ईसाई धर्म के कुछ प्रमुख भाग और सदस्‍य

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
19-09-2018 05:28 PM
ईसाई धर्म के कुछ प्रमुख भाग और सदस्‍य

विश्‍व के प्रमुख धर्मों में से एक ईसाई धर्म के अनुयायी एकेश्‍वरवाद पर विश्‍वास करते हैं। किंतु इस धर्म में भी अनेक भिन्‍नताएं देखने को मिलती हैं अर्थात एक ईश्‍वर में विश्‍वास के बाद भी इनके सिद्धान्‍त और आस्‍था में भिन्‍नताएं हैं। चलिए जानें ईसाई धर्म को थोड़ा करीब से।

ईसाई धर्म आज कैथोलिक, प्रोटेस्टैंट, ऑर्थोडोक्स, एवानजिलक के रूप में विभाजित हैं। जिसमें कैथोलिक सबसे ज्‍यादा प्रमुख हैं। जर्मनी से प्रारंभ हुए धर्म सुधार (लगभग 500 वर्ष पूर्व) में मार्टिन लूथर ((1483-1546) धर्मशास्‍त्री, पादरी, चर्च सुधारक आदि) ने कैथोलिक चर्च में सुधार का प्रयास किया जो चर्च में मतभेद का कारण बना, परिणाम स्‍वरूप चर्च का कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट के रूप में विभाजन हो गया। प्रोटेस्टैंट धर्म के अनुयायी उन्‍हें नायक के रूप में पूजने लगे।

कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट के मध्‍य भिन्‍नता:

1. बाइबिल के प्रति भिन्‍न दृष्टिकोण:
प्रोटेस्‍टेंट धर्म में लूथर ने स्‍पष्‍ट किया है कि, बाइबिल ईश्‍वर का एक मात्र पवित्र ग्रन्‍थ (या Sola Skriptura) है। जबकि कैथोलिक को मानने वाले सिर्फ बाईबिल को ही आधार नहीं मानते, वे कैथोलिक चर्च की पारंपरिक मान्‍यताओं का भी अनुसरण करते हैं।

2. चर्चों की प्रकृति:
कैथोलिक, पोप के नेतृत्‍व में चलने वाले सिर्फ अपने चर्च को दुनिया भर में पवित्र मानते हैं। इसके विपरीत प्रोटेस्‍टेंट चर्च का जन्‍म सुधारों के बाद हुआ है। इन्‍हें इवांजेलिकल (अर्थात सुसमाचार के अनुसार) भी कहा जाता है। इनके दुनिया भर में हज़ारों चर्च हैं तथा सबको इन्‍होंने समान माना है।

3. पोप तथा युहरिस्‍ट:
कैथोलिक पोप को अपोसिल पीटर (Apostle Peter) के उत्‍तराधिकारी के रूप में देखते हैं, जिन्‍हें यीशू द्वारा नियुक्‍त किया था। जबकि प्रोटेस्‍टैंटों द्वारा किसी भी पोप को नहीं माना जाता है, वे सुसमाचार या ईश्‍वर को सर्वोपरि मानते हैं।

4. धार्मिक उत्‍सव:
रोमन कैथोलिक चर्च में सात पवित्र संस्‍कार बपतिस्‍मा, युहरिस्‍ट, पुष्टि, सामंजस्य (तपस्या), अंतिम संस्कार, विवाह संस्‍कार और पवित्र आदेश हैं। इनका मानना है यह यीशु द्वारा बताए गये हैं। प्रोटेस्‍टैंट द्वारा मात्र इनमें से दो (बपतिस्‍मा, युहरिस्‍ट) का ही अनुसरण किया जाता है।

5. मैरी से जुड़े सिद्धांत और संतों की पूजा:
रोमन कैथोलिक यीशु की मां, मैरी को स्‍वर्ग की रानी के रूप में पूजते हैं। प्रोटेस्‍टैंट इसे स्वीकार नहीं करते। ये संतों की पूजा में विश्‍वास करते हैं जो भगवान में विश्‍वास करते हैं।

6. अविवाहित जीवन:
कैथोलिक चर्च में पोप का आजीवन अविवाहित रहना अनिवार्य है। किंतु प्रोटेस्‍टैंट में इस प्रकार की कोई बाध्‍यता नहीं है।

चलिए जानें ईसाई धर्म के प्रमुख संरक्षक संन्यासी, रोमन कैथोलिक भिक्षु, पादरी, और ब्रदर्स के मध्‍य अंतर:

1. चर्च में बपतिस्‍मा दिलाना, सुसमाचार को लागों के मध्‍य सुनाना और उनके लिए प्रार्थना करना तथा चर्च के अन्‍य धार्मिक अनुष्‍ठानों को पूरा करने वाला व्‍यक्ति पादरी होता है। यह चर्च का प्रमुख होता है।

2. कैथोलिक चर्च में ईसाई मठ (Monasteries) की परंपरा अत्‍यंत प्राचीन है। इन मठों में रहने वाले संत कहलाते हैं। ईसाई और यहूदी धर्म दोनों में यह परंपरा प्रचलित है, जो स्‍वयं (स्‍त्री या पुरूष) को ईश्‍वर में विलीन कर देना चाहते हैं, वे दुनिया की मोह माया त्‍याग संत बन जाते हैं। सभी पादरी संत नहीं होते और सभी संत पादरी नहीं होते हैं। संत अत्‍यंत अनुशासित और आध्‍यात्मिक जीवन व्यतीत करते हैं।

3. रोमन कैथोलिक परंपरा के अनुसार ब्रदर एक धार्मिक समुदाय का सदस्‍य होता है। ये मठों में रहने वाले संतों का एक समुदाय है। एक ब्रदर अभाव, शुद्धता और आज्ञाकारिता तीनों स्थितियों के प्रति संयमित होते हैं। ये पूरी निष्‍ठा के साथ अपनी सेवा चर्च को प्रदान करते हैं।

4. फ्रायर्स (बारहवीं और तेरहवीं सदी में प्रारंभ) भी ब्रदर्स का ही समूह होता है। ये आज्ञाकारिता के प्रति वचन बद्ध होते हैं। ये संतों से भिन्‍न होते हैं, ये समाज सेवक और धर्म प्रचारक के रूप में कार्य करते हैं। फ्रायर्स चार श्रेणी के सदस्‍य होते हैं - डोमिनिकन, फ्रांसिस्कन, कारमेलाइट्स और ऑगस्टीनियन। ये मठों या एक विशेष स्‍थान पर नहीं रहते हैं। ये स्‍थानांतरित होते रहते हैं।

कैथोलिक चर्च में एक और अन्‍य शब्‍द काफी प्रचलित है ‘पवित्र आदेश’। इसमें चर्च के बिशप, पादरी, डिकॉन शामिल होते हैं। सामान्‍य उपयोग में, यह चर्च के उन व्‍यक्तियों को संदर्भित करता है जिनके पास अधिकार होते हैं। वह मुख्‍यतः बिशप होता है, पादरी और डिकॉन उसके सहाय‍क होते हैं। ये सभी सदस्‍य प्रचार कर, विवाह संस्‍कार, बपतिस्‍मा देना, और अंतिम संस्‍कार कर सकते हैं।

कुछ अन्य बिंदु:
-पोप (अर्थात पिता) रोम के बिशप होते हैं। ये कैथोलिक साम्‍यवाद में प्रमुखता रखते हैं।
-पेट्रि‍यार्क लैटिन चर्च के प्रमुख होते हैं। ये विशेष चर्च के प्रमुख द्वारा चुने जाते हैं।
-मेजर आर्चबिशप कैथोलिक चर्चों में नियुक्‍त होते हैं।
-कार्डिनल्स पोप द्वारा नियुक्‍त चर्च के प्रिंस होते हैं, जो प्रमुखतः बिशपों को चुनता है।
-प्राइमेट का खिताब लैटिन चर्च द्वारा अन्‍य देशों के बिशपों को दिया जाता है।
-मेट्रोपॉलिटन बिशप पोप द्वारा नियुक्‍त किया जाता है। जिनके पास धार्मिक कार्य संपन्न करने का अधिकार होता है।
-आर्चबिशपों का शीर्षक बिशपों द्वारा दिया जाता है।

इस प्रकार अनेक ऐसे और सदस्‍य हैं जो चर्चों के प्रमुख द्वारा चर्च के हित में चुने जाते हैं। तथा वे समर्पित रूप से अपने धर्म का संचालन करते हैं।

संदर्भ:
1.https://www.dw.com/en/the-main-differences-between-catholics-and-protestants/a-37888597
2.http://priestvocation.com/difference-between-monks-friars-priests-and-brothers/
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Hierarchy_of_the_Catholic_Church