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आपको भी कभी-कभी प्राचीन इमारतों को देखकर यह निश्चित तौर पर लगता होगा की "क्या यह
वास्तव में इंसानों द्वारा बनाई गई हैं?" यह प्रश्न उठना जायज भी है! क्यों की प्राचीन इमारतों में
प्रयोग की गई वास्तुकलाएँ इतनी सटीक और शानदार होती हैं की, किसी को भी अचंभित कर
सकती हैं। भारतीय विरासत की मुग़ल वास्तुकला भी ऐसी ही नायाब निर्माण शैलियों में से एक हैं।
16 वीं, 17 वीं और 18 वीं शताब्दी में मुग़ल साम्राज्य के विस्तार के साथ ही, मुग़ल वास्तुकला का
विस्तार भी हुआ। यह मुगलों द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप में विकसित की गई इस्लामी वास्तुकला
का एक प्रकार है, जिसने भारत में पहले के मुस्लिम राजवंशों की शैलियों को इस्लामी, फारसी,
तुर्किक और भारतीय वास्तुकला के मिश्रण के रूप में विकसित किया।
मुग़ल वास्तुकला से निर्मित इमारतों की संरचनाओं के पैटर्न प्रायः एक सामान रहते हैं, जिसमें बड़े
बल्बनुमा गुंबद, कोनों पर पतली मीनारें, विशाल हॉल, बड़े गुंबददार प्रवेश द्वार और नाजुक
अलंकरण शामिल हैं। मुग़ल वास्तुकला शैली में, निर्माण के प्रमुख उदाहरण आधुनिक भारत,
अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में प्राप्त किये जा सकते हैं।
हमारे शहर जौनपुर में बहने वाली गोमती नदी पर बना शाही पुल भी मुग़ल वास्तुकला और
दूरदर्शिता का एक बेजोड़ नमूना है। जौनपुर में स्थित इस पुल को मुनीम खान का पुल, अकबरी पुल
, मुगल ब्रिज या जौनपुर पुल के नाम से भी जाना जाता है। 16 वीं शताब्दी में बने इस शाही पुल के
निर्माण का आदेश मुगल सम्राट द्वारा दिया गया था। इस भव्य पल को पूरी तरह से तैयार होने में
4 वर्ष लगे और इसका निर्माण कार्य वर्ष 1568-69 में मुनीम खान द्वारा पूरा किया गया था। इसे
तत्कालीन अफगान वास्तुकार अफजल अलीक द्वारा डिजाइन किया था।
आज यह शाही ब्रिज जौनपुर रेलवे स्टेशन के 1.7 किलोमीटर (1.1 मील) उत्तर में स्थित है। शाही
पुल को आम तौर पर जौनपुर की सबसे महत्वपूर्ण मुगल संरचना के रूप में मान्यता प्राप्त है, और
अपने ऐतहासिक महत्व के अलावा आज भी यह पुल सुचारू रूप से प्रयोग में है। हालांकि
दुर्भाग्यवश 1934 के नेपाल-बिहार भूकंप में यह पुल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। जो की 1978
से पुरातत्व निदेशालय (यूपी) की सुरक्षा और संरक्षण सूची में शामिल है।
28 नवंबर, 2006 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा शाही पुल के
समानांतर एक नया पुल खोला गया, जो इस मुख्य पुल पर पड़ने वाले बोझ को कुछ कम करता है।
गोमती नदी पर बने इस बेहद मजबूत पुल में दस धनुषाकार उद्घाटन शामिल हैं, पांच मेहराबों का
अतिरिक्त समर्थन भी है, जो डायवर्ट किए गए चैनल को कवर करने के लिए बनाए गए थे।
शुरवाती समय में पुल के शुरू में उत्तरी छोर पर एक हम्माम (सार्वजनिक स्नानघर) था, लेकिन अब
इसका उपयोग नहीं किया जाता है, और यह स्थायी रूप से बंद हो गया है। हालाँकि 1847 में जौनपुर
के कलेक्टर द्वारा लोगों के ठहरने तथा बहती नदी के शानदार नज़ारों को देखने के लिए इस पुल
पर छतरियों (छोटे मंडप) का निर्माण भी कराया गया, यह मंडप पुल के दोनों किनारों पर स्थित है।
जनरल कनिंघम (General Cunningham) ने इस पुल को "भारत में सबसे सुरम्य में से एक है"
की संज्ञा दी है।
मानसून के दौरान जलमग्न हो जाने पर नावें इसके ऊपर से गुजरने लगती हैं, लेकिन पानी कम
होने पर इसका सौंदर्य और भी अधिक बढ़ जाता है। इस पुल के दक्षिणी छोर पर बौद्ध धर्म के पतन
का प्रतिनिधित्व करने वाले हाथी पर चढ़ाई करने वाला प्रभावशाली शेर है।
इतिहासकारों का
अनुमान है कि, यह क्षेत्र कभी बौद्धों का गढ़ था, जिसने अंततः ब्राह्मणवाद को पथ प्रदर्शित किया।
हालांकि मुग़ल कालीन वास्तुकला का बेजोड़ नमूना होने के बावजूद, गंदगी और अतिक्रमण के
चलते गोमती के तट पर लोग जाना पसंद नहीं करते हैं। लेकिन नगर निकाय व मास्टर प्लान
विभाग द्वारा इसकी सजवाट और सफाई की योजनाएं भी तैयार की जा रही हैं। योजना के अंतर्गत
नदी के किनारों के सुंदरीकरण का काम किया जाएगा, और शहर के मध्य से गुजरने वाली गोमती
दोनों किनारों को सजाकर पर्यटन की सुविधाओं का विकास किया जाएगा। साथ ही सौंदर्यीकरण
की इस योजना में शाही पुल से सद्भावना पुल के बीच नदी में बोटिंग की व्यवस्था करने की भी
योजना है। यह अनूठा शाही पुल दोनों तरफ भूतल पर ही बना है। योजना के अनुसार नदी के एक
तरफ पार्क तथा दूसरी ओर पक्का घाट बनाया जाएगा। रोशनी की भी पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी
सीढ़ियां बनाई जाएंगी ताकि नीचे नदी तट तक जाने में दिक्कत न हो।
संदर्भ
https://bit.ly/3FhT4r0
https://bit.ly/2XZ2HcR
https://bit.ly/2ZO3vlO
https://en.wikipedia.org/wiki/Shahi_Bridge
https://www.revolvy.com/page/Shahi-Bridge
https://en.wikipedia.org/wiki/Mughal_architecture
चित्र संदर्भ
1. जौनपुर के शाही पुल का एक चित्रण (twitter)
2. दिन के समय रोशनी में जौनपुर के शाही पुल का एक चित्रण (wikimedia)
3. दूर ले लिए गए जौनपुर के शाही पुल का एक चित्रण (wikimedia)
4. पुल के दक्षिणी छोर पर बौद्ध धर्म के पतन का प्रतिनिधित्व करने वाले हाथी पर चढ़ाई करने वाला प्रभावशाली शेर है, जिसका एक चित्रण (Prarang)