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हम में से ज्यादातर भाप स्नान और स्पा से परिचित हैं, और उन्हें हम आधुनिक आविष्कारों के रूप में देखते हैं। लेकिन हम जो अनुमान लगाते हैं इस विषय पर वो सत्यता में सही नहीं है, ये तकनीकें 11-12 वीं शताब्दी पहले की हैं। तुर्की लोग पहले से ही एक स्पा के अपने स्वयं के संस्करण का आनंद लेते थे। एक तुर्की स्नान या हमाम, भाप स्नान का एक इस्लामी संस्करण है। ये हमाम सामाजिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण होते थे जिनका उद्देश्य यह था कि ज्यादा से ज्यादा लोग यहाँ आयें और साथ स्नान करें तथा एक दूसरे से बात भी करें।
सीरिया, मोरक्को आदि स्थानों पर ऐसे हमामों को आसानी से देखा जा सकता है। ये हमाम सम्पूर्ण सुख सुविधाओं वाले थे जहाँ पर मनुष्य पूर्ण आराम करता था। भारत में भी ऐसे कई हमाम बनाये गए हैं जो कि प्रमुख रूप से भोपाल, मांडू आदि स्थानों पर पाए जाते हैं। जौनपुर पर मुगलों के अधिपत्य के दौरान यहाँ के शाही किले पर एक हमाम का निर्माण कराया गया था जिसका वास्तु पूर्ण रूप से तुर्की हमाम वास्तुकला से प्रेरित है। यह हमाम वर्तमान काल में भूल भुलैया के नाम से जाना जाता है जिसका प्रमुख कारण है इसकी बनावट और इसके अन्दर बने स्नान घरों की संरचना।
इस हमाम में नहाने हेतु टबों का निर्माण किया गया है तथा पानी आने जाने के भी कई रास्तों का निर्माण किया गया है। भाप आने के लिए कई स्थानों का भी निर्माण इसमें किया गया है तथा सूर्य के प्रकाश के लिए इसकी छतों पर जालियां लगायी गयी हैं। वस्त्र बदलने आदि का भी स्थान इसके अन्दर बनाया गया है। इसी प्रकार से कई कमरे और एक केंद्र होने के कारण इसे भूल भुलैया के नाम से जाना जाता है। यह हमाम तुर्की में बने हमामों से हूबहू मिलता है।
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