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जौनपुर एक महत्वपूर्ण राज्य के रूप में प्राचीन भारत में जाना जाता था। इसकी सीमायें गुप्त काल में गुप्त राजाओं के अंतर्गत आती थी तथा प्रतिहारों के काल में प्रतिहार साम्राज्य के अंतर्गत। यहाँ से गुप्त, कुषाण, प्रतिहार आदि साम्राज्यों के पुरावशेष बड़ी संख्या में प्राप्त हुए हैं। मध्यकाल के आने के बाद जौनपुर का स्वर्ण युग शुरू होता है जब यहाँ पर शर्की शासन की नीव पड़ती है। यह कहना कतिपय गलत नहीं होगा की 100 वर्ष के शर्की शासन काल में जौनपुर अपनी चरम पर पहुँच गया था। शर्कियों के बाद लोदी और मुगलों ने जौनपुर पर अधिपत्य स्थापित किया। जैसे ही मुग़ल काल का पतन होना शुरू हुआ जौनपुर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में उभरा और इसकी बागडोर दुबे राजाओं के अंतर्गत चली गयी। वर्तमान में जौनपुर जिले की सबसे बड़ी संपत्ति राजा जौनपुर के स्वामित्व में है।
जौनपुर रियासत की नीव शिव लाल दत्त ने रखी था। उनका जन्म 1776 को अमौली फतेहपुर में हुआ था। शिव लाल पेशे से बैंकर थे तथा उन्होंने बैंकिंग उद्यम द्वारा अपनी संपत्ति में वृद्धि किया था। शिव लाल कालब अली बेग के सलाहकार थे जिन्होंने जौनपुर तैयार किया था। 1797 में उन्होंने "राजा बहादुर" के शीर्षक के साथ बदलापुर के तालुका को संभाला था। (जौनपुर रियासत की स्थापना 03/11/1797 को हुयी थी) सन 1836 में उनका निधन हो गया था। उनके निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी उनके पोते राजा राम गुलाम हुए, हालांकि उनके बेटे राजा बाल दत्त अभी भी जीवित थे। राजा राम गुलाम की मृत्यु 1843 में हुई और संपत्ति उनके पिता राजा बाल दत्त को मिली। राजा बाल दत्त दिसंबर 1844 में स्वर्ग सिधार गए और उनके दूसरे बेटे राजा लक्ष्मण गुलाम की 1845 में मृत्यु हो गई। संपत्ति तब राजा बाल दत्त की विधवा रानी तिलक कुंवर के पास आ गई। 1848 में उनकी मृत्यु हो गई और राजा राम गुलाम के नाबालिग पुत्र राजा शिव गुलाम को अब जौनपुर रियासत का उत्तराधिकारी बनाया गया।
इतने सारे उठापटक के कारण जौनपुर रियासत में पारिवारिक द्वेष भी आ गया और संपत्ति आदि में बड़ी मात्रा में उठा पटक हुआ। शिव गुलाम की मृत्यु के बाद (1858) जौनपुर रियासत के अगले राजा लक्ष्मी नारायण हुए जिनकी मृत्यु सन 1875 में हुई थी। जैसा कि उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं था तो राजा हरी गुलाम के सबसे बड़े पुत्र राजा हरिहर दत्त को उत्तराधिकार पारित किया गया। राजा हरिहर की मृत्यु सन 1892 में हुयी। हरिहर की मृत्यु के बाद जौनपुर रियासत के नये उत्तराधिकारी राजा शंकर दत्त हुए जो कि राजा हरिहर के पुत्र थे। इनकी मृत्यु भी सन 1897 में हो गयी और मृत्यु के बाद संपत्ति उनकी विधवा रानी गुमानी देवी को मिली।
अब जौनपुर के राजा श्रीकृष्ण दत्त हुए जिनका जन्म 1896 में हुआ था। राजा श्री कृष्ण दत्त ने 1916 में बहुमत प्राप्त करने के बाद जौनपुर रियासत को संभाला, उनके ही काल में जौनपुर रियासत का महल बना जिसे कि दूसरे चित्र में दिखाया गया है। सन 1944 में राजा श्रीकृष्ण दत्त की मृत्यु हो गयी तथा उनके उत्तराधिकारी राजा यादवेंद्र दत्त बने। राजा यादवेन्द्र दत्त का जन्म सन 1918 में हुआ था, भारत के आज़ाद होने के बाद जौनपुर रियासत भारत का एक हिस्सा बन गयी। राजा यादवेन्द्र दत्त की मृत्यु सन 1999 में हुयी थी। उनकी मृत्यु के बाद जौनपुर रियासत के नए राजा बने राजा अवनींद्र दत्त जिनका जन्म 21/09/1947 में हुआ था। कालांतर में जौनपुर के यही राजा हैं।
उपरोक्त दिए तथ्यों से हम देख सकते हैं कि जौनपुर कितने रियासतों और साम्राज्यों के पतन और उत्थान को देख चुका है।
1. जौनपुर रियासत, वंश सूंची
2. https://www.jaunpurcity.in/2013/07/jaunpur-riyasat-and-raja-jaunpur-history.html