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धम्मपद कविता के रूप में बुद्ध की कहानियों का संग्रह है और सबसे व्यापक रूप से पढ़ा जाने वाला और प्रसिद्ध बौद्ध ग्रंथों में से एक है। धम्मपद का असली संस्करण खुद्दक निकाय है, यह थेरवाद बुद्ध धर्म का एक भाग है। बौध विद्वान बुद्धघोष ने यह बतलाया कि धम्मपद में गौतम बुद्ध के द्वारा दिया गया हर शिक्षण उनके जीवन के अलग-अलग मौकों पर आई स्थितियों के दौरान दर्ज किया गया था। बुद्धघोष के द्वारा कही गई बातें धम्मपद अट्टकथा में दर्ज हैं, और यह इन घटनाओं का विवरण प्रस्तुत करता है। यह बुद्ध के जीवन और उस समय से जुड़ी कथाओं का एक समृद्ध स्रोत है।
‘धम्मपद’ नाम 'धम्म' और 'पद' शब्दों से निर्मित हुआ है। 'धम्म' का अर्थ है ज्ञान की जड़ या शाश्वत सत्य, 'पद' का अर्थ होता है चरण या पाँव। बौद्ध मान्यता और संस्कृति के अनुसार जब बुद्ध ने लोगों को ज्ञान दिया तब उनके द्वारा अलग-अलग समय पर कही गई बातों को दर्ज कर लिया गया था, बाद में उन सभी बातों को एककृत कर के एक किताब में लिखा गया था जिसे धम्मपद कहते हैं।धम्मपद के कई संस्करण मौजूद हैं, उन सभी में से पाली संस्करण विश्वविख्यात है। कुछ संस्करण निम्नलिखित हैं -
*गांधारी धर्मपद - यह धर्मगुप्त का संस्करण है जो कि खरोष्ठी लिपि में लिखी गई थी।
*पटना धर्मपद - यह बौद्ध संस्कृत का संस्करण है।
*उदान वर्ग - यह सर्वास्तिवाद लेख की तरह प्रतीत होता है। इसके 3 संस्कृत संस्करण हैं और इसका अनुवाद तिब्बत की भाषा में भी हुआ है।
*महावस्तु - यह लोकोत्तरवाद लेख में है, इसके सारे छंद पाली धम्मपद के सहस्स वग्ग और भिक्षु वग जैसे हैं।
*फजुजिंग - यह चीनी भाषा में लिखी गई है, तथा यह पाली भाषा का अनुवादित रूप है।
इन सभी धम्मपदों के अलग-अलग दर्शन है और सभी अलग-अलग अंदाज़ में शिक्षण देते हैं। धम्मपद का अनुवाद अन्य भाषा जैसे- इंग्लिश और हिंदी में भी हुआ है। धम्मपद के अनुवाद अंग्रेजी भाषा में करते वक्त बहुत सी असुविधाएं सामने आई जैसे कि धम्मपद पाली भाषा में था और उसका अनुवाद अंग्रेजी में करने के लिए लेखक को एक-एक शब्द की जाँच बारीकी से करनी पड़ी। पाली और अंग्रेजी भाषा में बहुत अंतर है, और लेखक की असुविधा का मुख्य कारण पाली के शब्द का सही अर्थ खोजना था। यह मुश्किल से भरा कार्य इसलिए था क्योंकि पाली भाषा का उपयोग आज के ज़माने में नहीं होता है, और इस वजह से अनुवाद करने में काफ़ी परेशानी आई। सबसे ज़्यादा कठिनाई छंद संख्या 372 को करने में हुई, पाली भाषा में इस छंद का अर्थ कुछ और था मगर लेखकों ने इसका अर्थ अपने मन के अनुसार लिखा था। यह छंद अनुवाद के स्तर पर काफ़ी विवादित है। यूरोप में सबसे पहली पाली लेख 1855 में अनुवादित हुआ, इसका अनुवाद डेनिश (Danish) भाषा में किया गया था। आज एरिज़ोना विश्वविद्यालय (University Of Arizona) में धम्मपद के 20 अलग-अलग अनुवाद उपस्थित हैं।
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Dhammapada
2. http://www.andrewmay.com/zendynamics/dhammapada.html