चलिए लखनऊ को बताएं, मिस्र के ऐलेक्ज़ांड्रिया में बने विश्व के पहले लाइटहाउस के बारे में

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16-05-2025 09:22 AM
चलिए लखनऊ को बताएं, मिस्र के ऐलेक्ज़ांड्रिया में बने विश्व के पहले लाइटहाउस के बारे में

लखनऊ के नागरिकों, क्या आप जानते हैं कि “फ़ैरोस ऑफ़ ऐलेक्ज़ांड्रिया” (Pharos of Alexandria) या हम कह सकते हैं, “ऐलेक्ज़ांड्रिया का प्रकाशस्तंभ” (Lighthouse of Alexandria) एक बहुत ऊँचा प्रकाश स्तंभ था? इसे मिस्र के फ़ैरोस द्वीप पर लगभग 300-280 ईसा पूर्व में बनाया गया था। इसकी ऊंचाई 100 मीटर से भी ज़्यादा थी और यह प्राचीन विश्व के सात अजूबों में से एक था। यह जहाज़ों को सही रास्ता दिखाने के लिए बनाया गया था ताकि वे बंदरगाह तक आसानी से पहुँच सकें।

यह सिर्फ़ रास्ता दिखाने के लिए ही नहीं, बल्कि दुश्मनों पर नज़र रखने के लिए भी इस्तेमाल होता था। इसमें दो ऊँचे स्थान थे, जहाँ से लोग दूर-दूर तक देख सकते थे। ऐलेक्ज़ांड्रिया   और भारत के के तमिल नाडु में स्थित महाबलीपुरम   प्रकाश स्तंभ (Mahabalipuram Lighthouse) , एक जैसे थे। ऐलेक्ज़ांड्रिया का प्रकाश स्तंभ भूमध्य सागर के जहाज़ों को रास्ता दिखाता था, जबकि महाबलीपुरम का प्रकाश स्तंभ भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया और चीन से जोड़ने वाले समुद्री रास्ते का हिस्सा था।

आज हम इस पुराने प्रकाश स्तंभ के बारे में जानेंगे। पहले, समझेंगे कि यह नाविकों की मदद कैसे करता था। फिर, इसकी बनावट और डिज़ाइन के बारे में जानेंगे। इसके बाद, इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व समझेंगे। आखिर में, यह भी देखेंगे कि यह विशाल इमारत अब कहाँ है और क्या इसके कुछ हिस्से आज भी मौजूद हैं।

एलेक्जेंड्रिया के लाइटहाउस का 3D पुनर्निर्माण  | चित्र स्रोत : wikimedia

फ़ैरोस लाइटहाउस/प्रकाशस्तंभ 

फ़ैरोस लाइटहाउस का निर्माण, 280 ईसा पूर्व शुरू हुआ था। यह 1500 से भी अधिक सालों तक खड़ा रहा, लेकिन 14वीं शताब्दी में भूकंप के कारण नष्ट हो गया। इसके बचे हुए पत्थरों का उपयोग  क़ैतबे किले (Citadel of Qaitbay) के निर्माण में किया गया, जो आज भी उसी स्थान पर खड़ा है और बंदरगाह की रक्षा करता है। यह प्रकाश स्तंभ तीन हिस्सों में बना था, जो एक विशाल इमारत की तरह दिखता था। इसका निचला भाग चौकोर था, बीच का भाग अष्टकोणीय (आठ किनारों वाला) और सबसे ऊपरी भाग एक मस्जिद के गुंबद जैसा गोलाकार था। इसकी ऊँचाई 135 मीटर थी, जिससे यह उस समय की दुनिया की सबसे ऊँची इमारत थी।

फ़ैरोस लाइटहाउस की रोशनी का स्रोत

इतिहासकारों का मानना है कि इसके ऊपरी भाग में एक विशाल धातु की चमकदार, घुमावदार (मोड़ वाली) दर्पण जैसी सतह लगाई गई थी। यह दिन में सूर्य की रोशनी को दूर तक परावर्तित (रिफ़्लेक्ट) करता था और रात में यहाँ बड़ी आग जलाकर प्रकाश किया जाता था। इसकी रोशनी इतनी तेज़ थी कि इसे 30 मील (लगभग 48 किलोमीटर) दूर से भी देखा जा सकता था। कुछ लोगों का तो यह भी मानना था कि इस दर्पण से दुश्मन के जहाज़ों पर प्रकाश डालकर उन्हें जलाया जा सकता था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस अद्भुत दर्पण को प्रसिद्ध गणितज्ञ और वैज्ञानिक आर्किमिडीज़ (Archimedes) द्वारा डिज़ाइन किया गया  गया था है।

अलेक्ज़ांड्रिया के लाइटहाउस का निर्माण और वास्तुकला 

अलेक्ज़ांड्रिया का लाइटहाउस तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनाया गया था। अलेक्ज़ेंडर महान की मृत्यु के बाद, 305 ईसा पूर्व में टॉलेमी प्रथम (Ptolemy I Soter) ने खुद को राजा घोषित किया और इसके निर्माण का आदेश दिया। यह उनके बेटे टॉलेमी द्वितीय (Ptolemy II Philadelphus) के शासनकाल में पूरा हुआ। इसे बनने में बारह साल लगे और इसकी कुल लागत 800 टैलेंट चांदी थी। इसके ऊपरी हिस्से में एक बड़ी भट्टी थी, जिससे प्रकाश उत्पन्न होता था। इसे मुख्य रूप से ठोस चूना पत्थर (Lime Stone) और ग्रेनाइट के बड़े-बड़े टुकड़ों से बनाया गया था।

चित्र स्रोत : wikimedia

पहली शताब्दी ईसा पूर्व में अलेक्ज़ांड्रिया आए यूनानी भूगोलवेत्ता स्ट्रैबो (Strabo) ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “जियोग्राफ़िका (Geographica)” में लिखा कि इस लाइटहाउस पर सोस्ट्रेटस ऑफ़  नाइडस (Sostratus of Cnidus) ने “ इस प्रकाशस्तंभ पर सेवियर गॉड्स” (Saviour Gods)  या "रक्षक देवताओं" को समर्पित एक शिलालेख धातु के अक्षरों में उकेरवाया था। । पहली शताब्दी ईसा पश्चात्, रोमन लेखक प्लिनी द एल्डर (Pliny the Elder) ने अपनी किताब “Natural History” में सोस्ट्रेटस को इसका वास्तुकार बताया, लेकिन इस बात पर अलग-अलग राय हैं। दूसरी शताब्दी ईसा पश्चात्, लेखक लूशियन (Lucian) ने लिखा कि सोस्ट्रेटस ने अपनी पहचान छिपाने के लिए अपना नाम प्लास्टर के नीचे लिखवाया था और ऊपर टॉलेमी का नाम अंकित करवाया। जब समय के साथ प्लास्टर गिर गया, तो सोस्ट्रेटस का असली नाम पत्थर पर उभर आया।

वैज्ञानिकों ने इस लाइटहाउस के निर्माण में इस्तेमाल किए गए बलुआ पत्थर (Sand Stone) और चूना पत्थर का विश्लेषण किया। खनिज और रासायनिक परीक्षणों से पता चला कि ये पत्थर अलेक्ज़ांड्रिया के पूर्वी रेगिस्तान में स्थित वादी हम्मामत (Wadi Hammamat) की खदानों से लाए गए थे।

अलेक्जेंड्रिया के फ़ारोस (जिस पर "Ο ΦΑΡΟϹ" लिखा है) को दर्शाता एक मोज़ेक | चित्र स्रोत : wikimedia

अलेक्ज़ांड्रिया के प्रकाश स्तंभ का सांस्कृतिक महत्व

अलेक्ज़ांड्रिया का लाइटहाउस एक बहुत  पुरानी और खास इमारत थी। इसे सोस्ट्रेटस ऑफ़ नाइडस  नाम के एक व्यक्ति ने बनाया था, लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि उसने  सिर्फ़ पैसे दिए थे और किसी और ने इसे बनाया था। यह लाइटहाउस फ़ैरोस द्वीप (Pharos) पर बना था, जो समुद्र में एक छोटा-सा टापू था। यह अलेक्ज़ांड्रिया के दो बड़े बंदरगाहों के सामने था – ग्रेट हार्बर (Great Harbour) और “यूनोस्टोस” (Eunostos), जिसे ‘सौभाग्यशाली वापसी का बंदरगाह’ भी कहा जाता था।

फ़ैरोस द्वीप को मुख्य भूमि से जोड़ने के लिए एक हेप्टास्टैडियन (Heptastadion) नामक पुल बनाया गया था, जिसकी लंबाई लगभग 1.2 किलोमीटर (0.75 मील) थी। एक समकालीन लेखक पोसेडिप्पोस (Poseidippos) के अनुसार, यह लाइटहाउस नाविकों का मार्गदर्शन और उनकी सुरक्षा के लिए बनाया गया था। इसी कारण इसे दो देवताओं को समर्पित किया गया था—ज़ीउस सोटर (Zeus Soter), जिन्हें ‘उद्धारकर्ता’ (Deliverer) कहा जाता था, और संभवतः ग्रीक समुद्री देवता प्रोटियस (Proteus) को, जिन्हें ‘समुद्र के वृद्ध’ (Old Man of the Sea) के नाम से भी जाना जाता था। इस लाइटहाउस पर आधा मीटर ऊँचे अक्षरों में ज़ीउस सोटर के नाम की समर्पण पट्टिका अंकित की गई थी।

भूमध्य सागर में प्रकाश स्तंभ के अवशेष मिले | चित्र स्रोत : wikimedia

ऐलेक्ज़ांड्रिया के प्रकाश स्तंभ के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

क्या ऐलेक्ज़ांड्रिया के प्रकाश स्तंभ अब भी मौजूद है?

नहीं, यह लाइटहाउस अब अपनी असली जगह पर नहीं है। 1323 ईस्वी में इसका बचा हुआ हिस्सा समुद्र में गिर गया था। हालांकि, इसके कुछ टुकड़े अब भी फ़ैरोस द्वीप के पास समुद्र में मौजूद हैं। इसलिए यह पूरी तरह खत्म नहीं हुआ, लेकिन अब इसे देख पाना आसान नहीं है।

अलेक्ज़ांड्रिया के प्रकाश स्तंभ को क्या हुआ?

भूमध्य सागर के इलाके में अक्सर भूकंप आते हैं क्योंकि यह इलाका टेकटोनिक प्लेटों (Tectonic plates) की हलचल से प्रभावित होता है। 796 ईस्वी और 950 ईस्वी में आए बड़े भूकंपों ने इस लाइटहाउस को कमज़ोर कर दिया। हालांकि, इसे ठीक करने की कोशिश की गई, लेकिन 1303 ईस्वी और 1323 ईस्वी में आए भूकंपों के बाद इसका पूरा ढांचा गिरकर समुद्र में समा गया।

क्या अलेक्ज़ांड्रिया के प्रकाश स्तंभ को गुलामों ने बनाया था?

हाँ, इस लाइटहाउस को बनाने में गुलामों ने काम किया था, लेकिन इसे सिर्फ़ गुलामों ने नहीं बनाया। ग्रीस के इंजीनियरों और कारीगरों ने भी इसके निर्माण में मदद की थी। इस विशाल टावर की ऊंचाई करीब 330  फ़ीट थी और इसे बनाने में लगभग 18 साल लगे थे।

 

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/yc8xhhnw 

https://tinyurl.com/yf69hrad 

https://tinyurl.com/2b2z66k2 

https://tinyurl.com/3xt4ma9 

मुख्य चित्र में फ़िलिप गैले द्वारा अलेक्जेंड्रिया का प्रकाश स्तंभ का स्रोत : Wikimedia 

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