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                                             प्रत्येक वर्ष संपूर्ण भारत में हनुमान जयंती बहुत धूमधाम और भव्यता के साथ मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर भगवान श्रीराम के भक्त भगवान हनुमान के जन्म का जश्न मनाते है, । आमतौर पर, इस अवसर पर अयोध्या में स्थित पवित्र हनुमान गढ़ी मंदिर का दर्शन करना बड़े सौभाग्य की बात मानी जाती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी का एक और बहुत प्रतिष्ठित पवित्र स्थान हमारे शहर लखनऊ में स्थित है। यह प्राचीन मंदिर परिसर लखनऊ के अमीनाबाद बाजार में स्थित है। इसके साथ ही हनुमान जी को ज्ञान का सागर और मीठी वाणी का विशेषज्ञ भी कहा जाता है। तो आइए आज हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर हमारे लखनऊ के हनुमानगढ़ी मंदिर के इतिहास और मान्यता के विषय में जानते हैं और यह भी जानते हैं कि हनुमान जन्मोत्सव साल में दो बार क्यों मनाया जाता है? 
अयोध्या में 10वीं सदी के हनुमान गढ़ी मंदिर की तरह, लखनऊ के अमीनाबाद में स्थित हनुमान जी का मंदिर भी यहाँ के भक्तों के बीच काफी लोकप्रिय है। वैसे तो यहां शहर में कई हनुमान मंदिर हैं जिनकी बहुत अधिक मान्यता है। हनुमान जयंती के अवसर पर लखनऊ के सभी हनुमान जी के मंदिरों में लोगों द्वारा भजन और कीर्तन करके हनुमान जी से प्रार्थना की जाती है। 
ऐसा माना जाता है कि लखनऊ के पाँच सबसे बड़े हनुमान मंदिरों - पुराना हनुमान मंदिर, हनुमान सेतु मंदिर, नया हनुमान मंदिर, पंचमुखी हनुमान मंदिर, गोमती नदी के विराज खंड में हनुमान मंदिर -  में यदि कोई हनुमान जी के दर्शन करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। लेकिन अमीनाबाद बाजार स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर बहुत प्राचीन है। भक्तों का मानना है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण रामायण काल में हुआ था। और कहा जाता है कि इस मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा  हनुमानगढ़ी के हनुमान जी की प्रतिमा के समान है। यहां हनुमान जी की प्रतिमा के अलावा भगवान श्रीराम, उनके छोटे भाई लक्ष्मणजी और माता सीता की भी प्रतिमाएं हैं। यहां देवी दुर्गा और लक्ष्मी-नारायण को समर्पित एक अलग मंदिर भी है। मंदिर परिसर की भित्तिचित्रों और रूपांकनों से सजी पुरानी दीवारें आपको अतीत की याद दिलाती हैं। हनुमान जयंती मनाने के लिए लखनऊ के हनुमान गढ़ी मंदिर में पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर यहाँ भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। मंदिर में पूरे दिन पवित्र हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ भी किया जाता है। मंदिर में आने वाले भक्तों को हनुमानजी के दर्शन के बाद प्रसाद भी वितरित किया जाता है।
 आमतौर पर हनुमान जयंती पर हनुमान गढ़ी मंदिर में भक्तों की बड़ी कतार लगती है। कई भक्त तो ऐसे हैं जो प्रत्येक दिन मंदिर आते हैं क्योंकि उनका मानना है कि भगवान हनुमान से आशीर्वाद मांगने पर उनकी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि पुराने समय में यहाँ के नवाब भी हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए आते थे और आशीर्वाद लेते थे। कुछ लोगों का मानना है कि जो भक्त अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर में जाने में असमर्थ होते हैं, वे अपना प्रसाद चढ़ाने के लिए लखनऊ के हनुमान गढ़ी मंदिर में जाते हैं। लखनऊ का हनुमान गढ़ी मंदिर भक्तों के लिए सुबह 5 बजे खुल जाता है, जबकि दोपहर में आरती के बाद यहाँ के पट बंद हो जाते हैं। फिर दोपहर 3 बजे मंदिर खुलता है। 
क्या आप जानते हैं कि हनुमान जयंती पूरे भारत में दो बार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। एक जयंती भगवान हनुमान के जन्म का प्रतीक है, जबकि दूसरी बुरी आत्माओं पर उनकी विजय का प्रतीक है। हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी समर्पण और भक्ति की प्रतिमूर्ति हैं। भगवान हनुमान के जन्म के समय को लेकर कई किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। हनुमान जयंती आमतौर पर हर साल चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। कुछ क्षेत्रों में हनुमान जयंती कार्तिक मास की चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है, तो कुछ स्थानों पर मार्गशीर्ष मास की अमावस्या के दिन। कुछ स्थानों पर हनुमान जी की जयंती को वैशाख माह से भी जोड़ा गया है। रामायण में महर्षि वाल्मिकी के प्रमाण के अनुसार आमतौर पर उत्तर भारत में लोग कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को हनुमान जयंती मनाते हैं। जबकि आंध्र और तेलंगाना में मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जयंती चैत्र माह की पूर्णिमा से लेकर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाई जाती है। और तमिलनाडु में हनुमंत जयंती के रूप में यह पवित्र त्यौहार मार्गशीर्ष अमावस्या के समय मनाया जाता है। कर्नाटक में मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि को हनुमान जयंती के रूप में मनाए जाने का विधान है। सभी भक्त इस दिन उपवास भी रखते हैं।
किंवदंतियों के अनुसार, भगवान शिव ने विष्णु के अवतार के रूप में श्री रामजी की सेवा के लिए मां अंजना की कोख से हनुमान जी के रूप में जन्म लिया था। सीता जी की खोज से लेकर रावण वध और सीता मिलन तक हनुमान जी श्री राम जी के परम भक्त, मार्गदर्शक और सर्वश्रेष्ठ सहायक के रूप में कार्य करते हैं। हनुमान जयंती पर पवित्र स्नान, दान और अन्य धार्मिक कार्य करने का विशेष महत्व है। चतुर्दशी तिथि के दिन, भक्त सुबह जल्दी उठते हैं, भगवान हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत का संकल्प भी लेते हैं और हनुमान जी को चमेली का तेल और सिन्दूर चढ़ाते हैं।
सनातन धर्म में हनुमान जी को संकटमोचक माना जाता है। हनुमान जी के असंभव पराक्रमों की चर्चा न केवल रामायण और दूसरी रामकथाओं में बल्कि महाभारत और कई अन्य महान ग्रंथों में भी की गई है। अत्यंत बलशाली हनुमान जी का एक नाम महावीर अर्थात वीरों के वीर भी है। क्या आप जानते हैं कि महाबलशाली और प्रभु श्रीराम से अमृत्व का वरदान प्राप्त करने वाले महावीर हनुमान जी के व्यक्तित्व की एक अन्य विशेषता यह है कि उन्हें सभी ईश्वरीय सत्ताओं में सबसे ज्यादा ज्ञानी और विद्वान माना जाता है। ‘हनुमान चालीसा’ के प्रारंभ में ही तुलसीदास जी उन्हें “ज्ञान गुण सागर”कह कर संबोधित करते हुए लिखते हैं:
“जय हनुमान ज्ञान गुण सागर । 
जय कपिस तिंहु लोक उजागर ।।“ 
‘सुंदरकांड’ के प्रारंभ में गोस्वामी तुलसीदास जी महावीर हनुमान जी की स्तुति करते हुए उन्हें ज्ञानियों में सबसे प्रथम कह कर उनकी वंदना करते हैं –  
“अतुलित बलधामं हेमशलैभदेहं। 
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामअग्रगण्यम ।। 
‘वाल्मीकि रामायण’ में भी ऐसे कई संदर्भ मिलते हैं जहाँ हनुमान जी के ज्ञान एवं बुद्धि का परिचय मिलता है। माता सीता को ढूंढ़ते हुए जब श्रीराम किष्किंधा पहुंचते हैं तो हनुमान जी सुग्रीव के कहने पर एक ब्राह्मण का वेश धारण करके श्रीराम की वास्तविकता ज्ञात करने आते हैं। उस समय उनके ज्ञान एवं वाणी से लक्ष्मणजी अत्यंत प्रभावित होते हैं: 
“तम् अभ्यभाष सौमित्रे सुग्रीव सचिवम् कपिम् । 
वाक्यज्ञम् मधुरैः वाक्यैः स्नेह युक्तम् अरिन्दम ।।“ 
‘वाल्मीकि रामायण’ में हनुमान जी के लिए “कोविद” शब्द का उपयोग किया गया है
। “कोविद” का अर्थ होता है जो तुरंत वाक्यों की रचना करने में कुशल हों। रामायण में चाहे समुद्र को पार करते समय राक्षसी सिंहिका को चकमा देना हो या अशोक वाटिका में सीता जी से मिलने के लिए सूक्ष्म रूप धारण करना हो या फिर पकड़े जाने पर अपनी पूंछ से पूरी लंका में आग लगा देना हो,  हनुमान जी ने सदैव अपनी बुद्धि एवं ज्ञान से अपने शत्रुओं को परास्त किया है और श्रीराम के सभी कार्यों को पूर्ण किया है। ज्ञानियो में प्रथम हनुमान जी अपने भक्तों को भी बल के साथ साथ बुद्धि और सिद्धि का वरदान देते हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी ने ‘हनुमान चालीसा’  में उनके लिए कहा है – 
“बल बुद्धि विद्या देहु मोही.. हरहु कलेष विकार” 
अतः बल, बुद्धि एवं विद्या के सागर महाबली, परम राम भक्त हनुमान जी आपकी और हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें। 
 
संदर्भ 
https://shorturl.at/wGMT1 
https://shorturl.at/sHJ67 
https://shorturl.at/koPUX 
https://shorturl.at/otwCU 
 
चित्र संदर्भ  
1. हनुमान जी की उपासना को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia) 
2. लखनऊ के अमीनाबाद में स्थित हनुमान जी के मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia) 
3. हनुमान जी की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia) 
4. माता अंजनी की गोद में नन्हे हनुमान जी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia) 
5. हनुमान चालीसा को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)