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जौनपुर का इतिहास सिर्फ शर्की सल्तनत तक सीमित नहीं है बल्कि वह प्रागैतिहासिक काल तक पीछे जाता है। मान्यता है कि सूर्यवंशी क्षत्रिय राजाओं की उत्पत्ति मनु वैवस्वत जो हिन्दू धर्म के अनुसार मानव जाती के प्रणेता थे उनसे हुई। जौनपुर उनके और उनके उत्तराधिकारियों के राज्य का हिस्सा था।
यहाँ पर कुछ किंवदंतियां और रीति प्रचलित हैं जिनके अनुसार यहाँ पर श्री राम और केरार बीर दानव के बीच घमासान युद्ध हुआ था। रामजी जब अयोध्या पर राज कर रहे थे तब गोमती के किनारे, जहाँ पर आज जौनपुर खड़ा है, एक बड़ा दानव रहता था जिसका नाम था, करालवीर (केरार बीर)। उसके अन्तक की वजह से लोग बड़े सहमे रहते थे इतना कि डर के मारे वे घर से भी नहीं निकल पाते।
जब अयोध्यापति राम को इसके बारे में पता चला तब उन्होंने केरार बीर के साथ युद्ध कर उसे हरा दिया। उन्होंने उस दानव का धड़ याद के लिए वहीँ पर छोड़ दिया। दानव के भक्तगणों ने उसपर मंदिर चढ़ाया। अन्य मान्यता यह है कि राजा विजय चन्द्र ने 11 शती के आस-पास इस मंदिर की स्थापना की।
किराकित अथवा केराकत, जौनपुर ज़िले में स्थित शहर, इस नाम से आज यह जगह जानी जाती है। केराकत का एक मतलब चट्टान पर खड़ा किला भी है। केरार बीर का एक मंदिर आज यहाँ के सद्भावना पुल के कोने पर स्थित है लेकिन यह वही मंदिर है कि नहीं यह बताना काफी मुश्किल है।
कहते हैं कि केरार बीर के अंतिम समय में उसे आत्मज्ञान हुआ और इसीलिए प्रभु श्री राम ने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा कि तुम्हारी यहाँ पर पूजा होगी। केरार बीर को आज इस शहर का संरक्षक देवता मानते हैं। केराकत में इस मंदिर में आज भी बहुत दूर से लोग पूजा हेतु आते हैं और निवासियों का विश्वास है कि यहाँ आनेवाले की हर मन्नत पूरी होती है।
चमना बीबी शर्की घराने की राजकन्या ने केराकत को शहर के रूप में स्थापित किया था।
1. गज़ेटियर ऑफ़ इंडिया, उत्तर प्रदेश, जौनपुर 1986
2. http://www.hamarajaunpur.com/2015/11/blog-post_26.html