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जौनपुरवासियों, गोमती के तट पर बसा हमारा शहर केवल शर्की स्थापत्य या साहित्यिक परंपराओं का केंद्र ही नहीं, बल्कि यातायात के क्षेत्र में भी एक ऐतिहासिक पड़ाव रखता है। जौनपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन, जिसे कभी "भंडरिया स्टेशन" के नाम से जाना जाता था, उत्तर भारत की रेल व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण नोड (node) है। इस स्टेशन की स्थापना 1872 में हुई थी और तब से यह स्टेशन जौनपुर के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास की धुरी बना हुआ है।
पहले वीडियो में हम जौनपुर जंक्शन की एक खूबसूरत झलक देखेंगे।
1872 में जब अवध एवं रोहिलखंड रेलवे ने वाराणसी से लखनऊ तक ब्रॉड गेज लाइन (Broad Gauge Line) खोली, तब जौनपुर जंक्शन अस्तित्व में आया। यह न सिर्फ एक स्टेशन था, बल्कि ब्रिटिश औपनिवेशिक रणनीति का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य व्यापार और प्रशासन को सुगम बनाना था। 1904 में बंगाल एवं नॉर्थ वेस्टर्न (उत्तर पश्चिम) रेलवे द्वारा औंरीहार–केराकत–जौनपुर लाइन के निर्माण ने इसकी उपयोगिता को और बढ़ाया। जौनपुर जंक्शन आज अनेक रेल मार्गों का केंद्र है। यह न केवल वाराणसी–अयोध्या–लखनऊ लाइन पर स्थित है, बल्कि जौनपुर–प्रयागराज, जौनपुर–शाहगंज–आजमगढ़, जौनपुर–सुलतानपुर, जौनपुर–जंघई–प्रतापगढ़, और औंरीहार–केराकत–जौनपुर जैसे मार्गों से भी जुड़ा हुआ है।
ये रूट (route) उत्तर प्रदेश और भारत के सांस्कृतिक केंद्रों को आपस में जोड़ते हैं, जिससे जौनपुर एक ट्रांजिट हब (transit hub) बन चुका है। यहाँ से चलने वाली ट्रेनें दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, गुवाहाटी, भोपाल, देहरादून, रांची, तिरुचिरापल्ली, नागपुर जैसी दूरस्थ जगहों तक जाती हैं। जौनपुर स्टेशन अब केवल स्थानीय यात्रा के लिए नहीं, बल्कि अंतर-राज्यीय संपर्क का महत्वपूर्ण माध्यम बन चुका है। यह स्टेशन "आदर्श स्टेशन" (NSG-3) की श्रेणी में आता है। यहाँ यात्रियों के लिए आधुनिक टिकट काउंटर, प्रतीक्षालय, सार्वजनिक पुस्तकालय, डाकघर, बैंक (SBI शाखा), पुलिस चौकी, स्नैक कॉर्नर (snack corner) जैसी अनेक सुविधाएँ मौजूद हैं। दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष प्रबंध और पार्किंग (parking) सुविधा भी है। हर दिन यहाँ 20,000 से अधिक यात्री आते हैं, और 35 से अधिक ट्रेनें रुकती हैं।
नीचे दिए गए वीडियो के माध्यम से हम जौनपुर ज़िले के सभी रेलवे स्टेशनों के बारे में जानेंगे, और इसके बाद भारत के सबसे शानदार और लग्ज़री (luxury) रेलवे स्टेशन की एक झलक भी देखेंगे।