मुल्ला नसीरुद्दीन और हमाम

वास्तुकला I - बाहरी इमारतें
08-05-2018 01:07 PM
मुल्ला नसीरुद्दीन और हमाम

जौनपुर की शर्की काल की वास्तुकला में मध्य-पूर्वी देशों का प्रभाव गहरा दिखाई दे जाता है। यहाँ की विभिन्न मस्जिदों और किले से इस बात के प्रमाण प्राप्त हो जाते हैं। जौनपुर किले के अंदर अभी भी एक दुर्लभ हमाम स्थित है जिसे लोग भूल भुलैया नाम से भी जानते हैं। यह हमाम एक तुर्की स्नान गृह है जिसे वहां की वास्तुकला से बनाया गया है। लेकिन यह सिर्फ वास्तुकला ही नहीं बल्कि यह एक विचार है जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों के बीच कहानियों के आदान-प्रदान से प्रभावित था। प्राचीन काल में, पंचतंत्र ने भारत से ईरान, अरब और यूरोप में यात्रा की लेकिन मध्ययुगीन काल में, मुल्ला नसीरुद्दीन और अरब नाइट्स की कहानियां भारत में आई।

इन कहानियों ने अनिवार्य रूप से नैतिकता और शिक्षाओं को यहाँ पर फ़ैलाने की भूमिका निभाई। उन कहानियों से कई वस्तुकलाओं व संस्कृति का भी आदान-प्रदान हुआ। जौनपुर से अवश्य ही तुर्की का सम्बन्ध रहा होगा यही कारण है कि यहाँ पर तुर्की वास्तुकला का हमाम स्थित है। आइए हम आज हमाम में नसीरुद्दीन की इस लोकप्रिय कहानी को देखें जिसका शीर्षक है “आगे बढ़ा दो”-

होजा एक हामाम (तुर्की स्नान) गये लेकिन क्योंकि वह खराब कपड़े पहने हुए थे, स्नान परिचर उन्हें ज्यादा सम्मान नहीं दे रहे थे, यह सोचकर कि होजा जिसने फटे पुराने कपड़े पहने हैं वह भुगतान में ज़्यादा कीमत अदा नहीं करेगा। परिचरों ने उसके लिए पानी गर्म करने से मना कर दिया या नहाने के सुगंधित तौलिए का उपयोग करने देने से इंकार कर दिया था। होजा ने ठंडा स्नान किया और आम तौलिए का उपयोग करके खुद को सुखा लिया। हमाम को छोड़ने पर होजा यानी नसीरुद्दीन ने परिचरों को सोने का सिक्का दिया। वे बहुत आश्चर्यचकित और प्रसन्न थे और अगली बार जब होजा हमाम गए, तो उन्होंने उन्हें गर्म पानी और सुगंधित तौलिए के साथ सबसे अच्छी सेवा मिली। इस बार जब होजा ने हमाम छोड़ा, तो उन्होंने उन्हें सबसे छोटा तांबे का सिक्का दिया। "क्या गलत है, होजा?" उन्होंने पूछा, "क्या आप अपने स्नान से खुश नहीं थे?"; होजा ने जवाब दिया, "यह तांबे का सिक्का आपको पिछली बार के स्नान के लिए दिया है। आज के स्नान के लिए मैंने पिछली बार ही भुगतान कर दिया था।" जौनपुर में हमाम अब सक्रिय उपयोग में नहीं है, धीरे-धीरे अब यह हमाम खत्म हो रहे हैं। आइए इसे जीवित रखें और सब को इसके बारे में जानकारी प्रदान करें। यह अपने में एक आश्चर्य है और यह ठीक उसी प्रकार से बनाया गया है जैसे हमाम तुर्की में बनाये जाते थे।

1.https://www.dailysabah.com/feature/2016/08/13/nasreddin-hodja-traditional-tales-from-a-witty-sage
2.
http://uttarpradesh.gov.in/en/details/shahi-fort/330036003100