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एटलस (ATLAS) का इस्तेमाल तो हम सभी ने बचपन में खूब किया है। आज इसे इस्तेमाल करना कितना सरल कार्य लगता है। परन्तु क्या कभी सोचा है कि कैसे किसी व्यक्ति को ख्याल आया होगा कि पूरी दुनिया का ही एक नक्शा तैयार किया जाए। कैसा दिखता होगा वो नक्शा, और क्या उसे पढ़ना इतना ही सरल होगा जितना आज है? तो चलिए आज बात करते में भारत में बनाये गए सबसे पहले एटलस की।
मुहम्मद सादिक इस्फ़हानी द्वारा बनाया गया ये एटलस इंडो-इस्लामी मानचित्रण के इतिहास में अनोखा माना जाता है। इस नक्शे को सन 1646-47 में हमारे जौनपुर में ही पूरा किया गया था। इस एटलस की शुरुआत होती है एक परिचयात्मक विश्व नक्शे से जिसमें अक्षांश (Latitude) और देशांतर (Longitude) अंकित हैं। इसके पश्चात 33 क्षेत्रीय नक्शे आते हैं। यहाँ दर्शाए गए विश्व के नक्शे में बाईं ओर भूमध्य रेखा दर्शायी गयी है। कैस्पियन सागर और फ़ारस (ईरान) मौजूद हैं। ऊपर की ओर (पश्चिम) अफ्रीका और अंडालुसिया और नीचे (पूरब) भारत, तुर्किस्तान और चीन मौजूद हैं।
समुद्र को लाल रंग से तथा भूमि को सफ़ेद रंग से दर्शाया गया है।
संदर्भ:
1. http://cartographic-images.net/Cartographic_Images/204_Sadiq_Isfahani.html