शाही रौशनियों में सजी विरासत: मैसूर महल की रातों सी चमकती कहानी

वास्तुकला 1 वाह्य भवन
29-06-2025 09:10 AM

दक्षिण भारत के सांस्कृतिक हृदय, कर्नाटक के मैसूर शहर में स्थित मैसूर महल (Mysore Palace) भारतीय शिल्पकला, राजशाही और इतिहास का अद्भुत संगम है। यह महल केवल ईंट-पत्थरों का ढांचा नहीं है, बल्कि सदियों पुरानी एक समृद्ध परंपरा और गौरवशाली शासकों की गाथा है। मैसूर की पहचान दशहरा उत्सव से लेकर भव्य दरबार तक, इस महल की भव्यता में रची-बसी है। हजारों पर्यटक हर वर्ष इस महल की भव्यता को देखने आते हैं, जहां इतिहास, वास्तुकला और किंवदंतियाँ एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई हैं।

मैसूर महल की कहानी 14वीं शताब्दी में यदुराया वाडियार (Yaduraya Wadiyar) द्वारा निर्मित एक लकड़ी के किले से शुरू होती है। यह किला कालांतर में कई बार पुनर्निर्मित हुआ, लेकिन 1897 में एक विनाशकारी आग ने मूल भवन को नष्ट कर दिया। इस नुकसान के बाद, महाराजा कृष्णराज वाडियार चतुर्थ (Maharaja Krishnaraja Wadiyar IV) ने एक नए, अधिक भव्य महल के निर्माण का आदेश दिया। इस कार्य का दायित्व ब्रिटिश वास्तुकार हेनरी इरविन को सौंपा गया।

हेनरी इरविन ने 1897 में नवनिर्माण कार्य प्रारंभ किया और इसे 1912 में पूर्ण किया गया। इस महल का डिज़ाइन एक सांस्कृतिक समन्वय है — हिंदू, राजपूत, इस्लामी और गोथिक शैलियों का ऐसा सुंदर मेल जिसमें हर कोण से कलात्मकता झलकती है।

पहले वीडियो में आप मैसूर महल की वास्तुकला के बारे में देखेंगे।

नीचे दिए गए वीडियो में आप मैसूर महल के भव्य इंटीरियर डिज़ाइन और शानदार आंतरिक वास्तुकला की झलक पा सकते हैं।

वास्तुकला की विशेषताएँ: एक सांस्कृतिक संगम

मैसूर महल का स्थापत्य इंडो-सारासेनिक शैली (Indo - Saracenic architecture) का बेहतरीन उदाहरण है। इस शैली में भारतीय और इस्लामी डिज़ाइनों के साथ यूरोपीय प्रभावों का अद्वितीय समावेश होता है।

  • हिंदू और राजपूत शैलियाँ: महल की नक्काशी, चित्रित छतें और स्तंभ पारंपरिक मंदिरों से प्रेरित हैं।
  • गॉथिक और इस्लामी प्रभाव: मेहराबदार खिड़कियाँ, गुम्बद और ज्यामितीय डिज़ाइन इसे एक भव्य दृश्यात्मक अनुभव बनाते हैं।
  • रंग-बिरंगे काँच और भित्ति चित्र: अंदरूनी सजावट में बेल्जियम से लाए गए काँच, रंगीन फ्रेस्को और भव्य कालीनों का प्रयोग किया गया है।
  • उद्यान और प्रांगण: महल को घेरे हुए मुग़ल शैली के बाग़ और फव्वारे वातावरण को शांत और आकर्षक बनाते हैं।

 कलात्मक धरोहरें, कथाएँ और परंपराएँ

मैसूर महल केवल स्थापत्य ही नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति का संग्रहालय भी है। इसमें अनेक दुर्लभ कलाकृतियाँ और किंवदंतियाँ जुड़ी हैं:

  • शाही धरोहरें: शस्त्र, परंपरागत वस्त्र, आभूषण, सिंहासन, कलाकृतियाँ और पुरानी तसवीरें वाडियार वंश की संपन्नता को दर्शाती हैं।
  • दशहरा उत्सव: हर वर्ष आयोजित होने वाला दशहरा महोत्सव महल की आत्मा है — जहां शाही झांकियाँ, संगीत और परंपराएँ जीवंत होती हैं।
  • किंवदंतियाँ: कहा जाता है कि इस महल का निर्माण देवताओं के मार्गदर्शन में हुआ था। कई शिल्पकला में पौराणिक कथाओं को दर्शाया गया है।
  • राजसी कक्ष: अंबाविलासा हॉल, दरबार हॉल और विवाह मंडप जैसे भव्य कक्षों में अब भी भूतकाल की आभा महसूस की जा सकती है।

नीचे दिए गए वीडियो के माध्यम से आप मैसूर पैलेस की खूबसूरत रोशनी से सजी शानदार लाइटिंग शो को देख सकते हैं।

हर शाम मैसूर महल एक अलग ही रंग में जगमगा उठता है। लाइट एंड साउंड शो में महल की बाहरी दीवारें एक विशाल परदे की तरह जगमगाने लगती हैं। इस शो में पारंपरिक संगीत, कथावाचन और प्रकाश संयोजन से महल का इतिहास जीवंत रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

  • संगीत और ध्वनि प्रभाव: पृष्ठभूमि में बजने वाला कर्नाटिक संगीत और राजा-रानी के संवाद दर्शकों को एक ऐतिहासिक यात्रा पर ले जाता है।
  • दृश्य प्रभाव: गुम्बद, स्तंभ, मेहराब और छज्जों पर पड़ती रंग-बिरंगी रोशनी से ऐसा लगता है मानो महल स्वयं बोल रहा हो।
  • लोकप्रियता: यह शो स्थानीय लोगों और विदेशी पर्यटकों में समान रूप से लोकप्रिय है और मैसूर यात्रा का एक प्रमुख आकर्षण बन चुका है।

संदर्भ-

https://tinyurl.com/3b45tm6v 

https://tinyurl.com/55h6hpps 

https://tinyurl.com/mr2abw4e 

https://tinyurl.com/3njpbt42 

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