चलचित्रों के आगमन से पहले देश में नौटंकी,रामलीला, नाटक, नटों के खेल, मदारी के खेल आदि बहुतायता में प्रचलित थे। जो अध्यात्म व समाज से जुड़े किंवदंतियो व सत्याताता पर आधारित होते थे। नाटको में हास्य के साथ श्रृंगार व अन्य रासो का मिश्रण होता था, परन्तु चलचित्र के आगम के साथ ही ये विधाएँ अपने क्षेत्रों को खोती चली गयी। वर्तमानं समयमे नटों का खेल, मदारी का बीन, नौटंकी की तुड्तुड़ि तथा मृदंग बजना अब ख़त्म होने के कगार पर है। जौनपुर में कई नाटकों का एवं रामलीला का आयोजन वृहद् पैमाने पर होता है। सराय हरखू की रामलीला प्रदेश स्तर पर प्रसिद्ध है तथा अन्य नौटंकी तथा नटो का खेल भी यहाँ बहुतायत में पाए जाते हैं।