल को और विद्यालय को तोड़ दिया गया था। कालांतर में इस मस्जिद की मरम्मत की गयी परन्तु रानी का महल कभी बन न सका।

1. जौनपुर नामा
2. शर्की आर्किटेक्चर ऑफ़ जौनपुर