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चार्ल्स बार्टलेट एक अंग्रेज़ चित्रकार थे जिन्होंने लन्दन की रॉयल अकादमी ऑफ़ आर्ट्स से अपनी कला की शिक्षा प्राप्त की। 1913 में परिवार द्वारा मिली कुछ आर्थिक सहायता के साथ वे अपनी पत्नी सहित ब्रिटिश भारत और लंका के दौरे पर निकल पड़े। इससे पूर्व वे अपने पेंट ब्रश लेकर यूरोप का भी एक दौरा कर चुके थे। यूरोप जाने में उनकी रूचि इसलिए थी क्योंकि उस दौरान यूरोप में एक नयी जापानी वुड ब्लॉक छपाई की तकनीक का कला में इस्तेमाल किया जा रहा था।
ब्रिटिश भारत में दौरे के दौरान चार्ल्स बार्टलेट ने कई शहरों का भ्रमण किया जिनमें से कुछ थे – अमृतसर, उदयपुर, कलकत्ता, आगरा और वाराणसी। बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने जौनपुर आकर गोमती नदी के किनारे का एक दृश्य भी चित्रित किया था।
कुछ समय बाद 1915 में बार्टलेट जापान के भ्रमण पर निकले और वहाँ वे वातानाबे शोज़ाबुरो से मिले। शोज़ाबुरो एक मशहूर जापानी प्रिंट प्रकाशक एवं जापानी प्रिंट आन्दोलन शिन-हांगा (नया प्रिंट) के पीछे की प्रेरणा शक्ति थे।
वुड ब्लॉक प्रिंट के रूप में जौनपुर की यह खूबसूरत तस्वीर बार्टलेट-वातानाबे के सहयोग का परिणाम थी। हल्के नरम रंग इस शैली की छपाई की एक अनूठी विशेषता हैं।
1. http://art-now-and-then.blogspot.in/2016/09/charles-w-bartlett.html