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अक्षय तृतीय को संपूर्ण मुहूर्त माना जाता है मतलब इस दिन आप कोई भी काम पंचांग देखे बिना कर सकते हैं तथा उसमें आपको यश सुनिश्चित है। अक्षय तृतीया के शुभ मुहर्त पर देश में सभी लोग सोना चाँदी खरीदने निकल पड़ते हैं। मान्यता है कि इस दिन सोना खरीदने से घर में संपन्नता बनी रहती है। भारत में अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना एक धार्मिक कार्य माना जाता है लेकिन हमेशा से यह प्रथा नहीं थी, यह प्रथा कब और कहाँ शुरू हुई इस में मतभेद है तथा इससे कई सारी कहानियाँ जुड़ी हुई हैं।
कहते हैं कि श्री कृष्ण एक दिन द्रौपदी से मिलने गए तब वे बहोत चिंता में थी, कुछ ही समय पहले एक ऋषि उनसे ये कहकर गए थे कि वे कुछ लोगों को ले कर द्रौपदी के घर पर भजन करने आ रहे हैं। वो दिन अक्षय तृतीया का था। तब द्रौपदी और उनके पति वनवास में थे, उन्होंने जो खाना मिला था वो बाँट के खा लिया था। कृष्ण को द्रौपदी की समस्या ज्ञात हुई तब उन्होंने द्रौपदी से खाने के लिए कुछ माँगा, कहने लगे कि उन्हें बहुत भूख लगी है, द्रौपदी ने हताश हो कर उन्हें खाने का पात्र दिखाया, उसमें मात्र एक चावल का दाना चिपका हुआ था। कृष्ण ने वो चावल का दाना उठाकर खा लिया और फिर द्रौपदी को आशीर्वाद दे दिया। इस आशीर्वाद की वजह से वो पात्र अन्न से भर गया, द्रौपदी ने उस ऋषि और उसके सभी साथियों को भरपेट खाना खिलाया क्यूंकि वो पात्र अब अक्षय-पात्र बन चुका था। उसमें से वो जितना ही खाना निकालती, उतना ही ज्यादा अन्न उसमें वापस भर जाता। अक्षय का मतलब है जिसका कभी क्षय नहीं होता, जो कभी खत्म नहीं होता। इसी प्रकार सोने का भी कभी क्षय नहीं होता।
दूसरी कहानी में कृष्ण ने अपने दोस्त सुदामा के यहाँ एक मुट्ठी पोहे खा कर उसे सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया था। वो दिन भी अक्षय तृतीया का था। कहते हैं आज ही के दिन शिव भगवान ने प्रसन्न होकर कुबेर को अक्षय संपत्ति प्रदान की थी तथा आज ही के दिन वेद व्यास और श्री गणपति ने महाभारत लिखने की शुरुवात की थी। जैन धर्मियों के अनुसार आज के दिन वे उनके प्रथम तीर्थंकार ऋषभनाथ को मिलने अयोध्या गए थे। सनातन धर्म और ज्योतिषों के अनुसार आज के दिन सूरज और चाँद अपने पूर्ण तेज के साथ आकाश में जगमगाते हैं तथा यह वैशाख महीने की शुरुवात करता है, कहते हैं कि सतयुग की शुरुवात इसी दिन हुयी थी। परशुराम, नर-नारायण एवं हयग्रीव भगवान विष्णु के तीन अवतारों का एवं स्वामी चिन्मयानान्द, बसवेश्वर, रामानुजाचार्य और भगवान् बुद्ध का जन्म इसी दिन हुआ था। वृंदावन के कृष्ण मंदिर में केवल अक्षय तृतीया के दिन ही उनके चरण दर्शन होते हैं।
इन सभी कारणों की वजह से इस दिन को समृद्धि और अक्षय संपत्ति प्रदान करने वाले दिन के रूप में देखा जाता है। सोना अक्षय सम्पन्नता का प्रतीक है तथा उसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक तथा शास्त्रीय महत्व भी अनूठा है, इसीलिए आज के दिन सोना ख़रीदा जाता है तथा नए कामों की शुरुआत की जाती है।
1. https://www.speakingtree.in/blog/the-real-meaning-of-akshaya-tritiya
2. https://www.wisdom.srisriravishankar.org/significance-of-akshaya-tritiya/
3. https://www.esamskriti.com/e/Culture/Indian-Culture/Why-Is--colon-Akshaya-Tritiya-colon--A-Day-For-Gold-1.aspx
4. http://hindi.webdunia.com/article/other-festivals