जौनपुरवासियो, जानिए क्यों भारत का समुद्री पर्यटन हमारी संस्कृति और अर्थव्यवस्था के लिए अहम है

महासागर
05-12-2025 09:26 AM
जौनपुरवासियो, जानिए क्यों भारत का समुद्री पर्यटन हमारी संस्कृति और अर्थव्यवस्था के लिए अहम है

जौनपुरवासियों, हमारा शहर गोमती की लहरों और ऐतिहासिक मस्जिदों की शान से तो पहचाना ही जाता है, लेकिन जौनपुर की रूह केवल अपनी सरज़मीं तक सीमित नहीं है। यहाँ के लोग हमेशा नई जगहों को देखने और अलग-अलग संस्कृतियों को समझने की चाह रखते हैं। यही कारण है कि जब बात छुट्टियों या पारिवारिक यात्राओं की आती है तो समुद्र तटों का आकर्षण जौनपुर से दूर रहकर भी हमें अपनी ओर खींचता है। चाहे गोवा का जीवंत बीच हो, लक्षद्वीप का सुकूनभरा वातावरण, अंडमान की रोमांचक लहरें या कन्याकुमारी का महासागरों का संगम - जौनपुर से निकलने वाले सैलानियों के लिए ये जगहें सिर्फ़ पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि अनुभवों की नई दुनिया होती हैं। समुद्री पर्यटन का महत्व केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं है। यह भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देता है, लाखों लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराता है और देश की सांस्कृतिक विविधता को पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है। इसके साथ ही यह हमें प्रकृति और समुद्री पारिस्थितिकी के महत्व को समझने का अवसर भी देता है। इसीलिए कहा जा सकता है कि समुद्री पर्यटन भारत की पहचान का ऐसा आयाम है, जिसे जौनपुर के लोग भले ही दूर से महसूस करें, लेकिन उसका असर हमारे जीवन और सोच दोनों पर पड़ता है।
आज के इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि भारत में समुद्री पर्यटन का महत्व क्या है और यह स्थानीय समुदायों और सरकार दोनों के लिए कैसे लाभकारी है। इसके बाद हम देखेंगे कि भारत के प्रमुख तटीय राज्य और उनके पर्यटन आँकड़े हमें क्या बताते हैं और किन राज्यों ने सबसे अधिक पर्यटकों को आकर्षित किया। फिर हम जानेंगे कि भारत के लोकप्रिय समुद्र तट, जैसे गोवा का कैलंगुटे बीच, अंडमान का राधानगर बीच और लक्षद्वीप का मिनिकॉय आइलैंड (Minicoy Island), क्यों विश्वभर के पर्यटकों को खींचते हैं। अंत में, हम यह भी चर्चा करेंगे कि साहसिक पर्यटन और समुद्र तटों पर चल रहे सफ़ाई अभियान किस प्रकार इस क्षेत्र को और मज़बूत बना रहे हैं।

भारत में समुद्री पर्यटन का महत्व
भारत का समुद्री तट लगभग 7,500 किलोमीटर लंबा है, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े तटीय क्षेत्रों वाले देशों में एक बनाता है। इस तटरेखा पर फैले समुद्र तट, कोरल रीफ़ (Coral Reef), मैनग्रोव (Mangrove) जंगल और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र न केवल प्राकृतिक सौंदर्य के प्रतीक हैं, बल्कि हमारे पर्यावरणीय संतुलन और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा भी हैं। समुद्री पर्यटन आज केवल सैर - सपाटा नहीं रहा, बल्कि यह रोजगार, व्यवसाय और सांस्कृतिक पहचान का मजबूत आधार बन गया है। गोवा के जीवंत बीच हों, पुडुचेरी की फ़्रांसीसी संस्कृति से रंगे तट हों, या अंडमान की स्वच्छ और प्राकृतिक दुनिया - हर स्थान अपने आप में अद्वितीय अनुभव देता है। यही कारण है कि समुद्री पर्यटन भारत के पर्यटन उद्योग की रीढ़ माना जाता है और लाखों लोगों की आजीविका इससे सीधे जुड़ी हुई है।

भारत के प्रमुख तटीय राज्य और पर्यटन आँकड़े
पर्यटन मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, साल 2015 में भारत के तटीय राज्यों ने विदेशी और घरेलू पर्यटकों दोनों को आकर्षित करने में बड़ी भूमिका निभाई। तमिलनाडु जैसे राज्य में 46.8 लाख विदेशी पर्यटक आए, जबकि घरेलू यात्रियों की संख्या 33 करोड़ से अधिक रही। महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, केरल और कर्नाटक ने भी लाखों यात्रियों का स्वागत किया। इन राज्यों की खासियत यह है कि इनके समुद्र तटों पर आपको केवल प्राकृतिक सुंदरता ही नहीं मिलेगी, बल्कि धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक विविधता का अनोखा मेल भी देखने को मिलेगा। उदाहरण के लिए, केरल के समुद्र तट आयुर्वेद और बैकवाटर्स (backwaters) के अनुभव से जुड़े हैं, जबकि महाराष्ट्र का कोकण क्षेत्र ऐतिहासिक किलों और साहसिक जलक्रीड़ाओं के लिए जाना जाता है। ये आँकड़े इस ओर भी संकेत करते हैं कि यदि सही नीतियाँ और सतत विकास की योजनाएँ अपनाई जाएँ, तो समुद्री पर्यटन भारत की अर्थव्यवस्था को और अधिक सशक्त बना सकता है।

भारत के लोकप्रिय समुद्र तट
भारत का हर समुद्र तट अपनी अलग पहचान और अनुभव के लिए जाना जाता है।

  • तरकर्ली बीच (महाराष्ट्र) : डाइविंग और स्नॉर्कलिंग के लिए प्रसिद्ध यह तट आपको समुद्र की गहराई में बसे कोरल और समुद्री जीवों की अद्भुत दुनिया से परिचित कराता है।
  • राधानगर बीच (अंडमान) : “एशिया का सबसे खूबसूरत समुद्र तट” कहलाने वाला यह बीच अपनी सफेद रेत और स्वच्छ नीले पानी के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ का शांत वातावरण हर पर्यटक को आत्मिक सुकून देता है।
  • औरोविले बीच (पुडुचेरी) : सर्फ़िंग प्रेमियों के लिए यह स्वर्ग समान है। यहाँ की लहरों पर खेलते हुए आप पुडुचेरी की सांस्कृतिक विविधता और स्थानीय व्यंजनों का स्वाद भी ले सकते हैं।
  • कैलंगुटे बीच (गोवा) : इसे “गोवा का राजा” कहा जाता है। यहाँ का जोश, संगीत, रात्रिकालीन जीवन और रोमांचक जलक्रीड़ाएँ हर युवा और परिवार को आकर्षित करती हैं।
  • मिनिकॉय आइलैंड (लक्षद्वीप) : यह शांत स्वर्ग अपनी पारंपरिक लावा नृत्य, साफ़ पानी और रंगीन कोरल रीफ़ के लिए अनोखी पहचान रखता है।
  • कन्याकुमारी बीच : भारत का यह तट तीन महासागरों - बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर - के मिलन का साक्षी है। यहाँ का सूर्योदय और सूर्यास्त जीवन भर का अनुभव बन जाता है।

साहसिक पर्यटन और तटीय गतिविधियाँ
आज का पर्यटक केवल बैठकर समुद्र की लहरें देखने तक सीमित नहीं है। साहसिक पर्यटन ने समुद्री पर्यटन को एक नया आयाम दिया है। अंडमान और लक्षद्वीप में स्कूबा डाइविंग (Scuba Diving) और स्नॉर्कलिंग (Snorkeling) आपको समुद्र की अद्भुत गहराइयों का अनुभव कराते हैं। पुडुचेरी में कयाकिंग (Kayaking) और गोवा में पैरासेलिंग (Parasailing), जेट-स्कीइंग (Jet-Skiing) और विंडसर्फिंग (Wind Surfing) हर रोमांच प्रेमी का सपना पूरा करते हैं। इन गतिविधियों का महत्व केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोज़गार सृजन में भी अहम योगदान देती हैं। अनुमान के अनुसार, साहसिक खेलों और तटीय गतिविधियों से हर साल करोड़ों रुपये की आय होती है। इस आय से स्थानीय लोग अपने परिवारों का भरण-पोषण करते हैं और छोटे व्यवसायों को भी बढ़ावा मिलता है।

समुद्र तटों पर कचरा प्रबंधन और सफ़ाई अभियान
समुद्री पर्यटन की सबसे बड़ी चुनौती है स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण। बढ़ते पर्यटन ने समुद्र तटों पर प्लास्टिक और अन्य कचरे की समस्या को गंभीर बना दिया है। हालांकि, इस स्थिति को सुधारने के लिए कई प्रेरणादायक पहलें हो रही हैं। भारत के 12 समुद्र तटों को “ब्लू फ्लैग” (Blue Flag) प्रमाणपत्र मिला है, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों पर उनकी स्वच्छता और सुरक्षा को मान्यता देता है। मुंबई के वर्सोवा बीच पर अफ़रोज़ शाह फ़ाउंडेशन ने लाखों किलो कचरा साफ़ करके यह दिखाया कि सामूहिक प्रयास से असंभव को संभव बनाया जा सकता है। प्रोजेक्ट मुंबई का “जललोष-क्लीन कोस्ट्स” (Jallosh-Clean Coasts) अभियान भी हजारों किलो कचरा हटाकर समुद्र तटों और नदियों को नया जीवन दे चुका है। विशाखापत्तनम और चेन्नई जैसे तटीय शहरों में भी नियमित सफ़ाई अभियान चलाए जाते हैं, जिनमें स्थानीय निकाय, एनजीओ (NGO) और आम नागरिक मिलकर योगदान देते हैं। यह साफ़ तौर पर दर्शाता है कि यदि हम सभी अपनी जिम्मेदारी समझें, तो भारत के समुद्र तट न केवल सुंदर रह सकते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक अनमोल धरोहर साबित होंगे।

संदर्भ- 
https://tinyurl.com/4dymv8hp 
https://tinyurl.com/2fztzc79 
https://tinyurl.com/hfa29et5 
https://tinyurl.com/4a6pfuht 
https://tinyurl.com/2sscafcm   
https://tinyurl.com/yc4p9cmw 



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