लखनऊ की बारिश में रिमझिम गिरे सावन का सदाबहार रूमानी जादू

ध्वनि I - कंपन से संगीत तक
31-08-2025 09:32 AM
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1979 में रिलीज़ हुई "मंज़िल" एक भारतीय हिंदी रोमांटिक ड्रामा (romantic drama) फ़िल्म है, जिसका निर्देशन बासु चटर्जी ने किया था। कहानी की सादगी और संवेदनशील प्रस्तुति ने आलोचकों की प्रशंसा जीती, वहीं अमिताभ बच्चन के सहज और गहन अभिनय को भी विशेष सराहना मिली। बॉक्स ऑफिस (box office) पर इसका प्रदर्शन भले ही औसत रहा हो, लेकिन इसका संगीत, खासकर "रिमझिम गिरे सावन", भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ गया।
लता मंगेशकर की मधुर आवाज़ में गाया गया यह गीत मानो मानसून का एक जीवंत चित्र बन जाता है। इसे मुंबई की असली बारिश में फिल्माया गया, जहाँ अमिताभ बच्चन और मौसमी चटर्जी भीगी सड़कों, चमकते पानी के गड्ढों और हल्की धुंध के बीच टहलते नज़र आते हैं। यह गीत न केवल बारिश की ठंडी बौछारों का अनुभव कराता है, बल्कि मानसून के साथ जुड़ी भावनाओं, पहली बूंदों की खुशबू, भीगे कपड़ों में मुस्कुराती निगाहें, और शहर की गलियों में फैली नमी की रूमानी महक, को भी महसूस कराता है। गीत के हर दृश्य में बारिश सिर्फ मौसम नहीं, बल्कि एक एहसास बनकर उभरती है, ऐसा एहसास जो प्रेम को और गहरा, और जीवन को और खूबसूरत बना देता है। इसीलिए "रिमझिम गिरे सावन" सिर्फ एक गाना नहीं, बल्कि भारतीय मानसून की रूमानी आत्मा का सिनेमाई रूप है।

संदर्भ-

https://shorturl.at/5bCzS

https://shorturl.at/zCBoC