
जौनपुर शहर की शिक्षा प्रणाली अब एक नए युग में कदम रखने को तैयार है। 2020 में लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy(एन ई पी) हमारे शहर के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। हमारे शहर के बच्चे अब एक से अधिक भाषाओँ में महारत हासिल कर सकेंगे! यूनेस्को (UNESCO) और यूनिसेफ़ (UNICEF) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के शोध भी यह साबित करते हैं कि “मातृभाषा में सीखने और पढ़ने से बच्चों की सीखने की क्षमता, कई गुना बढ़ सकती है।” इसी सिद्धांत को अपनाते हुए, एन ई पी प्रारंभिक शिक्षा में मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता देने पर ज़ोर देती है। जौनपुर जैसे भाषाई रूप से समृद्ध शहर के लिए यह नीति बेहद महत्वपूर्ण है। अब यहाँ के बच्चे अपनी माटी की बोली में पढ़ाई कर न केवल अपनी जड़ों से जुड़े रहेंगे, बल्कि आधुनिक शिक्षा को भी बेहतर तरीके से आत्मसात कर सकेंगे। इससे उनके लिए सीखने की प्रक्रिया और ज़्यादा सहज और प्रभावी हो जाएगी । इसके अलावा, एन ई पी 2020 में अंग्रेज़ी और भारतीय भाषाओं के संतुलित शिक्षण पर विशेष बल दिया गया है। इससे जौनपुर के छात्र न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी पहचान बना सकेंगे। इसलिए आज के इस लेख में हम एन ई पी 2020 का एक व्यापक अवलोकन करेंगे। इसके तहत जानेंगे कि इस ऐतिहासिक बदलाव के पीछे की सोच क्या थी और इसमें कौन-कौन से बड़े सुधार किए गए हैं। साथ ही, हम इस नीति में लागू की गई तीन-भाषा नीति पर भी चर्चा करेंगे, जो भारत जैसे बहुभाषी देश के लिए बेहद अहम साबित होने वाली है।
आइए सबसे पहले जानते हैं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्या है?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 या एन ई पी 2020, भारत की शिक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव लाने के लिए बनाई गई है। इसका उद्देश्य भारत की शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी, लचीला और व्यावहारिक बनाना है। इस नीति में स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण, मूल्यांकन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। इसके तहत छात्रों को 21वीं सदी के कौशल से लैस किया जाएगा, ताकि वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए पूरी तरह तैयार हो सकें । इस नीति में समावेशिता, न्यायसंगत अवसर और भारत की संस्कृति को केंद्र में रखा गया है। एन ई पी 2020, शिक्षा में सुधार के लिए एक रोडमैप की तरह है। इसमें सर्वभौमिक आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (बेसिक लिट्रेसी और न्यूमेरसी) पर ज़ोर दिया गया है। इसके तहत, शिक्षा को अधिक समग्र, बहुभाषी और कौशल-आधारित बनाने की योजना है। इसके अलावा एन ई पी 2020 के तहत, शैक्षणिक और व्यावसायिक मार्गों को एकीकृत करने पर भी ध्यान दिया गया है, ताकि छात्र अपने रुचि के अनुसार पढ़ाई कर सकें। एन ई पी 2020 के तहत 5+3+3+4 शिक्षा प्रणाली लागू की गई है, जो पारंपरिक 10+2 व्यवस्था की जगह लेती है। यह प्रणाली केवल रटने के बजाय बच्चों के समग्र विकास पर केंद्रित है।
इसमें 3 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए शिक्षा को चार चरणों में विभाजित किया गया है:
एन ई पी लागू हुए चार साल हो चुके हैं और इस दौरान शिक्षा में कई बड़े बदलाव हुए हैं! इन बदलावों में शामिल हैं:
फाउंडेशनल स्टेज पाठ्यक्रम (Foundational stage curriculum): 3-8 साल के बच्चों के लिए खेल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा दिया गया है। इसके लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF-FS) तैयार की गई है। साथ ही, बच्चों में रुचि बनाए रखने के लिए "जादुई पिटारा" लर्निंग किट लॉन्च की गई है।
क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा: तकनीकी और चिकित्सा पाठ्यक्रम अब क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध हैं। ए आई सी टी ई (AICTE) द्वारा अनुमोदित इंजीनियरिंग और मेडिकल कोर्स हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी जैसी भाषाओं में पढ़ाए जा रहे हैं। इसके अलावा, जे ई ई (JEE) और एन ई ई टी (NEET) जैसी प्रमुख प्रवेश परीक्षाएँ अब 13 भारतीय भाषाओं में आयोजित की जा रही हैं, जिससे छात्रों को अपनी मातृभाषा में परीक्षा देने का विकल्प मिलता है।
चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (FYUP): एन ई पी के तहत एफ वाई यू पी (FYUP) लागू किया गया है, जिसे 105 से अधिक विश्वविद्यालयों ने अपनाया है, जिनमें 19 केंद्रीय विश्वविद्यालय भी शामिल हैं। यह कार्यक्रम छात्रों को लचीलापन और कई निकास विकल्प (multiple exit options) प्रदान करता है।
डिजिटल और मल्टीमॉडल लर्निंग: डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पी एम ई-विद्या और दीक्षा जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स (platform) को एकीकृत किया गया है। इससे छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा तक आसान पहुँच मिल रही है, जिससे दूर-दराज़ के क्षेत्रों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा संभव हो रही है।
आइए अब जानते हैं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) में ऐसे कौन-कौन से अहम बदलाव किए गए हैं, जो शिक्षा की दिशा को पूरी तरह बदल सकते हैं:
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत बच्चों को अब अकादमिक विषयों के साथ-साथ कला, खेल, मानविकी और व्यावसायिक कौशल भी सिखाए जाएंगे। इसका लक्ष्य छात्रों का सर्वांगीण विकास करना है, ताकि वे सिर्फ़ रटने के बजाय जीवन में काम आने वाले कौशल भी सीख सकें। इससे उनकी रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान क्षमता में सुधार होगा।
- इसके तहत बच्चों की शुरुआती शिक्षा पर ख़ास ध्यान दिया गया है। अब 3-6 साल की उम्र के बच्चों के लिए खेल-आधारित और गतिविधि-आधारित शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा। इस उम्र में बच्चों का दिमाग सबसे तेज़ी से विकसित होता है, इसलिए उनके संज्ञानात्मक (सोचने-समझने), सामाजिक और भावनात्मक विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसका प्रमुख लक्ष्य है कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा मिले।
- अब स्कूलों में सिर्फ़ किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि कामकाजी कौशल भी सिखाए जाएंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा दी जाएगी, जिससे वे सिर्फ़ डिग्री तक सीमित न रहें, बल्कि नौकरी के लिए भी तैयार हो सकें। इसके लिए पाठ्यक्रम में व्यावहारिक प्रशिक्षण और इंडस्ट्री-उन्मुख कौशल को शामिल किया गया है, ताकि शिक्षा और रोज़गार के बीच की खाई को पाटा जा सके।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अब पढ़ाई को तकनीक से जोड़ा जाएगा! एन ई पी 2020 में ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म, डिजिटल सामग्री और तकनीकी बुनियादी ढांचे पर ज़ोर दिया गया है। इससे छात्र कहीं से भी पढ़ सकेंगे। इसके अलावा, मूल्यांकन प्रक्रिया को भी तकनीक की मदद से अधिक सटीक और आसान बनाया जाएगा। ख़ासकर महामारी जैसे समय में यह बदलाव बेहद मददगार साबित होगा।
क्या आप जानते हैं, भारत में हर छात्र को स्कूल में तीन भाषाएँ सीखनी होती हैं! इसे ही त्रिभाषा नीति कहा जाता है। इस नीति के तहत, छात्रों को तीन भाषाओं का ज्ञान दिया जाता है! इनमें दो भारतीय भाषाएँ (जिनमें से एक क्षेत्रीय हो) और तीसरी भाषा अंग्रेज़ी। यह नीति सरकारी और निजी, दोनों तरह के स्कूलों में लागू होती है। शिक्षा का माध्यम इन तीनों में से कोई भी भाषा हो सकता है।
त्रिभाषा नीति की शुरुआत कब हुई?
1968 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत त्रिभाषा नीति को लागू किया। इसका उद्देश्य छात्रों को हिंदी और अंग्रेज़ी के अलावा एक अन्य भारतीय भाषा सिखाना था।
त्रिभाषा नीति के तीन स्तंभ:
इस नीति का उद्देश्य क्या है?
त्रिभाषा नीति का मुख्य उद्देश्य बहुभाषावाद को बढ़ावा देना है। इसके तहत यह कोशिश की गई है कि छात्र सिर्फ़ एक भाषा तक सीमित न रहें, बल्कि भारत की विविध संस्कृतियों और भाषाओं से जुड़ाव महसूस करें। इससे वे देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों से आसानी से संवाद कर सकेंगे। नई भाषाएँ सीखने से छात्र न सिर्फ़ संवाद करना सीखते हैं, बल्कि दूसरी संस्कृतियों को भी अपनाने लगते हैं। इससे समाज में भाषाई विभाजन कम होता है और राष्ट्रीय एकता को बल मिलता है।
भाषा नीति में अंग्रेज़ी को भी अहम स्थान दिया गया है, ताकि छात्र वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। अंग्रेज़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संपर्क की भाषा है, इसलिए इसका ज्ञान आवश्यक माना गया है।
शोध बताते हैं कि बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा देने से उनकी सोचने-समझने की क्षमता बेहतर होती है। वे जटिल समस्याओं को अधिक आसानी से हल कर पाते हैं। साथ ही नई भाषाएँ सीखने से दिमागी क्षमता भी बढ़ती है और स्मरण शक्ति में सुधार होता है। कुल मिलाकर 2020 में लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एन ई पी) और त्रिभाषा नीति छात्रों को भाषाई रूप से सक्षम बनाने के साथ-साथ उन्हें संस्कृति, एकता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करती है। यह नीति भारत की भाषाई विविधता का सम्मान करते हुए, देश को एकजुट करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
संदर्भ
मुख्य चित्र स्त्रोत : flickr
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