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व्यवसाय यह उपजीविका का साधन है। इंसान अपनी क्षमता, झुकाव और उपलब्धता के अनुसार अपने रोजी रोटी के लिए अलग-अलग व्यवसाय तथा नौकरी करता है। मान्यता है की भारत में वर्ण व्यवस्था कठोर होने से पहले उपजीविका खुद से चुनने की स्वतंत्रता थी मात्र वक़्त के साथ यह आजादी जाती रही तथा फिर जाति व्यवस्था कठोर हो गयी। बहुत से व्यवसाय-पेशे आज वंशानुगत हैं।
जौनपुर जिले में बढ़ई, लुहार, कुम्हार, मुसहर, सुनार, जुलाहा, नाई यह व्यवसाय वंशानुगत पेशे के मुताबिक किये जाते हैं। इनके अलवा खेती, खेती से जुड़े कामकाज़, गृहउद्योग, मिल-कारखानों पर काम, निर्माण एवं कामों पर मजूरी करना इनके अलावा शिक्षित युवक-युवती कार्यालय, शिक्षण क्षेत्र आदि में नौकरी कर रहे हैं। लकड़ी के खिलौने, चीनी उद्योग, खाद का कारखाना, चमड़े, लोहे, इत्रतेल, बीड़ी, एल्युमीनियम के बर्तन, कालीन, छपाई, सुरती, जर्दा, तेल, मोमबत्ती आदि पेशे जौनपुर में व्यवसाय उपलब्धि कराते हैं। सोने का जौनपुर जिले में सबसे ज्यादा किया जाने वाला लाभप्रद व्यवसाय है।
जौनपुर जिले में औसतन 6% लोग औद्योगिक पेशे में हैं, औसतन 66% खेती और उससे जुड़े काम, औसतन 28% बाकी पेशों के अंतर्गत काम करते हैं। सन २००२ में जौनपुर जिले में पंजीकृत कारखाने 476 थे तथा कृषि मजदूरों की संख्या 112827 थी। प्रस्तुत चित्र एक लुहार का है।
1. सिचुएशन ऑफ़ जौनपुर डिस्ट्रिक्ट: http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/166940/7/07_chapter%202.pdf
2. जौनपुर ए गज़ेटियर, बीइंग वॉल्यूम xxviii 1908 https://archive.org/stream/in.ernet.dli.2015.12881/2015.12881.Jaunpur-A-Gazetteer-Being-Volume-Xxviii_djvu.txt
3. जौनपुर का गौरवशाली इतिहास- डॉ. सत्य नारायण दुबे ‘शरतेन्दु’
4.पिचर्सक्यू इंडिया- डब्लू एस केन