समय - सीमा 261
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‘जीवन के सफ़र में राही, मिलते हैं बिछड़ जाने को,
और दे जाते हैं यादें, तन्हाई में तड़पाने को’
सन 1955 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘मुनीमजी’ का यह गाना जीवन के बारे में एक बड़ी गहरी बात बोल जाता है। इस फिल्म में मुख्य अभिनेता थे देवानंद और नलिनी जयवंत ने। इस गाने को एक खुशनुमा गाने के रूप में देखा जा सकता है जिसमें रूठी हुई प्रेमिका को मनाने के लिए देवानंद यह गाना गाते हैं। इस फिल्म की पटकथा एवं डायलाग लेखन का कार्य किया गया था हमारे लखनऊ में पले-बढ़े श्री नज़ीर हुसैन साहब द्वारा जो कि अक्सर देवानंद के साथ फिल्मों में नज़र आते थे।
लेकिन आज आपको एक राज़ की बात बताते हैं। इस फिल्म में आपका एक पसंदीदा गाना असल में मेक्सिको की एक धुन से प्रेरित है। मेक्सिको के एक तरह के नाच, जिसमें टोपियों का इस्तेमाल होता है (Hat Dance) के लिए इस धुन का इस्तेमाल किया जाता है। इसे आप नीचे दिए गए वीडियो पर क्लिक करके सून सकते हैं-
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Munimji
2.https://www.youtube.com/watch?v=_9kjx2ngbRc
3.https://www.indiatimes.com/entertainment/16-famous-bollywood-songs-you-wouldnt-believe-were-copied-from-the-west-234526.html
4.https://www.youtube.com/watch?v=cUN9sX86ZwA