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वर्तमान काल में मोबाइल (Mobile), वाई-फाई (Wi-Fi) आदि का प्रचलन बड़े पैमाने पर फ़ैल रहा है जिसको हम अपने दिनचर्या में देखते आ रहे हैं। अब यह एक प्रश्न उठता है कि क्या ये सभी हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं? ये सभी उपकरण तरंगों पर कार्य करते हैं जो कि पूरे वातावरण में फैली हुई हैं। प्रत्येक बेतार यंत्र वास्तविकता में दो प्रकार के माइक्रोवेव रडियो (Microwave Radio) तरंगों पर कार्य करता है। यह एक प्रकार के चुम्बकीय विद्युत् रेडिएशन (Radiation) तरंग को भेजता और प्राप्त करता है जो कि रेडियो फ्रीक्वेंसी (Frequency) रेडिएशन (आर-एफ) नाम से जाना जाता है। यह मशीन द्वारा बनाया गया रेडिएशन प्राकृतिक चुम्बकीय विद्युत क्षेत्र से लाखों गुना ज्यादा तीव्र होता है। इस प्रकार से प्रत्येक बेतार यंत्र से निकलने वाली तरंगें प्राकृतिक तरंग क्षेत्र को प्रभावित करने का कार्य करती हैं।
जब भी हम मोबाइल को अपने सर से लगा कर बात करते हैं तब फ़ोन से निकलने वाला रेडिएशन हमारे दिमाग में सीधा जाता है। इसी प्रकार से जब भी हम लैपटॉप (Laptop) का प्रयोग करते हैं तो रेडिएशन हमारे पेट, छाती और दिमाग आदि को प्रभावित करने का कार्य करता है। एक मोबाइल हमेशा अपने सिग्नल (Signal) को सही करते रहता है तथा यह अपने नजदीकी सेल टावर (Cell Tower) से संपर्क की तरंगों को प्राप्त करता है तथा यह प्रति सेकंड अत्यंत तीव्र सन्देश भेजता रहता है। इसी तरह एक बेतार यंत्र जैसे कि वाई-फाई, लैपटॉप, टैबलेट (Tablet) आदि भी संपर्क को स्थापित करने के लिए तरंग भेजते रहते हैं। यह व्यवस्था हमेशा शुरू रहती है चाहे संपर्क सफल हो या नहीं। प्रत्येक बेतार यंत्र के प्रयोग करने की पुस्तिका में यह लिखा रहता है कि यंत्र और मानव के बीच में एक निश्चित दूरी का होना आवश्यक है। जैसा कि यदि लैपटॉप की बात की जाए तो मानव शरीर से कम से कम इसका 20 सेंटीमीटर दूर होना अत्यंत आवश्यक है। शरीर पर लैपटॉप रख कर प्रयोग करने से कई समस्याएँ आनी शुरू हो जाती है। शोध से पता चला है कि इन यंत्रों से निकलने वाली तरंगें हमारे दिमाग पर और इसके कार्य करने की क्षमता पर एक प्रभाव डालती है।
सेल फ़ोन या मोबाइल से निकलने वाली तरंगें कैंसर जैसी बिमारी से जुड़ी हुयी हैं तथा ये कैंसर को बुलावा देती हैं। सन 2001 से रेडिएशन से होने वाली कैंसर की घटनाओं में बड़ी वृद्धि देखने को मिली है। फ्रांस में हुए एक अध्ययन के अनुसार लम्बे समय तक मोबाइल फ़ोन प्रयोग करने से दिमाग में कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। मोबाइल को पास में रखकर सोने से भी समस्याएं बड़े पैमाने पर बढ़ जाती हैं। चार्ज पर लगे होने से मोबाइल में विस्फोट होने की भी घटनायें आम हो रही हैं। हाल ही में ‘क्रेडल फण्ड’ के सी.इ.ओ. की मृत्यु भी मोबाइल फ़ोन में होने वाले विस्फोट की वजह से हुयी थी। इससे बचने का कोई उपाय भी अभी तक नहीं मिल पाया है। इन यंत्रों का कम से कम प्रयोग करने पर ही मानव अपने आप को बचा सकता है।
संदर्भ:
1.https://www.indiatoday.in/technology/news/story/cradle-fund-ceo-dies-after-smartphone-explodes-while-charging-in-bedroom-1265922-2018-06-21?ref=taboola
2.https://www.theguardian.com/technology/askjack/2012/sep/27/wi-fi-health-risks
3.https://ehtrust.org/take-action/educate-yourself/top-10-facts-about-cell-phones-and-wi-fi-2/