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पैसे अदान-प्रदान का महत्वपूर्ण साधन है। वस्तु-विनिमय ये पहले अदान-प्रदान का एक साधन था मात्र आगे चल कर लेन-देन के व्यवहार को सहज सरल करने के लिए सिक्कों का और फिर कागज़ी चलन का इस्तेमाल किया जाने लगा। भारत में सबसे पहेले पाए जाए वाले प्रकार के सिक्कों को पंच मार्क्ड कॉइन्स मतलब आहत सिक्के कहते हैं। समय के साथ-साथ एवम राज्यकाल के अनुसार अलग प्रकार के सिक्के उत्पादित किये गए। जौनपुर से हमे मुग़ल कालीन सिक्के और सल्तनत के सिक्के ज्यादा मात्रा में मिलते हैं। अकबर, हुमायूँ के कुछ सिक्कों पर हमे जौनपुर टकसाल लिखा मिलता है जिससे यह प्रमाणित होता है की जौनपुर में मुग़ल काल से एक टकसाल कार्यरत थी। पैसे के साथ बैंकिंग भी जुड़ा है। जौनपुर में बैंकिंग की शुरूवात सर्राफी और साहूकारी से हुई। डिस्ट्रिक्ट गज़ेटियर, 1908 के हिसाब से जौनपुर में संयुक्त पूंजी तो नहीं मात्र सराफ के बहुत से व्यवसाय संघ थे जो बहुतायता से मारवाड़ी थे।उनमे से कुछ प्रमुख नाम थे राम रतन, मथुरा दास, अभय राम, चुनी लाल, राधा किशन और राम गोपाल। गाँव में सहकारी ऋण प्रणाली की बैंक पहली बार सन 1901 में शुरू की गयी। सन 1906 के अक्टूबर में जौनपुर में पहली बार सहकारी शहर बैंक शुरू की गयी। आज जौनपुर में 22 से भी ज्यादा बैंक हैं जिनमे सरकारी, गैर-सरकारी, सहकारी आदि सभी प्रकार के बैंक शामिल हैं। जौनपुर ने आज सिक्कों से लेकर स्वचलित पैसे देने वाली मशीन मतलब एटीएम तक का सफ़र तय कर लिया है। 1. मध्यकालीन भारत: सामान्य अध्ययन – राजेश जोशू https://goo.gl/sxvYXC 2. टाउन्स, मार्केट्स, मिंट्स एंड पोर्ट्स इन मुग़ल एम्पायर 1556- 1707 एम.पी.सिंघ https://goo.gl/mjz6WB 3. कॉइन्स ऑफ़ इंडिया- सी जे ब्राउन https://goo.gl/RYwFz5 4. जौनपुर ए गज़ेटियर, बीइंग वॉल्यूम xxviii 1908 https://archive.org/stream/in.ernet.dli.2015.12881/2015.12881.Jaunpur-A-Gazetteer-Being-Volume-Xxviii_djvu.txt