 
                                            समय - सीमा 268
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1036
मानव और उनके आविष्कार 802
भूगोल 264
जीव-जंतु 306
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                                             धनी महिलाएं खुद को अन्य वर्गों से अलग करने के लिए अपने बालों को विस्तृत रूप से संवारती थीं। प्राचीन भारत में पुरुष भी बालों को विभिन्न प्रकार से बनाने या संवारने में शर्म महसूस नहीं करते थे। प्राचीन काल में महिलाएं बालों को बनाने के लिए जिन तरीकों का उपयोग दैनिक रूप से करती थीं, आधुनिक युग में उनका उपयोग किसी विशेष अवसरों के लिए किया जाता है। प्राचीन ग्रंथों में हेयर स्टाइल के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है, जिसके अनुसार, उस दौरान बालों को संवारने के लिए उनमें आभूषणों, सजावटी बैंड्स (Bands) आदि का भी उपयोग किया गया। विभिन्न अवधियों में विभिन्न प्रकार के केश विन्यासों को अपनाया गया था। उदाहरण के लिए प्रोटोहिस्टेरिक (Protohistoric) काल के दौरान हड़प्पा सभ्यता के लोगों ने विभिन्न प्रकार के कंघों का उपयोग किया। कुछ टेराकोटा (Terracotta) की वस्तुओं से पता चलता है कि, उस समय महिलाओं ने अपने बालों को घुंघराला रूप देकर पीछे की ओर बांधा तथा उन्हें फूलों या गहनों से सजाया। इसी प्रकार से पुरुषों को भी उनके बालों में कंघी करते हुए दिखाया गया। मौर्य काल में बनायी गयी ‘यक्षी’ (Yakshi) की मूर्ति में एक सुंदर केश विन्यास देखने को मिलता है। उसके बालों को कंघी किया गया है तथा एक लूप (Loop) की मदद से पीछे की ओर बांधा गया है। कुषाण काल की मूर्तियों से भी पता चलता है कि, उस समय महिलाएं अपने बालों को प्रायः पीछे की ओर ढ़ीली गाँठों में बांधती थी। गुप्ता काल के दौरान निर्मित की गयी माता पार्वती की मूर्ति को उनको घुँघराले बालों के साथ प्रदर्शित किया गया है, इस मूर्ति में उनके बालों को पीछे की ओर बांधा गया है, तथा गोलाकार आभूषण के साथ सजाया गया है। मध्यकालीन युग में निर्मित की गयी मूर्तियां यह सुझाव देती हैं कि, उस दौरान, महिलाएं अपने बालों को जुड़े और चिगन्स (Chignons) के साथ बनाना पसंद करती थीं। कई मामलों में, महिलाओं को ढ़ीली चोटी के साथ भी दिखाया गया है।
धनी महिलाएं खुद को अन्य वर्गों से अलग करने के लिए अपने बालों को विस्तृत रूप से संवारती थीं। प्राचीन भारत में पुरुष भी बालों को विभिन्न प्रकार से बनाने या संवारने में शर्म महसूस नहीं करते थे। प्राचीन काल में महिलाएं बालों को बनाने के लिए जिन तरीकों का उपयोग दैनिक रूप से करती थीं, आधुनिक युग में उनका उपयोग किसी विशेष अवसरों के लिए किया जाता है। प्राचीन ग्रंथों में हेयर स्टाइल के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है, जिसके अनुसार, उस दौरान बालों को संवारने के लिए उनमें आभूषणों, सजावटी बैंड्स (Bands) आदि का भी उपयोग किया गया। विभिन्न अवधियों में विभिन्न प्रकार के केश विन्यासों को अपनाया गया था। उदाहरण के लिए प्रोटोहिस्टेरिक (Protohistoric) काल के दौरान हड़प्पा सभ्यता के लोगों ने विभिन्न प्रकार के कंघों का उपयोग किया। कुछ टेराकोटा (Terracotta) की वस्तुओं से पता चलता है कि, उस समय महिलाओं ने अपने बालों को घुंघराला रूप देकर पीछे की ओर बांधा तथा उन्हें फूलों या गहनों से सजाया। इसी प्रकार से पुरुषों को भी उनके बालों में कंघी करते हुए दिखाया गया। मौर्य काल में बनायी गयी ‘यक्षी’ (Yakshi) की मूर्ति में एक सुंदर केश विन्यास देखने को मिलता है। उसके बालों को कंघी किया गया है तथा एक लूप (Loop) की मदद से पीछे की ओर बांधा गया है। कुषाण काल की मूर्तियों से भी पता चलता है कि, उस समय महिलाएं अपने बालों को प्रायः पीछे की ओर ढ़ीली गाँठों में बांधती थी। गुप्ता काल के दौरान निर्मित की गयी माता पार्वती की मूर्ति को उनको घुँघराले बालों के साथ प्रदर्शित किया गया है, इस मूर्ति में उनके बालों को पीछे की ओर बांधा गया है, तथा गोलाकार आभूषण के साथ सजाया गया है। मध्यकालीन युग में निर्मित की गयी मूर्तियां यह सुझाव देती हैं कि, उस दौरान, महिलाएं अपने बालों को जुड़े और चिगन्स (Chignons) के साथ बनाना पसंद करती थीं। कई मामलों में, महिलाओं को ढ़ीली चोटी के साथ भी दिखाया गया है।  कोरोना महामारी के कारण हुई तालाबंदी के चलते क्यों कि, बाल काटने की सभी दुकानें या सैलून (Salon) बंद थे, इसलिए लोगों ने अपने बालों को घर पर ही काटना उचित समझा। इसी बीच कोरोना महामारी के प्रति जागरूकता फैलाने हेतु एक विशिष्ट प्रकार का हेयर स्टाइल भी नजर आया। कोरोनो विषाणु ने पूर्वी अफ्रीका (Africa) के उस हेयर स्टाइल को पुनर्जीवित किया, जो काफी हद तक विषाणु की संरचना को प्रदर्शित करता है। कोरोना महामारी को रोकने के लिए लगे प्रतिबंधों के कारण उत्पन्न हुई आर्थिक समस्याओं के बीच यह हेयर स्टाइल लोगों के लिए काफी किफायती साबित हुआ है, जो यह दर्शाता है कि, कोरोना महामारी की समस्या वास्तव में कितनी गम्भीर है। कोरोना महामारी ने जहां विभिन्न व्यवसायों को प्रभावित किया है, वहीं सैलून व्यवसाय भी इससे बच नहीं पाया है। अन्य व्यवसायों की तरह इस व्यवसाय में भी सुधार आने में काफी समय लग सकता है।
कोरोना महामारी के कारण हुई तालाबंदी के चलते क्यों कि, बाल काटने की सभी दुकानें या सैलून (Salon) बंद थे, इसलिए लोगों ने अपने बालों को घर पर ही काटना उचित समझा। इसी बीच कोरोना महामारी के प्रति जागरूकता फैलाने हेतु एक विशिष्ट प्रकार का हेयर स्टाइल भी नजर आया। कोरोनो विषाणु ने पूर्वी अफ्रीका (Africa) के उस हेयर स्टाइल को पुनर्जीवित किया, जो काफी हद तक विषाणु की संरचना को प्रदर्शित करता है। कोरोना महामारी को रोकने के लिए लगे प्रतिबंधों के कारण उत्पन्न हुई आर्थिक समस्याओं के बीच यह हेयर स्टाइल लोगों के लिए काफी किफायती साबित हुआ है, जो यह दर्शाता है कि, कोरोना महामारी की समस्या वास्तव में कितनी गम्भीर है। कोरोना महामारी ने जहां विभिन्न व्यवसायों को प्रभावित किया है, वहीं सैलून व्यवसाय भी इससे बच नहीं पाया है। अन्य व्यवसायों की तरह इस व्यवसाय में भी सुधार आने में काफी समय लग सकता है।  संदर्भ:
 
संदर्भ: 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        