लौकी शिल्पकला के माध्यम से बनाए जाते हैं लौकी के सुंदर आभूषण

मिट्टी के बर्तन से काँच व आभूषण तक
04-09-2024 09:10 AM
Post Viewership from Post Date to 05- Oct-2024 (31st) day
City Readerships (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2299 141 0 2440
* Please see metrics definition on bottom of this page.
लौकी शिल्पकला के माध्यम से बनाए जाते हैं लौकी के सुंदर आभूषण
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि लौकी का उपयोग, न केवल सब्ज़ी बनाने के लिए, बल्कि कलात्मक और सजावटी दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। लौकी का उपयोग करके बनाई जाने वाली लौकी कला (gourd art) अनुष्ठानों और परंपराओं पर आधारित है जो समय के साथ विकसित हुई है। लौकी कला, एक ऐसी कला है जिसमें एक माध्यम के रूप में कठोर खोल वाली लौकी का उपयोग किया जाता है। इसके लिए कठोर छिलके वाली लौकी सर्वोत्तम प्रकार की होती है, क्योंकि वह सूखी, कठोर, टिकाऊ और जलरोधक होती है । तो आइए, आज के लेख में, लौकी कला और इसके महत्व के बारे में विस्तार से बात करते हैं और भारत में उपयोग की जाने वाली विभिन्न लौकी शिल्पकला विधियों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही, बस्तर, छत्तीसगढ़ के तुमा शिल्प के बारे में समझते हैं और देखते हैं कि इस शिल्प के माध्यम से लौकी के आभूषण कैसे बनाए जाते हैं। हम ऐसे आभूषण बनाने के लिए आवश्यक उपकरणों के बारे में भी जानेंगे।
प्राचीन काल से ही, भारत में कई संस्कृतियों में, कटोरे, बर्तन, टोपी, संगीत वाद्ययंत्र और कई अन्य उपयोगी उद्देश्यों के लिए लौकी का उपयोग किया जाता रहा है और आज भी किया जा रहा है। लौकी, विभिन्न आकारों और आकृतियों में आती हैं। सब्ज़ी के रूप में बेची जाने वाली पारंपरिक लौकी से किसान को अधिकतम 50 रुपये प्रति लौकी का भाव मिलता है। इसके अलावा, अधिकांश भारतीय एकल परिवारों में खाद्य लौकी के रूप में केवल छोटी लौकी का ही उपयोग किया जाता है और बड़े आकार की इकाइयां व्यर्थ हो जाती हैं, जिसके कारण कई बार लौकी की व्यावसायिक खेती में किसानों को असफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही, हाइब्रिड लौकी की किस्मों और मोनो क्रॉपिंग प्रणाली की शुरुआत से, पारंपरिक लौकी की किस्में विलुप्त होती जा रही हैं। कीन्या में स्थानीय लौकी कला से प्रेरित होकर, भारत में भी इस सब्ज़ी को एक नया रूप देने के उद्देश्य से, इसका सजावटी वस्तु के रूप में उपयोग शुरू हुआ। सजावटी वस्तु के रूप में उपयोग होने से डिज़ाइन के आधार पर उनकी कीमत भी 5-10 गुना अधिक बढ़ जाती है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ होता है। कठोर छिलके वाली लौकी, एक बार सूखने पर, सालों तक इस्तेमाल की जा सकती है क्योंकि यह मूलतः नरम लकड़ी होती है। कठोर शैल वाली लौकी की दर्जनों किस्में होती हैं और उनके अलग-अलग आकार और आकृतियों से कई प्रकार के कार्यात्मक, सजावटी और आध्यात्मिक सामान बनाए जा सकते हैं, जैसे कंटेनर और बर्तन, मुखौटे, संगीत वाद्ययंत्र, गहने, गुड़िया और बहुत कुछ।
लौकी शिल्पकला बनाने की विधियाँ:
लौकी शिल्पकला में कई अलग-अलग तकनीकें शामिल हैं जिनमें रेतना, नक्काशी, जलाना, रंगाई, सजावट और पॉलिश करना शामिल है:
✮ बालूघर्षण या रेतना: लौकी को रेतने से एक चिकनी और सुसंगत बनावट प्राप्त होती है और रंग करने में मदद करती है। इसके लिए, महीन सैंडपेपर का उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि सतह पर खरोंच न पड़े।
✮ नक्काशी: लौकी को नियमित लकड़ी के औज़ारों से तराशा जा सकता है, लेकिन चूंकि यह नरम लकड़ी होती है, यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि इसे काटने के लिए अधिक दबाव ना डाला जाए ।
✮ जलाना: गर्म उपकरणों के साथ डिज़ाइन को लकड़ी में जलाने की कला को पायरोग्राफ़ी कहते हैं। बड़े या छोटे जलाने के चिन्ह बनाने के लिए, अलग-अलग आकार के बिंदुओं वाले उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिए।
✮ रंगाई और पेंटिंग: आप अपने लौकी शिल्प को रंगों, पेंट, दाग, मोम और धातु की पत्तियों से रंग सकते हैं। सुनिश्चित करें कि पेंटिंग से पहले, लौकी पूरी तरह से सूख चुकी है। पेंटिंग करने से पहले, छेदों को लकड़ी के भराव से भरें और रेत से चिकना कर लें। पेंटिंग के लिए एक चिकनी सतह सुनिश्चित करने हेतु लौकी के चारों ओर अतिरिक्त महीन सैंडपेपर से रेतना अच्छा होता है। रंगने के लिए ऐक्रेलिक या ऑयल पेंट का प्रयोग करें।
✮ सजावट: अपने लौकी शिल्प को पत्थर, पंख और पौधों जैसी प्राकृतिक और उपलब्ध सामग्रियों से सजाएँ और सुशोभित करें।
✮ पॉलिशिंग: जब एक बार लौकी शिल्प बनकर तैयार हो जाए, तो आप अपने शिल्प को ढकने और इसे एक चिकनी, चमकदार फ़िनिश देने के लिए नियमित पॉलिश का उपयोग कर सकते हैं।
छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले के तुमा शिल्प को, जिसमें सूखी लौकी का उपयोग किया जाता है, भारत के अद्वितीय शिल्पों में से एक माना जाता है। हाल ही में विकसित यह शिल्प, शिल्प नवाचार का एक उदाहरण है। इसमें सूखी लौकी को सुंदर पैटर्न के साथ गर्म चाकू से उकेरा जाता है | इस कला का उपयोग करके, दीवार के लिए सजावटी वस्तुओं से लेकर पेंडेंट तक विभिन्न उत्पाद बनाए जाते हैं। तुमा शिल्प का आविष्कार, कोंडागांव के शिल्पकार ‘जगत राम देवांगन’ द्वारा किया गया है। तुमा उत्पादों में लैंपशेड, गमले, वॉल हैंगिंग, बर्तन और मास्क आदि शामिल हैं। हाल ही में इन उत्पादों में आभूषणों को भी शामिल किया गया है।पहले इस शिल्प के लिए बची हुई एवं बेकार लौकी का उपयोग किया जाता था, लेकिन अब इसके लिए लौकी की खेती की जाती है। आमतौर पर, इसके बचे हुए हिस्से से आभूषण बनाए जाते हैं। अंतिम उत्पाद, इस प्रकार बनाया जाता है कि वह वर्षों तक खराब नहीं होता है।
लौकी के आभूषण बनाने की विधि:
वास्तव में लौकी से आभूषण बनाना अपने आप में एक कला श्रेणी है। पिन, कंघी, पेंडेंट और कंगन आदि जैसी वस्तुओं को कठोर छिलके वाली लौकी से आसानी से बनाया जा सकता है। लौकी को रंग, पेंट, पॉलिश, मोम पायरोग्राफ़ी, नक्काशी और स्थायी मार्करों का उपयोग करके सजाया जा सकता है।
इसके लिए, निम्नलिखित कुछ सरल उपकरणों की आवश्यकता होती है:
- किसी प्रकार का काटने का उपकरण - एक आरी, चाकू, ड्रेमल उपकरण, मज़बूत शिल्प चाकू, बैंड आरा या लघु आरा
- सैंड पेपर या डरमेल टूल सैंडर
- लकड़ी का बर्नर या काला स्थायी मार्कर
- ड्रिल और ड्रिल बिट्स
- सजावट के लिए रंग, पेंट, मोती, डोरियां और सुई आदि
पैटर्न - किताबों से, इंटरनेट से या अपनी खुद की रचना से।
छोटी "आभूषण" लौकी, जिसे टेनेसी कताई लौकी के रूप में भी जाना जाता है, पेंडेंट के लिए आदर्श होती है।
पेंडेंट बनाने के लिए: कटाई के बाद, छोटी लौकी को कई महीनों के लिए अलग रख दें जब तक कि वे अपना हरा रंग न खो दे और सूखकर अच्छे भूरे रंग की हो जाए | यह सुनिश्चित करने के लिए कि लौकी सख्त और सूखी है, लौकी को मज़बूती से निचोड़ें। फिर लौकी को डाई, पेंट, लकड़ी के बर्नर आदि से सजाएं और सुरक्षात्मक फ़िनिश का एक कोट लगाएं।
हार बनाने के लिए: सूखने पर, छोटी लौकी की गर्दन में छेद करने के लिए एक छोटी ड्रिल बिट का उपयोग करें ताकि एक छेद अंदर और एक छेद बाहर हो। इन छेदों के माध्यम से डोरी डालें। लौकी से बने अपनी पसंद के मोतियों को डोरी पर पिरोएं। डोरी के दोनों सिरों को एक गांठ लगाकर बांधें, या एक जंप रिंग लगाएं और इसे उचित लंबाई में समायोजित करें। इनमें से सबसे छोटे लौकी का उपयोग करके बालियां भी बनाई जा सकती हैं।
ब्रेसलेट बनाने के लिए: इसके लिए लंबी, पतली लौकी का उपयोग करें। आरी या अन्य काटने वाले उपकरण का उपयोग करके साफ़-सुथरे रिंग अनुभागों को काटें। सुनिश्चित करें कि ये आपकी कलाई पर फिट हों। किनारों को चिकना कर लें। लकड़ी के बर्नर का उपयोग करके, टुकड़े के चारों ओर रचनात्मक डिज़ाइन बनाएं। आप ब्रेसलेट को अधिक चमक देने के लिए उस पर कांच की कुछ सजावट भी कर सकते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/muz6v537
https://tinyurl.com/mvj64u5j
https://tinyurl.com/bd8kk6af
https://tinyurl.com/2k77rere

चित्र संदर्भ
1. लौकी से निमिर्त एक उल्लू की आकृति वाले हार को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. क्रोएशिया में ग्रैडिस्टे के लोक कलाकार विन्को बाबिक (Vinko Babić) द्वारा निर्मित दो सजावटी लौकी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. दुकान में बिक रहे लौकी से निर्मित विभिन्न उत्पादों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. लौकी के एक अनोखे आभूषण को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)


Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.

D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.

E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.