आइए आनंद लें, भव्य ‘जगन्नाथ रथ यात्रा’ का

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
30-06-2024 08:42 AM
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जगन्नाथ रथ यात्राभारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, जिसे हर साल ओडिशा में आयोजित किया जाता है। यूं तो पूरे साल ही भगवान जगन्नाथ की पूजा बड़े धूमधाम से की जाती है, लेकिन आषाढ़ माह में एक भव्य उत्सव के रूप में भगवान जगन्नाथ की तीन किलोमीटर की रथ यात्रा निकाली जाती है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपनी मौसी के घर जाते हैं। रथ यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से तीन दिव्य रथों पर निकाली जाती है। सबसे आगे भगवान कृष्ण के भाई बलभद्र का रथउनके पीछे बहन सुभद्रा और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है। मान्यताओं के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने पूरा नगर देखने की इच्छा जताई। तब जगन्नाथ और बलभद्र अपनी बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर पूरा नगर दिखाने निकल पड़े। इस दौरान वे अपनी मौसी के घर गुंडिचा भी गए और यहां सात दिन ठहरे। माना जाता है कि मौसी के घर पर भाई-बहन के साथ भगवान ने खूब पकवान खाए और परिणामस्वरूप वह बीमार पड़ गए। उसके बाद उनका इलाज किया गया और फिर स्वस्थ होने के बाद ही उन्होंने लोगों को दर्शन दिए। यह परंपरा रथ यात्रा के रूप में आज भी निभाई जा रही है। तो आइए आज हम भारत के सबसे