जौनपुर जानिए! मायोटोनिक बकरियाँ और उनका डर पर अजीब व्यवहार

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जौनपुर जानिए! मायोटोनिक बकरियाँ और उनका डर पर अजीब व्यवहार

जौनपुरवासियो, हमारी धरती पर सिर्फ इंसान ही नहीं, जानवर भी ऐसे जज़्बात और प्रतिक्रियाएं दिखाते हैं जो हमें चौंका सकते हैं। अक्सर हम सोचते हैं कि डर, चिंता या तनाव जैसी भावनाएँ केवल इंसानों में पाई जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ जानवर ऐसे भी होते हैं जो डर के कारण बेहोश-से हो जाते हैं? और कुछ तो ऐसे हैं जो तनाव से निपटने के लिए नाचते हैं, गाते हैं या अजीबोगरीब तरीके अपनाते हैं। यह सुनकर भले ही अचरज हो, लेकिन यह पूरी तरह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है। आज हम जानेंगे उन अद्भुत जानवरों के बारे में, जिनका व्यवहार न केवल रोचक है, बल्कि हमें तनाव, अनुकूलन और अस्तित्व की जटिलता के बारे में सोचने पर मजबूर कर देता है।
इस लेख में हम चार प्रमुख विषयों के ज़रिए जानवरों के अनोखे व्यवहारों को समझने की कोशिश करेंगे। सबसे पहले, हम मायोटोनिक या 'फेंटिंग बकरियों' (Myotonic or Fainting Goats) के बारे में जानेंगे, जो डर के कारण बेहोश-सी हो जाती हैं। फिर, हम समझेंगे कि यह प्रक्रिया वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कैसे काम करती है और इनके शरीर में ऐसी क्या विशेषता है जो उन्हें ऐसा बनाने के लिए ज़िम्मेदार है। इसके बाद, हम अन्य कुछ जानवरों की बात करेंगे, जो तनाव या खतरे की स्थिति में ऐसे व्यवहार करते हैं जो चौंकाने वाले हैं। अंत में, हम कुछ बेहद अनोखे जीवों के व्यवहारों पर नज़र डालेंगे, मछलियाँ जो चलती हैं, चूहे जो गाते हैं और नेवले जो नाचते हैं।

मायोटोनिक (फेंटिंग) बकरियों का परिचय और उनका विशिष्ट व्यवहार
मायोटोनिक बकरियाँ (myotonic goat), जिन्हें टेनेसी फेंटिंग गोट्स (Tennessee Fainting goat) के नाम से भी जाना जाता है, एक अनोखी अमेरिकी नस्ल की बकरियाँ हैं, जो अपने विचित्र और रोचक व्यवहार के कारण पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुकी हैं। जब ये बकरियाँ डरती हैं, अचानक कोई ज़ोर की आवाज़ सुनती हैं या किसी उत्साहित करने वाली स्थिति का सामना करती हैं, तो ये कुछ क्षणों के लिए ऐसी स्थिति में पहुँच जाती हैं जिसमें इनकी मांसपेशियाँ अकड़ जाती हैं और वे अचानक गिर जाती हैं। यह प्रक्रिया महज़ 10 से 20 सेकंड तक चलती है, लेकिन देखने वालों के लिए यह दृश्य हैरत और कौतूहल से भरा होता है।
इन बकरियों की शारीरिक बनावट भी उन्हें खास बनाती है। इनका चेहरा हल्का अंदर की ओर झुका हुआ होता है और माथा व आँखें कुछ उभरे हुए दिखते हैं। इनके कान मध्यम आकार के होते हैं और अधिकांशत: क्षैतिज दिशा में फैले रहते हैं, जो इन्हें एक अलग ही पहचान देते हैं। इनका कोट यानी बालों की परत बहुत ही विविध हो सकती है, कुछ के बाल छोटे, चमकदार और चिकने होते हैं, जबकि कुछ के बाल लंबे और रेशेदार होते हैं, जो उन्हें मौसम के प्रतिकूल प्रभावों से बचाने में मदद करते हैं।

तनाव या डर की स्थिति में बकरियों की मांसपेशियाँ क्यों अकड़ जाती हैं?
मायोटोनिक बकरियों (myotonic goat) का बेहोश-सा हो जाना दरअसल एक अनुवांशिक स्थिति के कारण होता है, जिसे मायोटोनिया कॉन्जेनिटा (Myotonia congenita) कहा जाता है। यह एक न्यूरोमस्क्युलर (neuromuscular) विकार है, जिसमें बकरी की कंकाल मांसपेशियाँ, यानी शरीर को गति देने वाली प्रमुख मांसपेशियाँ, किसी उत्तेजना या संकुचन के बाद, तुरंत आराम की स्थिति में नहीं लौट पातीं। इसकी वजह से मांसपेशियाँ थोड़े समय के लिए अकड़ जाती हैं, जिससे बकरी स्थिर हो जाती है या गिर जाती है। यह स्थिति दरअसल एक प्रकार की लड़ो या भागो (fight or flight) प्रतिक्रिया का विकृत रूप है। आमतौर पर किसी डरावनी स्थिति में जानवर या तो भागते हैं या मुकाबला करते हैं, लेकिन मायोटोनिक बकरियों का शरीर जवाब देने की बजाय कुछ पलों के लिए थम-सा जाता है। हालाँकि यह दिलचस्प है कि इन बकरियों की चेतना बनी रहती है, वे पूरी तरह होश में होती हैं और गिरने के बाद कुछ ही सेकंड में सामान्य हो जाती हैं।

पशु जगत के अन्य जीवों के तनाव-निवारण के अनोखे व्यवहार
तनाव से निपटने के लिए जानवरों ने प्रकृति की पाठशाला में जो तरीके सीखे हैं, वे न केवल विविध हैं, बल्कि कई बार कल्पना से भी परे लगते हैं। जब जानवर किसी अत्यंत डरावनी या जानलेवा स्थिति का सामना करते हैं, तो उनके पास सीमित समय और संसाधन होते हैं, ऐसे में वे कुछ बेहद अनूठे, अजीब और चौंकाने वाले व्यवहार दिखाते हैं।

मेंढक, जब उल्टा किया जाता है, तो टॉनिक इम्मोबिलिटी (Tonic Immobility) में चले जाते हैं। यह एक रक्षा तंत्र है, जिसमें वे बेहोश जैसे दिखने लगते हैं। उनके हाथ-पैर क्रॉस (cross) हो जाते हैं और शरीर बिल्कुल स्थिर हो जाता है, मानो वे मौत को स्वीकार कर चुके हों। यह शिकारी को भ्रम में डाल देता है।

अपॉसम (opossum), एक छोटा सा स्तनधारी जीव, डर के समय अपना मुँह खोलता है, अत्यधिक लार बहाता है और उसकी पूँछ से एक दुर्गंधयुक्त तरल बाहर आता है। इससे शिकार करने वाला जानवर यह समझता है कि वह अपॉसम मर चुका है या किसी बीमारी से ग्रसित है, और उसे छोड़ देता है।

एफिड् (Aphid), छोटे कीट होते हैं जो संकट महसूस होने पर 'अलार्म फेरोमोन' (alarm pheromone) छोड़ते हैं। एक प्रकार की गंध जो उनके साथियों को खतरे की सूचना देती है। लेकिन इनका कमाल यहीं नहीं रुकता। यदि कोई एफिड बच जाता है, तो अगली पीढ़ी में पैदा होने वाले एफिड् के पंख निकल आते हैं, जिससे वे भविष्य में उड़कर ख़तरों से दूर जा सकें।

अनोखे व्यवहार वाले जीव: उड़ने वाले मेंढक से लेकर गाने वाले चूहों तक
प्रकृति ने कई जीवों को ऐसे गुण दिए हैं जो हमें विस्मित कर देते हैं।

  • मडस्किपर (Mudskipper), एक मछली है जो ज़मीन पर चलती है और हवा में साँस ले सकती है।
  • ग्लाइडिंग लीफ़ फ्रॉग (Gliding Leaf Frog), ऊँचे पेड़ों से कूदते हुए अपने पैराशूट जैसे पैरों की मदद से नीचे उतरता है।
  • पेंगुइन (Penguin), एक पक्षी है जो तैर सकता है, लेकिन उड़ नहीं सकता।
  • ऑक्टोपस (Octopus), ज़मीन पर भी चल सकता है और अलग-अलग पोखरों में केकड़ों की तलाश में घूमता है।
  • चूहे, जिनकी गाने की आवाज़ इतनी हाई-फ्रीक्वेंसी (high-frequency) होती है कि इंसान सुन नहीं सकता।

संदर्भ-   

https://tinyurl.com/ynpyx49z