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भारत विविध जैविक संपदा वाला देश है, जहां असंख्य प्रकार के जीव-जंतु पाए जाते हैं। इन जीवों में सर्पों का विशेष स्थान है। भारतीय संस्कृति, इतिहास और लोककथाओं में सर्पों को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। विशेषकर, कोबरा और पाइथन जैसे सर्प न केवल जैव विविधता का हिस्सा हैं, बल्कि धार्मिक मान्यताओं और सांस्कृतिक प्रतीकों के रूप में भी प्रतिष्ठित हैं।
यद्यपि दोनों सर्प विशाल और प्रभावशाली माने जाते हैं, फिर भी उनकी जीवनशैली, शरीर संरचना, आहार और व्यवहार में महत्वपूर्ण भिन्नताएँ हैं।
आज हम कोबरा और पाइथन के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे। सबसे पहले हम कोबरा के स्वरूप, रहन-सहन और सांस्कृतिक महत्व को समझेंगे। फिर हम पाइथन की भव्यता और उसकी विशिष्ट जीवनशैली पर नज़र डालेंगे। इसके बाद हम देखेंगे कि इन दोनों सर्पों की रक्षा व संरक्षण हेतु भारत में क्या प्रयास किए जा रहे हैं। अंततः, हम दोनों सर्प प्रजातियों के बीच मूलभूत भिन्नताओं को भी जानेंगे। इसके अतिरिक्त, हम यह भी जानेंगे कि यदि कोबरा या पाइथन के काटने की स्थिति उत्पन्न हो जाए तो तत्काल कौन-से उपचार और प्राथमिक चिकित्सा उपाय अपनाए जाने चाहिए।
कोबरा: शक्ति और रहस्य का प्रतीक
कोबरा, जिसे भारतीय संदर्भ में नाग या नागराज भी कहा जाता है, भारत का सबसे प्रसिद्ध सर्प है। वैज्ञानिक दृष्टि से, भारतीय कोबरा (Naja naja) 'एलापिडे' कुल का सदस्य है। इसकी सबसे प्रमुख पहचान इसके फन या हुड से होती है, जिसे खतरा महसूस होने पर यह फैलाकर अपने आकार को बड़ा और भयावह बना लेता है।
कोबरा का विष अत्यंत शक्तिशाली होता है और यह मुख्यतः तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) पर प्रभाव डालता है। हालाँकि कोबरा स्वभावतः शांतिप्रिय होता है और तभी आक्रमण करता है जब वह स्वयं को संकट में महसूस करता है।
भारत में कोबरा का धार्मिक महत्व भी अत्यधिक है। हिंदू धर्म में भगवान शिव के गले में सर्प लिपटा हुआ दिखाया जाता है, जो जीवन-मृत्यु के चक्र का प्रतीक है। नाग पंचमी जैसे पर्व विशेषतः सर्पों को समर्पित हैं, जहाँ कोबरा की पूजा की जाती है।
कोबरा विभिन्न प्रकार के आवासों में पाया जा सकता है — जंगल, खेतों, यहाँ तक कि मानव बस्तियों के निकट भी। इसकी भोजन श्रृंखला में मुख्यतः छोटे स्तनधारी, मेंढक, अन्य सर्प और कभी-कभी पक्षी आते हैं।
पाइथन: विशालता और धैर्य का प्रतीक
पाइथन, विशेषतः भारतीय अजगर (Python molurus), भारत के सबसे बड़े गैर-विषैले सर्पों में से एक है। इसकी लंबाई प्रायः 10-20 फीट तक हो सकती है और इसका शरीर मजबूत, भारी तथा सुगठित होता है।
पाइथन विषहीन होते हैं, लेकिन अपने शिकार को पकड़ने और दम घोटकर मारने में माहिर होते हैं। वे अत्यंत धैर्यशील शिकारी होते हैं, जो अपने शिकार का चुपचाप इंतजार करते हैं और सही समय पर आक्रमण करते हैं। भारतीय अजगर नदियों के किनारे, दलदली इलाकों, घने जंगलों और घास के मैदानों में पाए जाते हैं। इनका मुख्य आहार छोटे स्तनधारी, पक्षी और सरीसृप होते हैं। अपने आकार के कारण वे बड़े शिकार जैसे हिरण या जंगली सुअर को भी निगल सकते हैं।
पाइथन भारतीय लोककथाओं और परंपराओं में भी महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। कई आदिवासी समुदायों में पाइथन को वनदेवता का रूप माना जाता है और उसकी पूजा की जाती है।
भारतीय सर्पों का संरक्षण
भारत में सर्प संरक्षण एक गंभीर और आवश्यक विषय बनता जा रहा है। वनों की कटाई, शहरीकरण और मानव-सर्प संघर्ष के कारण इनकी आबादी पर संकट मंडरा रहा है। कोबरा और पाइथन, दोनों ही वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित प्रजातियाँ हैं।
विशेष रूप से कोबरा की त्वचा और पाइथन की खाल के लिए अवैध शिकार किया जाता रहा है। हालाँकि सरकार और कई गैर-सरकारी संगठनों ने सर्प संरक्षण के लिए जागरूकता अभियानों और बचाव कार्यक्रमों की शुरुआत की है। इसके अतिरिक्त, सर्प विशेषज्ञों और 'रेसक्यू टीमों' द्वारा सर्पों को सुरक्षित स्थानों पर पुनर्स्थापित करने का कार्य भी किया जाता है, ताकि मानव-सर्प संघर्ष को न्यूनतम किया जा सके।
सर्पदंश के उपचार और प्राथमिक चिकित्सा
यदि कोबरा जैसे विषैले सर्प का डंक लग जाए या किसी भी प्रकार का सर्पदंश हो, तो तत्काल सही कदम उठाना जीवन रक्षक सिद्ध हो सकता है।
नीचे सर्पदंश के उपचार और प्राथमिक चिकित्सा के मुख्य उपाय दिए गए हैं:
• शांत रहें और घबराएँ नहीं: घबराने से हृदय गति तेज हो सकती है, जिससे विष का शरीर में तेजी से प्रसार होता है। शांत रहने का प्रयास करें।
• दंश वाले अंग को स्थिर रखें: जिस अंग को सर्प ने काटा है, उसे दिल के नीचे के स्तर पर स्थिर रखें। अधिक हिलाने-डुलाने से विष का प्रसार तेज हो सकता है।
• तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें: सर्पदंश के बाद बिना देरी किए नजदीकी अस्पताल जाएं। विशेषकर कोबरा के विष के लिए एंटी-वेनम (सर्प विष प्रतिशोधी इंजेक्शन) जरूरी होता है।
• दंश स्थल को न काटें या चूसें नहीं: पुराने समय की मान्यताओं के विपरीत, काटने या चूसने से संक्रमण बढ़ सकता है। ऐसा न करें।
• पट्टी का हल्का दबाव डालें: यदि संभव हो, तो एक साफ पट्टी से हल्का दबाव दें, लेकिन रक्त संचार को पूरी तरह बंद न करें। यह विष के प्रसार को धीमा कर सकता है।
• पाइथन के काटने के मामले में: यद्यपि पाइथन विषहीन होते हैं, उनके काटने से घाव, संक्रमण या आंतरिक चोटें हो सकती हैं। अतः घाव को साफ पानी से धोकर एंटीसेप्टिक लगाएँ और चिकित्सक से संपर्क करें।
महत्वपूर्ण:
सर्प का प्रकार पहचानने का प्रयास करें (यदि संभव हो) लेकिन सर्प को पकड़ने या मारने की कोशिश न करें। प्राथमिकता तुरंत उपचार प्राप्त करने की होनी चाहिए।
कोबरा और पाइथन में प्रमुख अंतर
यद्यपि दोनों सर्प विशाल और प्रभावशाली हैं, फिर भी उनमें कुछ मूलभूत भिन्नताएँ हैं।
• विष और विषहीनता: कोबरा जहरीला होता है, जबकि पाइथन विषहीन होता है।
• शिकार की विधि: कोबरा अपने विष से शिकार को मारता है, जबकि पाइथन शिकार को जकड़ कर दम घोटता है।
• आकार: पाइथन का आकार आमतौर पर कोबरा से कहीं बड़ा और भारी होता है।
• रहन-सहन: कोबरा अपेक्षाकृत शहरी क्षेत्रों के आसपास भी पाया जा सकता है, जबकि पाइथन अधिकतर दूरदराज के वनों और जलाशयों के पास रहता है।
• सांस्कृतिक महत्व: कोबरा विशेष रूप से धार्मिक प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठित है, जबकि पाइथन को मुख्यतः लोकमान्यताओं और पारंपरिक विश्वासों में स्थान मिला है।
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